उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता में आने के बाद उत्तरप्रदेश पिछड़ा वर्ग सामाजिक न्याय समिति का गठन किया था. समिति ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी है. इसके तहत आरक्षण व्यवस्था में अहम बंटवारे की बात सामने आ रही है. अब इसी को लेकर यूपी में सियासत गरमाई हुई है. आरक्षण में इस बंटवारे को लेकर प्रदेश में तमाम राजनीतिक संगठन अपने सियासी नफे-नुकसान को आंकने में जुट गए हैं. उधर बीजेपी के सहयोगी दल भी इस नई संभावित व्यवस्था को लेकर सरकार पर दबाव बनाने में लगे हैं.एक तरफ सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और योगी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर मामले में हमलावर दिखाई दे रहे हैं. वह सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि ये नई व्यवस्था लागू की जाए. दूसरी अहम सहयोगी पार्टी अनुप्रिया पटेल की अपना दल (एस) का स्टैंड इसके विपक्ष में है. पार्टी आरक्षण बंटवारे की इस कवायद की मुखालफत करती दिख रही है.बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) का कहना है कि जातिगत जनगणना के आधार पर जिसकी जितनी हिस्सेदारी हो उसी अनुपात में उसकी भागीदारी होनी चाहिए. अपना दल (एस) के राष्ट्रीय प्रवक्ता बृजेन्द्र प्रताप सिंह कहते हैं कि उनकी पार्टी लाइन यही है कि हिस्सेदारी के अनुपात में ही भागीदारी होनी चाहिए. उन्होंने उम्मीद जताई कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनकी पार्टी लाइन को ध्यान में रखते हुए ही कदम उठाएंगे.दिलचस्प बात ये है कि अपना दल (एस) का स्टैंड यूपी में प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के स्टैंड से मेल खाता है. सपा के अनुराग भदौरिया कहते हैं कि जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी. इसलिए जिसकी जितनी संख्या है, उसे उसी आधार पर आरक्षण देना चाहिए.मामले में डिप्टी सीएम केशव मौर्य कहते हैं कि अभी समिति की सिफारिशों का अध्ययन हो रहा है. जिसमें सबका उत्थान हो, सबका विकास हो और सर्वसमाज को सम्मान मिले उसके लिए केंद्र सरकार ने कमेटी गठित की थी. उसकी रिपोर्ट आ गई है. यह सिफारिश स्वागत योग्य है. अभी इस पर अध्ययन चल रहा है जो भी सरकार फैसला लेगी उससे मीडिया को अवगत कराया जाएगा.बता दें बीजेपी सरकार में मंत्री ओमप्रकाश राजभर हर मंच से पिछड़ों के कोटा में कोटा करने की बात करने लगे. जिसके बाद योगी सरकार को रिटायर्ड जज राघवेंद्र कुमार की अध्यक्षता में कमेटी गठित करनी पड़ी. कमेटी में पूर्व नौकरशाह जेपी विश्वकर्मा, बीएचयू के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर भुपेंद्र सिंह और सीनियर एडवोकेट अशोक राजभर भी शामिल रहे. अब रिपोर्ट सामने है. जिसमे कहा गया है कि 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को तीन समान भागों में बांट दिया जाए. इसके तहत पिछड़ा, अति पिछड़ा और सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग बनाने की सिफारिश की गई है.
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