भ्रष्टाचार निवारण संगठन की टीम ने बुधवार शाम लखनऊ विकास प्राधिकरण के लिपिक अनिल कपूर को 5000 रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। वह प्लॉट की रजिस्ट्री कराने आए मनिलाल से ‘चाय-पानी’ के नाम पर 5000 रुपये मांग रहा था। लिपिक के खिलाफ गाजीपुर थाने में भ्रष्टाचार की धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। बृहस्पतिवार को उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा। संगठन के पुलिस अधीक्षक राजीव मेहरोत्रा ने बताया कि ठाकुरगंज के नैपियर रोड निवासी मनिलाल उर्फ मेंदीलाल ने उनसे शिकायत की कि चौक के कटारी टोला में रहने वाला लिपिक अनिल कपूर रजिस्ट्री करने के लिए 5000 रुपये की रिश्वत मांग रहा है। इसकी जांच कराई गई तो पता चला कि फाइल में कोई कमी नहीं होने के बाद भी जानबूझकर रजिस्ट्री में देरी की जा रही है। इसके बाद लखनऊ की टास्क फोर्स को लिपिक के पीछे लगाया गया। प्राधिकरण के गेट के बाहर बुधवार को रिश्वत लेते हुए टास्क फोर्स ने अनिल को रंगे हाथों पकड़ लिया। भ्रष्टाचार निवारण संगठन के सामने आए तथ्यों के मुताबिक मनिलाल को करीब 24 साल के बाद नेहरू एंक्लेव में विवादित प्लॉट मिला था। सेना की जमीन की वजह से इस भूखंड का समायोजन शारदानगर योजना में कर दिया गया था। योजना सहायक अनिल कपूर को शारदानगर विस्तार का भी काम दे दिया था और वह रजिस्ट्री के लिए घूस मांगने लगा। 24 साल के संघर्ष के बाद भूखंड मिला, उसके लिए भी रिश्वत मांगे जाने पर आक्रोश से भरे मनिलाल ने इसकी शिकायत कर दी। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक लिपिक अनिल कपूर यूको बैंक वाले गेट से करीब पांच बजे शाम को चाय पीने के लिए बाहर निकला था। पराग पार्लर पर एक व्यक्ति से बात हुई। शायद यह शिकायत करने वाला आवंटी ही होगा। अचानक से कुछ लोग आए और लिपिक को गाड़ी में बिठाकर ले जाने लगे। कुछ देर पहले बात करने वाला आदमी भी उनके साथ था। बाद में पता चला कि भ्रष्टाचार निवारण संगठन की टास्क फोर्स उसे ले गई है। 2017 में तत्कालीन सचिव जयशंकर दुबे के आदेश पर अनिल कपूर को संपत्ति विभाग से हटाया गया था। इसके बाद फि र से कैसे उसे संपत्ति विभाग में वही योजनाएं मिल गईं। यह भी बड़ा सवाल है?
एलडीए में रिश्वत लेते हुए दो बाबू मुख्तार और जफर अहमद पहले भी एंटी करप्शन की टीम द्वारा पकड़े जा चुके हैं। इनको बाद में बहाल कर दिया। दोनों इस समय एलडीए की सेवा में हैं। वहीं दो चर्चित बाबू मुक्तेश्वर नाथ ओझा और काशीनाथ राम को पहले ही वीसी प्रभु एन सिंह भ्रष्टाचार के आरोपों में बर्खास्त कर चुके हैं। मुक्तेश्वर नाथ ओझा को तो वीसी ने अपने ही कार्यालय से पुलिस को सौंपा था। मैं पूरी तरह भ्रष्टाचार के खिलाफ हूं। अगर कोई रिश्वत लेता हुआ पकड़ा जाता है, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। घूसखोरों को कोई राहत नहीं मिलेगी। जांच कर रही टीम को पूरा सहयोग प्राधिकरण से मिलेगा। उन्हें जो भी सूचना या मदद चाहिए। उन्हें उपलब्ध कराई जाएगी। – पीएन सिंह, वीसी, एलडीए
व्हाट्सएप पर शेयर करें
No Comments






