कम उम्र में पति की मौत के बाद दो छोटी बेटियों की जिम्मेदारी निभाना किसी भी महिला के लिए आसान नहीं होता। लेकिन नजमा आसिफ ने न केवल इस जिम्मेदारी को निभाया बल्कि अपनी बेटियों को सही मुकाम तक भी पहुंचाया। मां के संघर्ष से बेटियों को भी हौसला मिला और उन्होंने अपने सपने पूरे करने की तरफ कदम बढ़ा दिए हैं। रेसकोर्स निवासी नजमा आसिफ के पति प्रोफेसर अमीर आसिफ सेंट जोंस कॉलेज आगरा में पढ़ाते थे। उनकी दो बेटियां सारा और आतिका थी। सब कुछ ठीक चल रहा था। एक दिन काल के क्रूर पंजे ने अमीर आसिफ को दबोच लिया और हंसता-खेलता परिवार पल भर में बिखर गया। पांच वर्षीय सारा और तीन वर्षीय आतिका की जिम्मेदारी एकाएक नजमा के कंधों पर आ गई। ऐसे समय में नजमा ने हिम्मत नहीं खोई और दोनों बेटियों को संभाला। नजमा के पिता ने उन्हें सहारा दिया। नजमा ने अपनी दोनों बेटियों को मेहनत और संघर्ष की शिक्षा दी। उनके पति की इच्छा थी कि दोनों बेटियां डॉक्टर बने। दोनों बेटियों ने देखा कि पिता का सपना पूरा करने के लिए मां लगातार संघर्ष कर रही है। ऐसे में उन्होंने भी अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन मेडिकल कोचिंग की महंगी फीस उनके रास्ते का रोडा बन गई। तब विपिन बलूनी के सहयोग से आतिका की कोचिंग मुफ्त हो गई। एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा क्वालिफाई करने के बाद आतिका ने श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया, जहां से वह दूसरे वर्ष की पढ़ाई कर रही है। वहीं बड़ी बेटी सारा भी फिजियोथिरैपी का कोर्स कर रही है।
व्हाट्सएप पर शेयर करें
No Comments






