बुंदेलखंड में खेती के दुश्मन बने अन्ना पशुओं को लेकर आए दिन किसानों द्वारा सड़कों पर किए जा रहे विरोध प्रदर्शन के साथ ही संसद में भी यह मुद्दा गूंजा है। दैवी आपदाओं से बमुश्किल बची और कर्ज लेकर किसानों द्वारा बोई गई फसलों को अन्ना पशु लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं। सोमवार को लोकसभा में शून्य काल के दौरान बुंदेलखंड का यह संकट मुद्दा बन गया। बांदा-चित्रकूट सांसद भैरो प्रसाद मिश्र ने कहा कि रबी की फसल बचाने के लिए किसानों के सामने गंभीर चुनौती खड़ी हो गई है। सांसद ने सोमवार की दोपहर लोकसभा में शून्यकाल के दौरान अध्यक्ष और केंद्र सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि बुंदेलखंड में अन्ना जानवर विकराल समस्या बन चुके हैं। अन्ना जानवर किसानों की फसलें बर्बाद कर रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकार की किसान कल्याणकारी योजनाएं अन्ना जानवरों के चलते बेकार जा रही हैं। किसानों की लागत और मेहनत बर्बाद हो रही है। सांसद ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों ने गोशाला और कान्हा गोशाला बनाने के लिए बजट भेजा था, लेकिन कार्यदाई संस्थाओं की लापरवाही से यह कार्य नहीं हो पा रहा। सरकार एक तरफ किसानों की आमदनी दोगुनी करने का प्रयास कर रही है, दूसरी तरफ अन्ना पशु उन्हें बर्बाद कर रहे हैं। सांसद ने कहा कि बुंदेलखंड के कई स्थानों पर किसानों ने जानवरों को बंद कर रखा है, लेकिन खुले आसमान तले ठंड और चारा-पानी न मिलने से उनकी मौत हो रही है। सांसद ने मांग की कि बुंदेलखंड पैकेज से बनाई गई नई मंडियों में अस्थायी गोशालाएं अविलंब खोली जाएं और बजट देकर वहां पानी, छाया आदि की व्यवस्था की जाए। छात्र संघ पूर्व अध्यक्ष और सपा पूर्व जिला उपाध्यक्ष अशोक सिंह गौर ने कहा है कि अन्ना गायों के साथ नीलगाय और जंगली हिरन आदि भी किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। किसान आपस में चंदा करके पशुबाड़ा बनवाए हैं, लेकिन चारा-पानी की व्यवस्था नियमित नहीं हो पा रही। सपा नेता ने मांग की कि सरकार जिस तरह कृषि यंत्रों पर छूट दे रही है, उसी तरह कंटीले तारों और लोहे के एंगल पर किसानों को 80 फीसदी छूट/अनुदान दे, ताकि किसान अपने खेतों के चारों तरफ घेराबंदी कर सकें। यह योजना सभी किसानों पर सामान्य रूप से लागू की जाए।
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