आईजी की कार में सवार पुलिसकर्मियों के प्रापर्टी डीलर से नोटों भरा बैग छीनने के मामले में एसटीएफ के पुलिस उपाधीक्षक ने दूसरे दिन (शनिवार) भी विवेचना ग्रहण नहीं की। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि पुलिस के साक्ष्य जुटाने के बाद कार्रवाई का हक क्याें छीना गया है? कहीं विवेचना में हीलाहवाली कर पुलिसकर्मियों को बचाव का समय तो नहीं दिया जा रहा है। सब कुछ साक्ष्य होने पर घटना के नौ दिन बाद भी आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ निलंबन से आगे की कार्रवाई क्यों नहीं बढ़ पा रही है? पुलिस महानिरीक्षक गढ़वाल अजय रौतेला की कार में सवार तीन पुलिसकर्मियों ने आचार संहिता की आड़ में प्रापर्टी डीलर अनुरोध पंवार को लूट लिया था। प्राथमिक जांच में साक्ष्यों का संकलन करने के बाद आईजी की संस्तुति के आधार पर पुलिस मुख्यालय ने शुक्रवार को विवेचना एसटीएफ के पुलिस उपाधीक्षक कैलाश पंवार के सुपुर्द कर दी थी। डालनवाला पुलिस आदेश होने के बाद से विवेचना से जुड़े दस्तावेज देने को तैयार बैठी है। चर्चा है कि लूट की रकम एक करोड़ या उससे ज्यादा हो सकती है। शनिवार को भी विवेचक इस गंभीर प्रकरण की विवेचना ग्रहण करने पहुंचे। ऐसे में विवेचना बदलने की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। क्या आरोपी पुलिसकर्मियाें को बचाव का समय दिया जा रहा है। चार अप्रैल को हुई घटना की सूचना पुलिस को सात अप्रैल को मिल गई थी। शनिवार को घटना हुए नौ दिन से अधिक का समय बीत गया, लेकिन पहचान और वारदात की पुष्टि के बावजूद आरोपी पुलिसकर्मी आजाद घूम रहे हैं। नि:संदेह लूट की घटना में साक्ष्य जुटाने में पुलिस का बड़ा योगदान रहा है। लूट के शिकार प्रापर्टी डीलर अनुरोध पंवार को न तो गाड़ी का नंबर पता था और न पुलिसकर्मियों के बारे में कोई जानकारी। पुलिस ने पहले सीसीटीवी कैमरे से शिकायतकर्ता के बयान की पुष्टि की। प्राथमिक जांच में पहले सीसीटीवी फुटेज में रात में जली लाइटों की चकाचौंध में आईजी की कार का नंबर नहीं नजर आ रहा था। पंवार के बयान की पुष्टि करने के बाद पुलिस ने आरोपियों की तलाश शुरू की। लूट की वारदात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से पहली रात हुई थी। उस समय प्रदेशभर से पुलिसकर्मी शहर में ड्यूटी पर आए थे। ऐसे में पुलिसकर्मियाें को चिह्नित करना किसी चुनौती से कम नहीं था। आईजी की कार में सवार होकर प्रापर्टी डीलर से लूट के मामले में सिपाही का कार में मोबाइल गिरना पुलिसकर्मियाें के लिए भारी पड़ गया। सिपाही ने अपने साथियाें तक पहुंचने को स्थैतिक निगरानी टीम में शामिल एक होमगार्ड के नंबर से कॉल की थी। सर्वे चौक पर जांच पड़ताल के दौरान मिले इस महत्वपूर्ण सुराग की बदौलत पुलिस आरोपियाें की पहचान करने में कामयाब हुई। राजपुर रोड पर चार अप्रैल की रात प्रापर्टी डीलर अनुरोध पंवार को आईजी की कार में बैठाते समय घटना में शामिल एक सिपाही का मोबाइल गिर गया था। यही सिपाही प्रापर्टी डीलर की कार को आईजी की कार के पीछे लेकर चला था। रास्ते में ट्रैफिक होने के कारण दोनों गाड़ियां आगे-पीछे हो गई थी। सिपाही के पास मोबाइल न होने के कारण वह आईजी की कार में चल रहे साथियों से संपर्क नहीं कर पाया था। इस सिपाही ने सर्वे चौक पर स्थैतिक निगरानी टीम में शामिल एक होमगार्ड का मोबाइल लेकर साथी सिपाही को फोन किया था। अनुरोध पंवार ने पुलिस को बताया था कि आरोपी पुलिसकर्मी उसे सर्वे चौक पर छोड़कर गए थे। पुलिस ने उस रात सर्वे चौक पर तैनात पुलिसकर्मियाें से पूछताछ की। इसी बीच होमगार्ड ने सिपाही के फोन करने वाले तथ्य का खुलासा किया। होमगार्ड के मोबाइल से मिले नंबर के आधार पर पुलिस आरोपियों तक पहुंच गई। आईजी की कार में सवार पुलिसकर्मियाें के प्रापर्टी डीलर से लूट के मामले में फंसे कांग्रेस नेता अनुपम शर्मा शनिवार को सामने नहीं आए। उन्हाेंने दावा किया था कि लूटी गई रकम किसी प्रत्याशी की थी। वह साक्ष्यों के साथ इसका खुलासा करेंगे। प्रापर्टी डीलर अनुरोध पंवार ने पुलिस को बताया था कि कांग्रेस नेता अनुपम शर्मा के बुलावे पर वे पेमेंट लेने डब्ल्यूआईसी क्लब गए थे। बाद में अनुपम शर्मा ने पुलिसकर्मियाें से सांठगांठ से नोटों से भरा बैग लुटवा दिया था। बृहस्पतिवार को अनुपम शर्मा ने यह कहकर सनसनी फैला दी थी कि यह रकम किसी प्रत्याशी की थी। वह एक-दो दिन में साक्ष्यों के साथ प्रत्याशी के नाम का खुलासा करेंगे। शनिवार को अनुपम सामने नहीं आए। पुलिस को भी अनुपम की सरगर्मी से तलाश है, क्याेंकि उनके खिलाफ संकलित साक्ष्यों को लेकर पुलिस उनका पक्ष जानने को उत्सुक हैं।
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