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Sunday, April 20, 2025 1:30:37 AM

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खागा का लाल चंद्रयान 2 अभियान का बना साझीदार

खागा का लाल चंद्रयान 2 अभियान का बना साझीदार
से बेखौफ खबर के लिए स्वतंत्र पत्रकार अनिल कुमार की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश/ फतेहपुर चन्द्रयान 2 की कामयाबी पर सोमवार को जहां सारा देश जश्न मना रहा था वहीं खागा के लोग अधिक इतरा रहे थे। लोगों के इतराने का कारण खागा का लाल है, जिसने चन्द्रयान 2 के मुश्किल मिशन में कामयाबी की इबारत लिख कमाल कर दिया। चन्द्रयान में लगे वैज्ञानिक उपकरणों को बनाने वाली इसरो की टीम में खागा के सुमित कुमार भी शामिल रहे। खागा के विजयनगर निवासी सुमित कुमार स्पेस अप्लीकेशन सेंटर अहमदाबाद में कार्यरत हैं। इसरो के इस सेंटर को चन्द्रयान 2 में वैज्ञानिक उपकरणों अथवा पेलोड बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी।

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इन्हीं उपकरणों जरिए चन्द्रयान के विभिन्न भागों को पृथ्वी पर डाटा भेजना है। मसलन, चन्द्रयान के आर्बिटर में लगा हुआ पेलोड अपनी भूमिका निभाएगा। जब आर्बिटर चन्द्रमा के चारों ओर घूमेगा तो पेलोड चन्द्रमा की सतह की मैपिंग एवं विश्लेषण कर डाटा पृथ्वी पर भेजेगा। सुमित बताते हैं कि पेलोड बनाने में पूरी टीम का योगदान है। पेलोड बनाने के काम में कई साल लग गए। तैयार किए गए पेलोड बंगलुरू भेजे गए, वहां इसरो उपग्रह केन्द्र में इन्हें सेटेलाइट से जोड़ा गया। फिर सोमवार को श्री हरिकोटा से लांच किया गया। किसी भी मिशन में इसरो के सभी सेन्टर एक्टिव रहते हैं और सभी का योगदान रहता है। सभी केन्द्रों की अलग अलग भूमिका रहती है। वैज्ञानिक सुमित कहते हैं कि मेरा रोल वैज्ञानिक उपकरण बनाने में रहा जो चन्द्रयान के आर्बिटर में लगे हैं।
नौ सितंबर तक बढ़ी रहेगी धड़कन
सुमित ने बताया कि यह मिशन न सिर्फ उपग्रह के चन्द्रमा तक पहुंचने का है बल्कि उपग्रह के चन्द्रमा की सतह पर उतरने का भी है। रोवर को सतह पर उतारा जाएगा जबकि आर्बिटर चन्द्रमा की परिक्रमा करेगा। आर्बिटर में 8, रोवर में 4 और लैंडर में 2 पेलोड लगे हैं जो अपने अपने डाटा पृथ्वी पर भेजेंगे। चन्द्रयान के सभी भागों का रोल अलग अलग होगा। उन्होंने कहा कि जब तक चन्द्रयान अपने अंतिम लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर लेता है तब तक धड़कनों का बढ़ना स्वाभाविक है। अर्जुन सिंह एवं लक्ष्मी देवी के पुत्र सुमित बचपन से ही खागा में रहते हैं। शुकदेव इंटर कॉलेज से माध्यमिक स्तर की पढ़ाई करने के बाद सुमित ने लखनऊ के बीबीडी कॉलेज से इलेक्ट्रानिक्स एवं कम्युनिकेशन ब्रांच से बीटेक किया। इसके बाद इसरो में 2008 से वैज्ञानिक पद पर कार्यरत हैं। पिछले छह साल के दौरान पीएसएलवी और जीएसएलवी उपग्रह प्रक्षेपण अभियानों में भी योगदान रहा है। उनका कहना है कि छात्रों में विज्ञान के प्रति रुचि बढ़नी चाहिए। मेरा सपना है कि मेरे जिले के छात्र मुझे इसरो में काम करते मिलें।

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