बहराइच 27 जनवरी। अश्व प्रजातियों में होने वाली भयंकर बीमारी ग्लैण्डर्स एंव फार्सी रोग के सम्बन्ध में विगत दिवस डालमिया धर्मशाला बहराइच में आयोजित एक दिवसीय सेमीनार कम वर्कशाप का मुख्य अतिथि मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. बलवन्त सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारम्भ किया। जिसमें जनपद के सभी उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, पशु चिकित्साधिकारी एंव पशुधन प्रसार अधिकारी, पंचशील डेवलपमेन्ट के प्रोजेक्ट डायरेक्टर ध्रुव कुमार, ब्रुक्स इण्डिया के डा. गोपेश प्रताप सिंह एवं डा. पंकज गुप्ता ए.एस.वी.एम. द्वारा प्रतिभाग किया गया। सेमिनार के दौरान पशु चिकित्साधिकारी भगवानपुर डा. नागेन्द्र गुप्ता द्वारा प्रोजेक्टर के माध्यम से बीमारी के कारकों, सोर्स, इपीडिमियोलोजी, लक्षण, बचाव, उपचार, सैम्पलिंग जांच के उपरान्त धनात्मक पाये गये घोड़ों के यूथेनाइज्ड करने के तरीके दफनाने आदि के बारे में विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया। जबकि डा. जी.के. सिह पशु चिकित्साधिकारी ब्रुक्स ने घोड़ों में होने वाले सर्रा रोग तथा डा. पंकज कुमार द्वारा टेटनेस रोग के सम्बन्ध में विस्ताार से चर्चा की गयी। उप मुख्य पशुचिकित्साधिकारी, बहराइच डा. सुरेन्द्र लाल द्वारा ग्लैण्डर्स के सैम्पल एकत्र करते समय बरती जाने वाली सावधानियों तथा रक्त के जमने की स्थिति में सेन्ट्रीफ्यूगल मशीन की सहायता से सीरम प्राप्त किये जाने के सम्बन्ध में चर्चा की गयी। पंचशील डेवलपमेन्ट के प्रोजेक्ट डायरेक्टर ध्रुव कुमार ने आर्थिक रूप से पिछड़े व्यक्तियों को समूह के माध्यम से विभिन्न योजनाओं का लाभ दिलाकर उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने तथा आर्थिक उन्नयन के लिए संस्था द्वारा किये जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी प्रदान की गयी। उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, सदर/नोडल अधिकारी, ग्लैण्डर्स एंव फार्सी बीमारी डा. एस.के. रावत ने बताया कि यह बीमारी मुख्यतः घोड़ों में पायी जाती है तथा गाय भैंस सुअरों में नहीं होती है। कभी-कभी भेड़ एव ंबकरियों में हो सकती है जबकि कुत्तो में रोग से ग्रसित मरे हुए पशु का मांस खाने से हो जाती है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. बलवन्त सिंह ने पंचशील डेवलपमेन्ट के कार्यों की सराहना करते हुए आश्वस्त किया कि विभाग की ओर से उन्हें हर संभव सहयोग प्रदान किया जायेगा। उन्होंने ब्रुक्स इण्डिया के पशु चिकित्साधिकारियों का आहवान्ह किया कि विभाग के अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर कार्य करें। डा. सिंह ने बताया कि ग्लैण्डर्स एंव फार्सी एक नोटीफाइड जूनोटिक बीमारी है जिसका घोड़ांे के साथ-साथ मनुष्यों में फैलने का खतरा बना रहता है। उन्होंने बताया कि जनपद के विभिन्न क्षेत्रांे से प्रतिमाह 20 सीरम सैम्पुल जांच हेतु राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान हिसार हरियाणा भेजे जाते हैं। अब तक 210 सैम्पुल भेजे जा चुके हैं। जाॅच में धनात्मक पाये गये 18 घोड़ों में 02 की मृत्यु स्वतः तथा 16 घोड़े यूथेनाइज्ड कराये जा चुके हैं। विभाग द्वारा 14 घोड़े के मालिको को मुआवजे का भुगतान किया जा चुका है तथा बीमारी के सर्विलियन्स पर पैनी नज़र रखी जा रही है। कार्यक्रम के अन्त में उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. एस.के रावत ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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