Breaking News

आवश्यकता है “बेखौफ खबर” हिन्दी वेब न्यूज़ चैनल को रिपोटर्स और विज्ञापन प्रतिनिधियों की इच्छुक व्यक्ति जुड़ने के लिए सम्पर्क करे –Email : [email protected] , [email protected] whatsapp : 9451304748 * निःशुल्क ज्वाइनिंग शुरू * १- आपको मिलेगा खबरों को तुरंत लाइव करने के लिए user id /password * २- आपकी बेस्ट रिपोर्ट पर मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ३- आपकी रिपोर्ट पर दर्शक हिट्स के अनुसार भी मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ४- आपकी रिपोर्ट पर होगा आपका फोटो और नाम *५- विज्ञापन पर मिलेगा 50 प्रतिशत प्रोत्साहन धनराशि *जल्द ही आपकी टेलीविजन स्क्रीन पर होंगी हमारी टीम की “स्पेशल रिपोर्ट”

Wednesday, April 30, 2025 12:14:23 AM

वीडियो देखें

मछलियों के सम्वर्धन एवं संरक्षण हेतु नियम लागू

मछलियों के सम्वर्धन एवं संरक्षण हेतु नियम लागू

 

बहराइच 09 मई। जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चन्द्र द्वारा बताया गया कि वर्षा ऋतु में भारतीय मेजर कार्प मछलियां कतला, रोहू, नैन एवं कारौच तथा विदेशी कार्प, ग्रासकार्प, सिल्वर कार्प व कामन कार्प प्रजनन करती है। इन मछलियों के सम्वर्धन एवं संरक्षण हेतु उ.प्र. मत्स्य अधिनियम 1948 के प्राविधानों के अन्तर्गत नियम लागू किये गये है। यह नियम उन सभी जलाशयों, नदियों की समस्त जल धाराओं पर प्रभावी होगा जो जनपद बहराइच की सीमा में है और जिला मजिस्ट्रेट द्वारा यथाविध व्यक्तिगत अथवा धार्मिक नहीं घोषित किया गया है। कोई भी व्यक्ति जलाशयों, नदियों की समस्त जल धाराओं में विस्फोटक पदार्थ अथवा कृषि रक्षा एवं व्यापारिक कार्य में प्रयुक्त होने वाले विषैले रसायन से मछली नहीं मारेगा और न ही मारने का प्रयास करेगा।

कोई भी व्यक्ति 01 जून 2023 से 31 अगस्त 2023 तक प्रजननशील मछलियों को न तो पकड़ेगा न ही मारेगा और न ही बेचेगा। जब तक कि उसके पास मत्स्य विभाग द्वारा निर्गत वैध लाइसेंस न हो। साथ ही 15 जुलाई से 30 सितम्बर 2023 तक मत्स्य जीरा अथवा अंगुलिका (2 से 10 इंच) आकार की न तो पकड़ेगा और न ही बेचेगा। कोई भी व्यक्ति उक्त निर्देशित क्षेत्र के प्राकृति बहाव को रोकने हेतु कोई अवरोध नहीं लगायेगा और न ही ऐसा करके मत्स्य जीरा अंगुलिका और मछली पकड़ेगा अथवा नष्ट करेगा। इन आदेशों के उल्लंघन पर लगाये गये अवरोधक सामग्रियां पकड़े गये मत्स्य जीरा एवं मछली सहित जब्त कर ली जायेगी। यह प्रतिबंध शासनादेश संख्या 941/12-88-1954 दिनांक 03 अक्टूबर 1960 एवं समय-समय पर शासनादेशों द्वारा इसमें से की गयी संशोधन के अनुसार जल खण्डों पर लागू होगा। इन आदेशों का उल्लंघन उ.प्र. मत्स्य अधिनियम 1948 के अन्तर्गत दण्डनीय होगा।

व्हाट्सएप पर शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *