हरिद्वार लोकसभा सीट पर एक बार फिर चुनावी चुनौती के बीच हिंदुत्व आगे और भाजपा उसके पीछे है। लोकसभा के 11 चुनावों में सबसे ज्यादा पांच बार इस सीट पर भाजपा जीती है। इस लोकसभा सीट के अंतर्गत शामिल 14 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिसमें से तीन को छोड़ दें, तो बाकी 11 भाजपा के हैं। ये तथ्य भाजपा का मनोबल तो बढ़ा ही रहे हैं, साथ ही उसे जीत के बडे़ दावे करने का आधार और अवसर भी दे रहे हैं। इन स्थितियों के बीच, हरिद्वार लोकसभा सीट का वो मिजाज भी काबिलेगौर है, जिसने समय-समय पर हार का स्वाद चखाकर भाजपा को ये संदेश भी दिया है कि गंगा की इस भूमि में अपराजित कोई नहीं है। भाजपा ने इस बार फिर से अपने कद्दावर नेता मौजूदा सांसद और पूर्व सीएम डॉ.रमेश पोखरियाल पर भरोसा जताया है। वहीं कांग्रेस ने हरीश रावत के ऐन मौके पर मैदान से हटने के बाद उनके विकल्प के तौर पर अनुभवी अंबरीष कुमार को सामने किया है। भाजपा-कांग्रेस की लड़ाई के बीच सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही बसपा की भूमिका यहां अहम है। इस सीट पर चुनावी समीकरण जाति-क्षेत्र के बीच भी उलझे हैं। कुल मिलाकर प्रतिष्ठा बचाने और प्रभुत्व जमाने की यह लड़ाई बेहद दिलचस्प हो चली है। तीर्थनगरी हरिद्वार की यह लोकसभा सीट गंगा की लहरों की तरह कभी एक समान रूप से नहीं बही है। पूरी तरह से मैदानी यह सीट मैदान की प्रकृति के अनुरूप समतल नहीं, बल्कि घुमावदार, संकरी और ऊंची-नीची है। चुनावी इतिहास साक्षी है और कई उदाहरणों से भरा पड़ा है। वर्ष 1984 के उपचुनाव में मायावती और रामविलास पासवान जैसे उम्मीदवारों को खारिज कर यहां से कांग्रेस के सुंदरलाल जीते हैं। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद 2004 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में न भाजपा जीती और न कांग्रेस, सपा के राजेंद्र सिंह बाडी सांसद बने। तस्वीर का दूसरा पहलू भी देखिए। कुमाऊं की धरती को छोड़कर 2009 में हरीश रावत हरिद्वार का रुख करते हैं, तो उन्हें शानदार जीत मिलती है। डोईवाला के विधायक रहते हुए 2014 में डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक पहली बार लोकसभा चुनाव में उतरते हैं, तो उन्हें मतदाता दिल्ली पहुंचा देते हैं। 90 के दशक में इस क्षेत्र में भाजपा की एंट्री के बाद कई इलाके उसके मजबूत किले बन गए हैं। अपने संगठन, पुराने चुनावी इतिहास के अलावा पार्टी उम्मीदवार डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक की राजनीतिक हैसियत और सक्रियता पर भाजपा को पक्का भरोसा है। कांग्रेस की जहां तक बात है, तो बगैर लाग लपेट के कहा जा सकता है कि हरीश रावत उम्मीदवार होते तो संघर्ष की सूरत कुछ और होती। भाजपा को हरीश रावत जैसी टक्कर देने की चुनौती निश्चित तौर पर अंबरीष कुमार के सामने खड़ी है। मगर पूर्व विधायक की पृष्ठभूमि, हरिद्वार क्षेत्र के पुराने जानकार होने जैसी बातें अंबरीष कुमार के साथ जुड़ी हैं। कांग्रेस को यहां पर अल्पसंख्यक और दलित वोटों पर बहुत भरोसा है, जो चुनाव का रुख बदलने में सक्षम हैं। हाल ही में हुए नगर निगम के मेयर के चुनाव में भाजपा को हराने के बाद कांग्रेस का यह विश्वास और मजबूत हुआ है कि यदि वह मेहनत कर ले तो उलटफेर मुश्किल नहीं है। हरिद्वार जिले के भीतर कांग्रेस के तीन विधायक हैं। कांग्रेस का दावा है कि मतदाता यदि भाजपा के खिलाफ वोट करने का मन बनाएगा तो उसका शर्तिया वोट कांग्रेस को ही पडे़गा। इन स्थितियों के बीच, दलित वोटों पर बसपा का भी मजबूत दावा है। वह इस सीट पर कभी जीती नहीं है, लेकिन उसने अपनी दमदार मौजूदगी हर बार दर्ज कराई है। अंतरिक्ष सैनी इस सीट पर सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार हैं। सपा एक बार यहां जीत चुकी है। सपा-बसपा का जितना उभार होगा, वह भाजपा को फायदा देगा। ये चुनाव में सिमटेंगे तो कांग्रेस विस्तार पाएगी। यह सामान्य सी बातें सबको पता है। राजनीतिक दलों के अपने अनुमान, दावों के बीच मतदाताओं ने क्या ठाना है, इसकी जानकारी के लिए लंबा इंतजार करना होगा। हरिद्वार संसदीय सीट वर्ष 1977 में अस्तित्व में आई। पहले यह सीट सहारनपुर संसदीय सीट का हिस्सा थी। अलग संसदीय क्षेत्र बनने के बाद यहां दस बार लोकसभा के सामान्य निर्वाचन हुए हैं। 1984 में एक बार उपचुनाव भी हो चुका है। अलग सीट बनने के बाद से ही वर्ष 2009 से पहले तक यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रही। ज्वालापुर निवासी डा. भगवानदास राठौर हरिद्वार सीट के पहले सांसद थे, जो जनता पार्टी के टिकट पर सांसद चुने गए थे। वर्ष 2009 में सामान्य सीट होने पर कांग्रेस के हरीश रावत और उनके बाद भाजपा के डा. रमेश पोखरियाल निशंक वर्ष 2014 में यहां से सांसद बने। इस सीट का इतिहास टटोलने पर शुरुआत का समय लोकदल के प्रभाव को सामने रखता है।
इसके बाद कुछ समय कांग्रेस युग रहा तो नब्बे के दशक में भगवा लहर पर सवार होकर आई भाजपा को लगातार तवज्जो मिली। पूरे चुनावी इतिहास में इस सीट पर सबसे ज्यादा पांच बार भाजपा को जीत मिली है। तीन बार कांग्रेस, दो बार लोकदल और एक बार सपा के कब्जे में यह सीट रही है। उत्तराखंड निर्माण के बाद वर्ष 2004 में हुए चुनाव में सपा के राजेंद्र बॉडी भाजपा, कांग्रेस और बसपा को चौंकाते हुए जीत हासिल करने में सफल रहे थे। इसके बाद वर्ष 2009 में इस सीट पर कांग्रेस के हरीश रावत जीते थे। वर्ष 2014 में उत्तराखंड के सीएम रहते हुए हरीश रावत के लिए जब चुनाव लड़ना मुनासिब नहीं रहा, तो उनके कोटे से उनकी पत्नी रेणुका रावत को टिकट दिया गया। भाजपा ने भी डोईवाला विधायक और पूर्व सीएम डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को मैदान में उतारा। यह चुनाव निशंक बनाम हरीश रावत रहा और जीत भाजपा के हिस्से आई। इस लोकसभा सीट के अंतर्गत का ज्यादातर क्षेत्र अपने नाम के अनुरूप हरिद्वार जिले से जुड़ा है, लेकिन तीन विधानसभा क्षेत्र ऐसे भी हैं, जो कि देहरादून जिले के अंतर्गत आते हैं। हरिद्वार जिले के अंतर्गत हरिद्वार, रानीपुर, हरिद्वार ग्रामीण, ज्वालापुर, पिरान कलियर, रुड़की, भगवानपुर, झबरेड़ा, मंगलौर, खानपुर और लक्सर विधानसभा क्षेत्र पूरी तरह से इस लोकसभा सीट का अंग है। देहरादून जिले की धर्मपुर, डोईवाला और ऋषिकेश विधानसभा हरिद्वार लोकसभा सीट का हिस्सा हैं।
पिछले तीन चुनावों का मतदान प्रतिशत कुछ इस तरह रहा था।
वर्ष 2004 – 53.19 प्रतिशत
वर्ष 2009 – 61.11 प्रतिशत
वर्ष 2014 – 73.10 प्रतिशत
प्रश्नकाल
डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक
-मतदाता आपको क्यों वोट दें?
सम्मानित मतदाताओं को मुझे कई वजह से वोट देना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने देश का समग्र विकास किया है। हमने विकास की योजनाओं का शत-प्रतिशत फायदा पात्र लोगों को दिलाया है। भ्रष्टाचार मुक्त भारत की दिशा में प्रभावी कदम उठाए हैं। आजादी के बाद से अब तक हरिद्वार से जितने भी सांसद हुए हैं। मैं कह सकता हूं कि मैंने उन सभी से ज्यादा कार्य किए हैं। मेरा कार्यकाल किसी भी सांसद के 50 साल के कार्यकाल पर भारी है। राजनीतिक रूप से कोई चुनौती नहीं है। बस विकास की गति को बनाए रखना मेरी प्राथमिकता है। ऐसे कौन से मुद्दे हैं, जिन्हें आप फिर से सांसद बनने पर प्राथमिकता के आधार पर लेना चाहेंगे। हरिद्वार संसदीय क्षेत्र में इस समय 25 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के विकास कार्य चल रहे हैैं। इन सभी को समयबद्ध ढंग से पूरा कराना मेरी प्राथमिकता है। इसके अलावा युवाओं, किसानों और गरीबों की समस्याओं का पूरी जवाबदेही के साथ निराकरण कराना मेरी प्राथमिकता में शामिल है। मुझे मतदाता इसलिए वोट देंगे क्योंकि उन्हें पता है कि मैं हमेशा जनता के हितों और उनके समस्याओं के निराकरण के लिए लड़ता रहता हूं। मेरे इस व्यवहार के बारे जनता अच्छी तरह जानती है। उन्हें यह पता है कि अगर मैं चुनाव जीतता हूं तो वे अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए निश्चिंत हो जाएंगे। भाजपा सरकार की नाकामी के चलते समस्याओं का अंबार है। चुनौती भाजपा के सामने है। हमारे सामने नहीं है। ऐसे कौन से मुद्दे होंगे, जिन्हें आप सांसद बनने पर प्राथमिकता में लेना चाहेंगे? भाजपा सरकार ने मूलभूत समस्याओं की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया है। किसान और नौजवानों की बात नहीं हुई है। मैं इन पर ध्यान दूंगा। 70 प्रतिशत स्थानीय रोजगार मुहैया कराएंगे। किसानों का भुगतान कराने के लिए सिस्टम विकसित किया जाएगा। क्षेत्र का समग्र विकास किया जाएगा। हरिद्वार में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की जरूरत है। इसका निर्माण सबसे पहले कराया जाएगा।
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