बहराइच। चुनावी सावन बस चन्द महीनो में ही शुरू होने को है ऐसे में वोटरों को लुभाने के लिये सियासी ज़मीन बनाने की कवायदें तेज़ होने लगी हैं। चाहे सत्ताधारी दल हो या विपक्षी पार्टियां सभी चुनावी मैदान में बाज़ी मारने के लिये अपना-अपना ताना-बाना बुनने लगी हैं। ऐसे में अब घोषणाओं की झड़ियाँ लगने लगी हैं। इसे जिले का सौभाग्य कहें या दुर्भाग्य कुछ समझ नहीं आता। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान जिले में रेलवे का मुद्दा छाया था और इस बार भी रेलवे का ही मूद्दे छाए रहने के पूरे आसार हैं। इस अति पिछड़े जिले में शिक्षा स्वास्थ्य और बेरोजगरी जैसे तमाम ऐसे गम्भीर मुद्दे हैं जिनको मुद्दा बनाना शायद सफेद पोशाकधारियों को रास नहीं आता। यह सही है जिले में बेहतर रेल सेवा की नितांत आवश्यकता है इससे न सिर्फ जिले के पर्यटन क्षेत्र में बढ़ावा मिलेगा बल्कि लोगों को जनपद में बढ़ती बेरोजगारी से ऊंट के मुंह मे जीरा वाली ही सही लेकिन कुछ रोजगार के अवसर मयस्सर तो हो सकेंगे। बीते दिन केन्द्रीय मंत्रिमंडल से जनपद से ख़लीलाबाद के बीच 240 किलोमीटर लम्बे रेलमार्ग के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गयी और इसके लिये भारी भरकम रकम को भी मंजूरी दे दी लेकिन यह मंजूरी दूर के ढोल सुहावने ही न साबित हों क्योंकि पिछले लगभग दो सालों से जिले से गोण्डा तक कि रेल सेवा बन्द चली आ रही है। हर रोज़ ट्रेनों के संचालन की तारीखों के इंतेज़ार में यात्री आस लगाये हैं और लगातार बैठकों के बावजूद भी जिले से गोण्डा तक के 62 किलोमीटर की रेल सेवा का आनन्द अब तक जिले वासी नहीं ले सके हैं। अब आप स्वयं ही अंदाज़ा लगा लीजिये की जब छोटी लाइन की पटरियों को हटा कर उसके स्थान पर बड़ी लाइन की पटरियां और उस पर रेलगाड़ी दौडाने में दो साल का इतना लंबा सफर बीतने के बाद भी यात्री रेल यात्रा से महरूम हैं तो 240 किलोमीटर तक के लिये नए सिरे से रेलमार्ग की शुरुआत करने और उस पर छुकछुक गाड़ी दौड़ाने में कितने वर्ष लगेंगे इसका अंदाज़ा आप स्वयं लगा सकते हैं। बहर हाल चुनावी मौसम है ऐसे में हो सकता है कि नतीजों से पहले ज़मीनें तलाश ली जायें और नई रेल लाइन दौड़ाने का सफर शुरू भी हो जाये लेकिन देखने वाली बात होगी कि इस नए रेल सफर का आनन्द हम और आप कब तक ले सकेंगे। फिलहाल जिले वासियों से जिम्मेदारों से यही दरकार है कि बहराइच से खलीलाबाद रेल संचालन शुरू हो या न हो लेकिन दो साल से बन्द पड़ी बहराइच गोण्डा रेल सेवा की बहाली हो जाये तो समझो जिंदगी की जंग जीत ली। मंजूरी मिलने के बाद से जिस तरहबसे जिले में खुशी की लहर दौड़ी और रेल यात्रा प्रेमियों के चेहरों पर मुस्कानें खिलीं यह मुस्कान सलामत रहे इसकी ईश्वर से कामना है क्योंकि 1978 में ख़लीबाद से बलरामपुर के बीच रेल मार्ग निर्माण के लिये रेल मंत्रालय ने मंजूरी दी थी, लेकिन निर्माण कार्य शुरू होने से पहले ही इस योजना को रद्द कर दिया गया था आशा है कि यह इतिहास दोबारा दोहराया नहीं जायेगा। लोकसभा चुनाव का बिगुल बस बजने को ही है ऐसे में योजनाओं और परियोजनाओं का पिटारा अब खुलने लगा है। बीते दिन केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्तर प्रदेश में बहराइच और खलीलाबाद के बीच नई रेल लाइन को बुधवार को मंजूरी प्रदान कर दी। इस रेल लाइन के बनने से उत्तर प्रदेश के बहराइच, बलरामपुर, श्रावस्ती और सिद्धार्थ नगर जैसे चार जिलों को फायदा होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी। सरकार द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, इस नई रेल लाइन के निर्माण से करीब 57.67 लाख प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित होंगे। इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत 4939.78 करोड़ रुपए है और यह परियोजना 2024-25 में पूरी होगी। विज्ञप्ति में कहा गया है कि नई रेल लाइन से क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। यह रेल लाइन गौतमबुद्ध के जीवन से जुड़ी श्रावस्ती से होकर गुजरेगी। श्रावस्ती जैन धर्म के मतावलम्बियों का एक महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्र भी है। नई रेल लाइन देवी दुर्गा के प्रसिद्ध 51 शक्तिपीठों में से एक देवीपाटन मंदिर के लिए भी बेहतर संपर्क सेवा उपलब्ध कराएगी। ऐसे में यह रेल लाइन भींगा, श्रावस्ती, बलरामपुर, उतरौला, डुमरियागंज, मेहदावल और बंसी से होकर गुजरेगी। इस बड़ी लाइन की कुल लम्बाई 240.26 किलोमीटर होगी। नई रेल लाइन क्षेत्र में सामाजिक और आर्थिक महत्व वाले औद्योगिक विकास को बुनियादी आधारभूत संरचना उपलब्ध कराएगी। इसके साथ ही यह परियोजना बड़ी लाइन के जरिए क्षेत्र के आर्थिक विकास में मददगार बनेगी। यह बहराइच-खलीलाबाद के बीच वैकल्पिक रेल मार्ग के साथ ही सीमावर्ती जिलों को एक दूसरे से जोड़ेगी। इस रेल लाइन से परियोजना क्षेत्र में पड़ने वाले इलाकों के स्थानीय निवासियों को रेल सेवा उपलब्ध होने के साथ ही वहां के लघु उद्योगों को भी विकसित होने में मदद मिलेगी। नीति आयोग द्वारा चिन्हित किए गए 115 आकांक्षी जिलों में से 4 इस परियोजना क्षेत्र में हैं। इन जिलों में बहराइच, बलरामपुर, श्रावस्ती और सिद्धार्थ नगर शामिल है। हालांकि पिछले दो वर्षो से आमान परिवर्तन के कारण बहराइच से गोण्डा के बीच रेल सेवा ठप है जिसके शुरू होने का यात्रियों को बेसब्री से इंतेज़ार है। अभी पिछले महीने के आखिरी सप्ताह में पूर्वोत्तर रेलवे के अफसरों व इन इलाकों के सांसदों की लखनऊ में एक अहेम बैठक हूई थी जिसमें यह सहमति बनी थी कि अक्टूबर में बहराइच गोंडा के बीच ट्रेनों का संचालन शुरू हो जायेगा। बड़ी लाइन बिछने तथा रूट चेक करने के लिए माल गाड़ियों के आने जाने के बाद से ही लोगों की उम्मीद बढ़ गई थी कि अब संचालन शुरू हो जाएगा। यह जनपद वासियों को राहत देने वाली खबर थी। बताते चलें कि बहराइच से गोंडा के बीच करीब 300 करोड़ की लागत से 62 किलोमीटर लंबे रेलमार्ग को छोटी लाइन से बड़ी लाइन में बदलने का काम पूरा हो गया है। पूर्वोत्तर रेलवे के मंडलीय कार्यालय लखनऊ में पूर्वोत्तर रेलवे मण्डलीय समिति की बैठक हूई थी और इस बैठक में क्षेत्र के16 सांसदों में से 8 सांसद व बहराइच सांसद के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। जिसमें अक्टूबर में ट्रेनों का संचालन शुरू होने के संबन्ध में सहमति बनी थी लेकिन अक्टूबर माह भी खत्म होने को है और बहराइच से गोण्डा के बीच रेल सेवा कब बहाल होगी इसके समय सीमा का अब तक कुछ अता पता नहीं है। हालांकि आम चर्चा यह ही कि चुनावी बहार के समय के और करीब आने की प्रतीक्षा की जा रही है ट्रेन संचालन का शुभारम्भ करने के लिये ताकि चुनाव में इसे भुनाया जा सके। जिला मुख्याल को उत्तर प्रदेश के संत कबीरनगर जिला मुख्यालय के खलीलाबाद रेलवे स्टेशन से जोड़ने वाले रेल मार्ग के लिए योजना आयोग ने 4500 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। अधिकारिक सूत्रों ने की माने तो मेहदावल, बांसी, डुमरियागंज, उतरौला, बलरामपुर और श्रावस्ती होकर बहराइच तक जाने वाले 220 किलोमीटर लंबे इस रेल मार्ग के निर्माण की स्वीकृति पिछले साल हुए सर्वे के बाद रेल मंत्रालय ने दी थी और अब योजना आयोग ने इस रेल मार्ग के निर्माण के लिए 4500 करोड़ रूपये मंजूर किए है। अब देखना यह है कि इस मंजूरी को हरी झंडी मिलने के बाद इस पर कार्य की शुरुआत कब तक हो सकेगी साथ ही दो साल से ठप बहराइच से गोण्डा के बीच रेल पटरी पर कब तक दौड़ सकेगी।
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