प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के मुुखिया शिवपाल सिंह यादव ने सपा के खिलाफ जमकर तेवर दिखाए। उरई जिला पंचायत भवन में उन्होंने कहा कि पहली बात तो 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन होने वाला नहीं है, यदि होता भी है तो वह कहेंगे कि उनकी पार्टी को इसमें शामिल किया जाए, लेकिन शर्त यही होगी कि भागीदारी (सीटें) पूरी मिले। पार्टी पर नेता जी (मुलायम सिंह यादव) के रुख पर बोले कि सबकुछ उन्हीं की मर्जी और अनुमति से हुआ है। यह बात और है कि जबसे उन्होंने सपा छोड़कर अपनी पार्टी खड़ी की है, तबसे जरूर सपा में नेताजी का सम्मान होना शुरू हो गया है। भाजपा पर निशाना साधते हुए शिवपाल सिंह ने कहा कि आज देश और प्रदेश सभी जगह लोग महंगाई की मार से पीड़ित हैं। नोटबंदी और जीएसटी ने कारोबारियों की कमर ही तोड़ दी है। बिना नाम लिए सपा के दिग्गज नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार चुनाव में यदि गठबंधन के बीच कुछ लोग आड़े न आए होते तो आज शायद देश की तस्वीर ही दूसरी होती। सपा के वही लोग आज भी महागठबंधन नहीं होने दे रहे हैं। तीन राज्यों के चुनाव होने वाले हैं, लगता नहीं है कि भाजपा के खिलाफ महागठबंधन हो पाएगा। वह जरूर चाहते हैं कि महागठबंधन हो और प्रगतिशील पार्टी को भी उसके हिस्से का शेयर मिले। सपा के वे लोग जिन्होंने कभी भाजपा के खिलाफ मुंह तक नहीं खोला, अब उन्हें भाजपा का एजेंट बता रहे हैं। रही बात उन्हें प्रदेश सरकार से मिले सरकारी बंगले की, तो वह वरिष्ठ विधायक और दो बार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं, जिससे उन्हें बंगला मिला है। परिवार से अलग होकर पार्टी बनाने के सवाल पर कहा कि उन्होंने 40 साल दिए हैं समाजवादी परिवार को, फिर भी उनका सम्मान नहीं हो रहा था। उन्हें किसी बैठक में नहीं बुलाया जाता था। सिर्फ चापलूसों की बात पर ही ध्यान दिया जाता था। यही हाल उन परिवारों का भी जिन्होंने सपा की साख के लिए अपना सब कुछ लगा दिया लेकिन पार्टी में उनके मान सम्मान को भी नजरअंदाज किया जा रहा था। आज सभी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। अमर सिंह की टिप्पणी को लेकर कहा कि उनके बारे में कुछ न कहलाए तो ही बेहतर रहेगा। रही बात नेताजी की तो कई बार कह चुके हैं कि उनकी अनुमति लेकर ही पार्टी बनाई है। इस मौके पर झांसी मंडल के प्रभारी चौधरी विष्णुपाल सिंह नन्हू राजा, जिलाध्यक्ष लाखन सिंह कुशवाह, शिवपाल फैंस एसोसिएशन के दीपू त्रिपाठी आदि मौजूद रहे। भले ही अखिलेश और शिवपाल आज एक दूसरे के धुर विरोधी हो, लेकिन समर्थक उन्हें अखिलेश का चाचा ही मानते है, यही वजह है कि शिवपाल के स्वागत में शिवपाल चाचा जिंदाबाद के नारे गूंजते रहे। हालांकि सपाइयों ने शिवपाल से पूरे कार्यक्रम के दौरान दूरी ही बनाए रखी, लेकिन शिवपाल के तामझाम में कोई कमी नहीं थी। लंबी कारों की फ्लीट और उसके आगे निकलती पुलिस की गाड़ियों के साथ काफिले का जगह-जगह स्वागत किया गया।
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