गोंडा : में आजीविका मिशन के समूह की महिलाओं के लिए मनरेगा योजना तरक्की के लिए हथियार बन रही है। अब महिलाएं सीधे मनरेगा योजना से रोजगार पा रही हैं। इसकी पहल बेलसर ब्लॉक के ग्राम पंचायत बरसड़ा से शुरू हुई है, शीतल देवी स्वयं सहायता समूह की 11 महिला सदस्यों को यहां की नर्सरी परियोजना से जोड़ा गया है। मनरेगा से 6.60 लाख का प्रोजेक्ट तैयार कर महिलाओं से नर्सरी विकसित की गई है। समूह के सदस्य पौधे तैयार करेंगी और ब्लॉक के 51 ग्राम पंचायतों को पौधरोपण के लिए उपलब्ध कराएंगे। इनको मनरेगा से जोड़ा गया है।
बेलसर की ग्राम पंचायत बरसड़ा में शुरू हुई परियोजना को खंड विकास अधिकारी सदानंद चौधरी ने मनरेगा के अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी पूनम शुक्ला ने टीम के साथ देखा। महिलाओं के लगन और उत्साह को देखकर खंड विकास अधिकारी ने समूह की महिलाओं का उत्साह बढ़ाया। कहा कि गांव पंचायत के साथ ही जरूरत पड़ी तो अन्य विभागों को भी पौधे की आपूर्ति के लिए प्रेरित किया जाएगा। हर साल पौधरोपण का कार्य होता है और ब्लॉक में ही एक लाख से अधिक पौधों की जरूरत होती है, जितने पौधे तैयार होंगे उनकी आपूर्ति सरकारी दर पर कराई जाएगी। इससे समूह को आय भी होगी।
शीतल देवी महिला स्वयं सहायता समूह अध्यक्ष प्रियंका, कोषाध्यक्ष बंदना, सचिव शिवानी, शिवपता अशोका, मीना देवी, चंपा देवी, लल्लन देवी, गुड़िया, रामकली नर्सरी कार्य में लगी रहीं। समूहों को योजना से जोड़ने और तकनीकी जानकारी देने के लिए सहायक विकास अधिकारी रामनिवास वर्मा, तकनीकी सहायक दयाराम यादव, सचिव नरेंद्र सोनी भी मौजूद रहे। प्रधान रितेश सिंह कहते हैं कि समूह की महिलाओं को इससे स्थाई रूप से बेहतर रोजगार मिलेगा।
विकास के साइन बोर्ड भी बने आय का साधन
शीतल देवी स्वयं सहायता समूह की महिलाएं नर्सरी के साथ ही विकास कार्यों के पक्के साइन बोर्ड भी तैयार कर रही हैं। ब्लॉक में 52 से अधिक विकास की परियोजनाएं चल रही हैं और हर परियोजना में साइन बोर्ड लगना है। बोर्ड में परियोजना के नाम के साथ ही गांव के अधिकारियों के नाम व लागत का ब्यौरा दर्ज रहता है। एक साइन बोर्ड को समूह से पंचायतें चार हजार रुपए खरीदेंगी। इससे भी समूह की महिलाओं को रोजगार मिल रहा है, महिलाओं ने एक दर्जन से अधिक साइन बोर्ड तैयार किए हैं, जिनकी आपूर्ति हो रही है।
स्वयं सहायता समूहों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए नर्सरी और साइन बोर्ड निर्माण का कार्य शुरू कराया गया है। इससे हर सदस्य की आय बढ़ेगी। कोशिश होगी कि समूहों को ऐसे ही परियोजनाओं से जोड़ा जाए और उनका जीवन स्तर उच्च हो
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