2014 से देश में सिर्फ वादे ही हुए चाहे कुछ हो न हो लेकिन हमें चमकती दुनिया का सपना दिखाया गया था। लेकिन आज उस चमकती दुनिया का कुछ पता नहीं है लेकिन हम ऐसे नाव पर बिठा दिया गया है जिसकी मंजिल का पता नहीं है। मजदूर की हालत हुई कि उसके जान तो है लेकिन वो जिना नही चाहता है। कोरोना वायरस में भी वादों की बौछार कि गयी लेकिन आज तक कोई भी वादा पूरा नहीं किया गया है। प्रवाशी मजदूर तो घर तो पहुंचे लेकिन आज उनके पास न काम है और न राशन है एसे में कैस जिएगा लेकिन वादा क्या हुआ था हम तो नवंबर तक मुफ़्त राशन देंगे। 15 लाख और स्मार्ट सिटी को तो हम भूल ही गए आज हमे दो वक्त रोटी का जुगाड नहीं है। जिससे हम अन्य दाता कहते हैं आज इस मंहगाई ने उसकी कमर तोड दी है किसानों की हालत बद से बद्तर होती जा रही है। लेकिन जनता को दिया गया आपसी नफरत लेकिन आज जब हमारा देश अर्थीक मंदी से गुजर रहा है एसे करोड़ों रुपए से विधायक खरीदे जा रहे हैं। गरीबों का इस सरकार को को फ़िक्र नहीं है उसे तो सिर्फ सत्ता हथियाने की फिक्र है एसा लगता है कि भारतीय जनता पार्टी को जनता द्वारा चुनी हुई सरकार पसंद नहीं आती है इसलिए वो विधायकों को खरीद कर सत्ता पर काबिज हो जाती है। और जनता से इतने वादे करते हैं कि जनता इस इलेक्शन के बाद वादों को याद करने में ही पांच साल बिता देती है।
व्हाट्सएप पर शेयर करें
No Comments






