भारत :आज जब लाक डाउन को दो महिने से ज्यादा हो गए हैं और लाक डाउन का पांचवां चरण शुरू होने वाला है। लेकिन गरीबों तथा मजदूरों की हालात बद से बत्तर होते जा रहे है कि इनके हालात के बारे कोई पूछ ने वाला नहीं है। और अगर इन मजदूरों और गरीबो के साथ कोई खडे नजर आए तो ये वही लोग नजर आए जिनको इस देश के नेताओं से लेकर मीडिया तक ने खूब बदनाम किया। हमे और हमारी सरकार को ऐसे लोगों का शुक्रिया अदा करनी चाहिए थी लेकिन शुक्रिया को छोड कर इन लोगों के उपर एफ आ यार दर्ज किया गया। लाक डाउन का पांचवां चरण शुरू होने वाला है ऐसे जो प्रवाशी मजदूर किसी तरह अपने घर आ गए हैं तो उनके लिए न तो कोई काम है और न इनके पास खाना ऐसे में ये बद से बत्तर जिंदगी जिने पर मजबूर हैं ये वही लोग हैं जिन्होने हमे रोड, मकान सब कुछ बना कर दिया लेकिन आज जब ये मर रहा है तो हम इसके आंसू भी नहीं पोछ पा रहे हैं। इन्हें भारतीय रेलवे इन्हें घर पहुंचाने के लिए ट्रेन दिए लेकिन ट्रेन में इन्हें भुखा मारा गया कुछ लोग घर पहुंचे तो कुछ लोग शमसान भी पहुंच गए।
तो एसे मैं सवाल पूछता हूं कि इन गरीबों तथा मजदूरों के आंसूओं का जिम्मेदार कौन हमारी सरकारें या फिर मजदूर खुद?
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