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Friday, May 9, 2025 1:03:19 PM

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काका कालेलकर राष्ट्रीय सम्मान-2023″ डॉ राजा राम त्रिपाठी को,

काका कालेलकर राष्ट्रीय सम्मान-2023″ डॉ राजा राम त्रिपाठी को,

दिल्ली में गांधी हिंदुस्तानी साहित्य सभा के ‘सन्निधि सभागार’ में 20 जनवरी को मिलेगा अवार्ड,

 

“बस्तर बोलता भी है” बस्तर पर केन्द्रित कविता-संग्रह के लिए मिलेगा अवार्ड,

 

कोंडागांव बस्तर के डॉ राजाराम त्रिपाठी को देश की हिंदी साहित्य के क्षेत्र में दिया जाने वाले देश के प्रतिष्ठित काका‌ कालेलकर अवार्ड दिए जाने की घोषणा हुई है। इस आशय का संस्था का पत्र तथा दिल्ली आने का निमंत्रण पत्र प्राप्त हुआ है, जिस पर कार्यक्रम संयोजक कुसुम शाह, विष्णु प्रभाकर ट्रस्ट के प्रमुख तथा आयोजन के संयोजक अतुल प्रभाकर एवं कार्यक्रम संयोजक प्रसून लतांत के हस्ताक्षर हैं।

यह प्रतिष्ठित अवार्ड उन्हें आगामी 20 जनवरी को देश की राजधानी दिल्ली के “गांधी हिंदुस्तानी साहित्य सभा भवन” के ‘सन्निधि सभागार’ में ‘ काका कालेलकर ‘ एवं ‘ विष्णु प्रभाकर ‘ की स्मृति में आयोजित किया जा रहे राष्ट्रीय आयोजन ” शतक संगति समारोह” में प्रदान किया जाएगा। यह कार्यक्रम “गांधी हिंदुस्तानी साहित्य सभा ” तथा ” विष्णु प्रभाकर प्रतिष्ठान ” दोनों के संयुक्त तत्वाधान में संपन्न होने जा रहा है। यह अवार्ड उन्हें देश के जनजाति साहित्य में योगदान के लिए तथा *विशेष रूप से उनके कविता संग्रह ” बस्तर बोलता भी है ” के लिए दिया जा रहा है। जिसमें ज्यादातर कविताएं बस्तर तथा बस्तर की विसंगतियों पर केंद्रित हैं।* इस कार्यक्रम में डॉ त्रिपाठी द्वारा ‘जनजातीय साहित्य’ विषय पर बीज वक्तव्य भी पढ़ा जाएगा। उल्लेखनीय है कि डॉ राजाराम त्रिपाठी के बहुचर्चित कविता संग्रह ‘मैं बस्तर बोल रहा हूं’ का कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है और उनकी हालिया प्रकाशित किताब ‘दुनिया इन दिॉनों’ की भी काफी चर्चा है। अभी हाल ही में डॉ राजाराम त्रिपाठी को मुंबई में आयोजित एक भव्य समारोह में हिंदी की विशिष्ट सेवा हेतु प्रतिष्ठित “शीर्ष हिंदी सेवा सम्मान” से भी सम्मानित किया गया है। डॉ त्रिपाठी जनजातीय सरोकारों की दिल्ली से प्रकाशित राष्ट्रीय पत्रिका ककसाड़ की पिछले दशक से संपादक हैं तथा “जनजातीय शोध तथा कल्याण संस्थान” के चेयरमैन हैं । साल की शुरुआत में ही हिंदी साहित्य के दो -दो शीर्ष व प्रतिष्ठत अवार्ड छत्तीसगढ़ के खाते में आने से समूचे प्रदेश में तथा विशेष रूप से छत्तीसगढ़ के साहित्यिक जगत में अतीव हर्ष व्याप्त है।

 

 

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