बहराइच। बीते कई पखवारे में जहरीली शराब से हुई मौतों से मचे कोहराम ने जहां प्रदेश के पृथक पृथक जिलों में अवैध शराब बिक्री व अवैध कारोबार को केंद्र बिंदु बनाकर पुलिस व आबकारी विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को एक साथ एक अभियान के तहत कार्यवाही करने को मजबूर कर दिया वहीं इस जिले में जिला अधिकारी के निर्देश पर पुलिस व आबकारी विभाग की संयुक्त टीम द्वारा जिले भर में छापे मारकर भारी मात्रा में लहन, अवैध शराब व शराब बनाने के उपकरण इत्यादि तो बरामद किए जा रहे हैं लेकिन सरकारी सेंटर पर उठ रही तमाम उंगलियों के बाद भी प्रशासन का ध्यान उस और न जाना भी अपने आप में एक बड़ा सवाल खड़ा करता नजर आ रहा है।
मालूम हो कि जहरीली शराब को लेकर प्रदेश भर में चलाए जा रहे अभियान के तहत अब तक सैकड़ों गिरफ्तारियां व सैकड़ों पर मुकदमा दर्ज करने के साथ-साथ तमाम लोगों को जेल में डाला जा चुका है। जहरीली शराब से प्रदेश सहित बहराइच में भी हुई मौतों के कोहराम से गहरी नींद से जागा आबकारी विभाग व पुलिस विभाग कच्ची शराब बनाकर बेचने वालों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्यवाही करने में जुट गया है। हालांकि ऐसी ज्यादातर कार्यवाहियाँ मौतों के बाद ही होनी बताई जाती है।
अगर हम पिछले 10 वर्षों की बात करें तो प्रदेशभर में प्रतिवर्ष औसतन 3 दर्जन से अधिक लोगों की जानें जहरीले शराब पीने से हुई हैं। और अब कुंभकरणी की नींद में सोया जिले का आबकारी विभाग भी इस जानलेवा धंधे के चौतरफा फैले नेटवर्क की बातें करने लगा है।
नींद से जागा आबकारी तंत्र शराब तस्करी और माफियाओं की धरपकड़ में ऐसे लगा हुआ है कि मानो अब यह अपराध जिले से नेस्तनाबूत हो जाएगा।
बताते हैं कि ऐसा धंधा करने वाले लोग ऐसे इलाके को चुनते हैं जहां अति पिछड़े आबादी की भरमार होने के साथ-साथ गरीबों की संख्या भी अधिक होती है। और बहराइच भी कुछ ऐसे ही हालातों के लिए जाना जाता है। हालांकि इतने बड़े इलाके में लोगों को गैरकानूनी रूप से सस्ती दारू उपलब्ध करा पाने के पीछे पुलिस विभाग और आबकारी विभाग की रिश्वतखोरी,व माफियाओं को मिल रहे राजनीतिक संरक्षण से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
आखिर हमारा समाज और प्रशासन कैसा है जहां ऐसा जहर बनाने की छूट लोगों को मिली हुई है। जिस तरह से अभी छापेमारी में हजारों लीटर अवैध शराब,लहन और उन में प्रयोग की जाने वाली हानिकारक जानलेवा सामग्रियां पकड़ी जा रही है उससे तो यही पता चलता है कि लाख कोशिशों के बाद भी इस जिले में व्यापक पैमाने पर अवैध भट्टियां धधक रही हैं। जिसमें शराब को ज्यादा नशीला बनाने के लिए लाइसेंस धारियों की संलिप्तता से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। लेकिन अब उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ऐसे अवैध भट्टियों और इससे जुड़े माफियाओं को ख़त्म करने का बीड़ा उठा लेने के बाद प्रदेश सहित जिले के आबकारी विभाग की भी चूलें हिल गई हैं। हाल के कुछ दिनों में ही बड़े पैमाने पर हो रहे बरामदगी के बाद अगर यह कहा जाए कि आबकारी विभाग पर भी बड़ी कार्यवाही होनी चाहिए तो शायद गलत नहीं होगा।
क्योंकि मुख्यमंत्री द्वारा मामले में गहरी साजिश की बात स्वीकारने के बाद विभाग के मिलीभगत से भी इंकार नहीं किया जा सकता। हालांकि यूपी सरकार द्वारा शराब में मिलावट को लेकर पहले से ही मृत्यु दंड का प्रावधान बना रखा गया है बावजूद शराब में इतनी बड़ी मात्रा में आ रही मिलावटो के बाद भी अब तक एक भी अपराधी का फांसी पर न लटकना खुद में एक बड़ा सवाल बना हुआ है। जिसे मदद के जरिए सवाल गटकने के रूप में भी देखा जा रहा है। बावजूद जिले में अपना बिक्री टारगेट पूरा करने के नाम पर आखिर कब तक लाखो लाख लीटर शराब बेचने का सहारा लेकर अवैध कारोबार को बढ़ावा दिया जाता रहेगा? क्या मौतों के बाद, हरकत में आने की प्रथा नहीं त्याग पाएग विभाग?वो भी तब जब युवा पीढ़ी को बर्बाद करने का सबसे सस्ता माध्यम गांजा(चिप्पड़)भांग के सरकारी ठेकों से खुलेआम होना बताया जा रहा है। जिसमें लोगों द्वारा आबकारी अधिकारी बहराइच पर अवैध धन उगाही की बात भी बताई जा रही है।
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