धानमंत्री नरेंद्र मोदी के बड़े भाई सोमभाई मोदी मंगलवार को गाजीपुर में सिद्धपीठ हथियाराम मठ स्थित बुढ़िया माई मंदिर में पहुंचे। उनके साथ उनकी पत्नी भी थीं। महामंडलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यति महाराज द्वारा जब उपस्थित लोगों से उनका परिचय प्रधानमंत्री के बड़े भाई के रूप में कराया, तो उन्होंने बीच में ही रोक दिया। साथ ही वह लोगों के बीच खड़े होकर क्षमा याचना के साथ बोले कि ‘मेरे और प्रधानमंत्री के बीच एक परदा है, मैं उसे देख सकता हूं, पर आप नहीं देख सकते हैं। मैं नरेंद्र मोदी का भाई हूं, प्रधानमंत्री का नहीं। प्रधानमंत्री मोदी के लिए तो मैं 125 करोड़ देशवासियों में से ही एक हूं, जो सभी उसके भाई-बहन हैं। ’ महंथ बालकृष्ण यति कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय की छात्राओं को शक्ति का अवतार बताते हुए कहा कि मैं इस शक्तिपीठ पर माई बुढ़िया से कामना करता हूं कि आप सभी शक्ति स्वरूपा देश के कल्याण के निमित्त आप अपना योगदान करें। छात्राओं ने दुर्गा वंदना और पुष्प अर्पित कर स्वागत प्रस्तुत किया। वैदिक बटुकों ने मंगलाचरण करते हुए पारंपरिक स्वागत किया। जिससे मोदी जी अभिभूत दिखे। सोमभाई मोदी एवं अन्य अतिथियों का स्वागत संभाषण अमिता दुबे ने किया। सिद्धपीठ हथियाराम मठ स्थित बुढ़िया माई मंदिर में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बड़े भाई सोमभाई मोदी मंगलवार को पत्नी के साथ दर्शन-पूजन करने पहुंचे। इस दौरान वह सिद्धपीठ के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यति जी महाराज का दर्शन-पूजन करने वाराणसी स्थित कर्णघंटा मठ पर पहुंचे। वहीं से उन्होंने महामंडलेश्वर से बुढ़िया माई के दर्शन-पूजन की इच्छा जाहिर की। महामंडलेश्वरजी के साथ उनका सिद्धपीठ पर आगमन हुआ। वहां उन्होंने सिद्धपीठ स्थित बुढ़िया माई मंदिर में मत्था टेका। वह यहां की यात्रा से अभिभूत नजर आए। सिद्धपीठ स्थित महंथ बालकृष्ण यती कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य एवं सिद्धपीठ ब्रह्मचारी संत डॉ. रत्नाकर त्रिपाठी ने बताया कि सोमभाई मोदी के साथ उनकी पत्नी एवं कुछ व्यक्तिगत मित्र शामिल थे। उन लोगों का सिद्धपीठ पर वैदिक रीति-रिवाज से वैदिक बटुकों द्वारा स्वस्ति वाचन कर स्वागत किया गया। दर्शन-पूजन के बाद अभिभूत सोमभाई मोदी ने कहा कि सिद्धपीठ की इस धरा को प्रणाम करने की अर्से से ललक लगी हुई थी। आज बुढ़िया माई के दर्शन कर मैं अपने को धन्य समझता हूं। दर्शन-पूजन के बाद सोमभाई मोदी अपने मित्रों सहित महामंडलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यति महाराज के साथ वाराणसी वापस चले गए।
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