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Monday, May 19, 2025 6:46:29 AM

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इनामी बदमाश का आपराधिक इतिहास बताने में नाकाम रही पुलिस, जमानत पर छूटा

इनामी बदमाश का आपराधिक इतिहास बताने में नाकाम रही पुलिस, जमानत पर छूटा

पुलिस की लचर कार्यशैली और अदालत में प्रभावी तरीके से पैरवी न कर पाने का फायदा अपराधी खूब उठाते हैं। इसका उदाहरण एक बार फिर वाराणसी के चौक थाना के हकाक टोला निवासी सलमान मलिक उर्फ अन्ना की जमानत के दौरान अदालत में देखने को मिला। अदालत को पुलिस यह तक न बता सकी कि अन्ना पर कितना इनाम घोषित था और उसका आपराधिक इतिहास क्या है। नतीजा यह रहा कि अदालत ने एक लाख रुपये का बंधपत्र जमा करने पर अन्ना को रिहा करने का आदेश दे दिया। हालांकि, एक अन्य आपराधिक मामले का आरोपी होने के कारण अन्ना अभी जिला जेल में ही निरुद्ध है। इस प्रकरण की जानकारी एसएसपी आनंद कुलकर्णी को हुई तो उन्होंने मंगलवार की देर रात क्राइम मीटिंग के दौरान इंस्पेक्टर चौक वेद प्रकाश राय और इंस्पेक्टर सारनाथ दिनेश पांडेय को जमकर फटकार लगाते हुए उनके खिलाफ जांच का आदेश दिया। साथ ही, मुकदमे के विवेचक और पैरोकार को निलंबित करने का आदेश देते हुए कहा कि प्रकरण की जांच कराकर रिपोर्ट के आधार पर पैरवी में लापरवाही बरतने वाले सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाए। 25 हजार के इनामी बदमाश अन्ना और उसके साथी राहुल यादव को बीती 23 अगस्त को पुलिस मुठभेड़ में सारनाथ क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया था। एडीजे प्रथम की अदालत में अन्ना की ओर से जमानत के लिए याचिका प्रस्तुत की गई। अन्ना पर हत्या का प्रयास, डकैती, रंगदारी, बलवा और गैंगेस्टर एक्ट सहित अन्य आरोपों में 10 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। अदालत में जमानत अर्जी का विरोध करने के लिए पुलिस कोई ठोस तथ्य प्रस्तुत नहीं कर सकी। माना जा रहा है कि पुलिस ने अन्ना से मिलीभगत करके ऐसा किया, ताकि उसे जमानत मिलने में दिक्कत न आने पाए। एसएसपी आनंद कुलकर्णी ने कहा कि यह एक गंभीर चूक है और इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसके लिए इंस्पेक्टर चौक और इंस्पेक्टर सारनाथ को फटकारने के साथ ही उनके खिलाफ जांच शुरू करा दी गई है। प्रकरण के विवेचक और पैरोकार को निलंबित करने का आदेश दिया गया है। विवेचना और अदालत में मुकदमे की पैरवी में लापरवाही का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले लखनऊ जेल में निरुद्ध पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति पर जंगमबाड़ी निवासी व्यापारी से रंगदारी मांगने के आरोप में दशाश्वमेध थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। दर्ज मुकदमे के आधार पर पुलिस ने लखनऊ से दो आरोपियों को गिरफ्तार भी किया, लेकिन विवेचना के दौरान दशाश्वमेध इंस्पेक्टर रहे बालकृष्ण शुक्ला ने गायत्री का नाम मुकदमे से बाहर कर दिया। प्रकरण की जानकारी एसएसपी को हुई तो उन्होंने इंस्पेक्टर बालकृष्ण को निलंबित कर विवेचना क्राइम ब्रांच को सौंप दी। इसके बाद लखनऊ जेल में वारंट बी तामील कराया गया और तफ्तीश आगे बढ़ी। प्रदेश सरकार के स्तर से निर्देश है कि गंभीर किस्म के आपराधिक मामलों में जिसका नाम बार-बार प्रकाश में आए उसकी हिस्ट्रीशीट खोली जाए और गैंग पंजीकृत की जाए। मगर, सलमान उर्फ अन्ना के मामले में चौक और सारनाथ थाने की पुलिस ने हद दर्जे की लापरवाही बरती। पुलिस रिकार्ड के अनुसार सलमान के साथ 10 से ज्यादा मुकदमों का आरोपी उसका भाई शाहरुख, 13 से ज्यादा मुकदमों का आरोपी 50 हजार का इनामी अमन और छह से ज्यादा मुकदमों का आरोपी शेरू खां और फैजान सहित अन्य गिरोह बनाकर संगठित अपराध करते हैं। सलमान की हिस्ट्रीशीट क्यों नहीं खोली गई और उसकी गैंग पंजीकृत क्यों नहीं की गई, इसे लेकर भी एसएसपी ने जांच का आदेश दिया है।

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