अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित की गई सभा समाप्त हो गई। धर्मसभा में विहिप द्वारा करोड़ों हिंदुओं की आस्था को ध्यान में रखते हुए मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन जारी रखने का संकल्प लिया गया। रविवार को राम की नगरी में आयोजित धर्मसभा के लिए सुबह से ही रामभक्तों का तांता लगा रहा। प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। मगर रामभक्तों का रेला उमड़ा तो पूरी अयोध्या उनके कब्जे में आ गई। धर्मसभा को संबोधित करते हुए विश्व हिंदू परिषद के अन्तर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने कहा कि राम मंदिर के लिए हमें भूमि का बंटवारा मंजूर नहीं। सुन्नी वक्फ बोर्ड को अपना केस वापस लेना चाहिए। हमें पूरी की पूरी जमीन चाहिए। उन्होंने कहा कि अब मंदिर मुद्दे पर कोई और सभा नहीं होगी, सीधे निर्माण प्रारंभ होगा। वहीं, रामभद्राचार्य ने कहा कि राममंदिर को लेकर सरकार 11 दिसंबर के बाद एलान करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मध्य प्रदेश में राम मंदिर पर दिए गए बयान के बाद इसके निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान मोदी ने कांग्रेस पर मंदिर निर्माण में अड़चन डालने का आरोप लगाया। प्रदेश के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर आनंद कुमार ने रविवार दोपहर की गई प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि धर्मसभा में करीब 75 हजार लोग मौजूद हैं, जबकि लगभग 27000 लोगों ने रामलला के दर्शन किये। अयोध्या में धर्मसभा के लिए बड़ी संख्या में पहुंचे विश्व हिंदू परिषद व अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने शिवसैनिकों की तर्ज पर ‘पहले मंदिर फिर सरकार, हर हिंदू की यही पुकार’ के नारे लगाए। आपको बता दें कि शनिवार को शिवसेना की ओर से आयोजित की गई संत आशीर्वाद सभा में शिवसैनिक यही नारे लगा रहे थे। वहीं, शिवसेना अध्यक्ष उद्घव ठाकरे ने सभा में अपने संबोधन के दौरान केंद्र सरकार पर निशाना साधा था और कहा था कि मैं चार साल से सो रह कुंभकरण को जगाने आया हूं। अब नारा नहीं, मंदिर निर्माण की तारीख बताएं। उन्होंने कहा था कि अगर मोदी सरकार मंदिर पर संसद में अध्यादेश लाती है तो शिवसेना उसका समर्थन करेगी। पूर्व मंत्री व कुंडा के निर्दलीय विधायक राजा भैया ने कहा कि अयोध्या में राममंदिर निर्माण पर रोज-रोज नौटंकी बंद होनी चाहिए। इस मुद्दे पर भाजपा को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। बंद कमरे में नेता कुछ बोलते हैं और बाहर निकलने के बाद जनता के बीच कुछ और। मंदिर के मुद्दे पर भाजपा को अपनी स्पष्ट राय देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अयोध्या में लोगों की आस्था को देखते हुए राममंदिर का निर्माण होना चाहिए, लेकिन इसके लिए सबकी सहमति हो। यदि ऐसा नहीं हो पाता तो संवैधानिक तरीके से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का लोगों को इंतजार करना चाहिए। जब भी चुनाव करीब आता है राम मंदिर का मुद्दा गरमाया जाता है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि अपनी कमियों व विफलताओं से जनता का ध्यान बंटाने के लिए भाजपा ने पर्दे के पीछे से राम मंदिर निर्माण के लिए अभियान शुरू कराया है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है। इसका निपटारा कोर्ट से ही होना चाहिए। मायावती ने दिल्ली में मीडिया से बातचीत में कहा कि छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश में भाजपा सत्ता में आने वाली नहीं है। लोकसभा चुनाव में भी वह सत्ता में आने वाली नहीं है। इसका एहसास भाजपा, आरएसएस व उसकी सहयोगी पार्टी शिवसेना को भी है। इसीलिए ये सोची-समझी रणनीति के तहत राम मंदिर निर्माण का मामला उठा रहे हैं। साधु-संतों, आरएसएस व शिवसेना को आगे कर अभियान चलाया जा रहा है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर विश्व हिंदू परिषद की हो रही धर्मसभा के बीच लखनऊ में भी सियासी पारा चढ़ने लगा है। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ राज्यपाल रामनाईक से राममंदिर व प्रदेश की कानून-व्यवस्था सहित कई मुद्दों पर चर्चा की और उन्हें ज्ञापन सौंपा। वहीं, उनके समर्थकों ने राजभवन का घेराव किया और प्रदेश की योगी सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। शिवपाल ने कल भी धर्मसभा को लेकर बयान दिया था कि अयोध्या में धारा 144 लागू होने के बाद भी भीड़ को एकत्र होने दिया जा रहा है। किसी भी कीमत पर विवादित भूमि पर सवोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना नहीं होनी चाहिए। अगर राज्य व जिला प्रशासन स्थिति को नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाना चाहिए।
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