यूपी के मेरठ जिले में मलेरिया विभाग ने इस बार 24 लाख रुपये फॉगिंग और एंटी लार्वा स्प्रे में फूंक दिए। लेकिन डेंगू के मच्छर फिट हैं। इस सीजन में करीब डेढ़ माह में डेंगू के 75 मरीज मिल चुके हैं, जिनमें 49 मरीज मेरठ तो 26 मरीज बुलंदशहर, हापुड़, बागपत, मुजफ्फरनगर आदि जिलों के हैं। मच्छरों का वार जारी है। डेंगू के अलावा चिकनगुनिया और जीका वायरस का खतरा भी बरकरार है। स्वास्थ्य विभाग इन मच्छरों के आगे लाचार साबित हो रहा है। महानगर में मच्छरों की भरमार है। डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया और जीका मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियां हैं। साल 2016 में चिकनगुनिया ने कोहराम मचाया था इसके 1105 मरीज तो डेंगू के 183 मरीज मिले थे। पिछले साल डेंगू के 660 मरीज मिले थे, हालांकि चिकनगुनिया का मरीज नहीं मिला था। इस बार जीका वायरस का खतरा है। गनीमत है कि अभी तक ऐसा कोई मरीज नहीं मिला है, लेकिन डेंगू का प्रकोप जारी है। यह तो वह मरीज हैं जिन्हें मेडिकल कॉलेज या जिला अस्पताल की लैब में पुष्टि हुई है, जबकि इनके अलावा निजी अस्पतालों में भी डेंगू के काफी मरीज आए हैं। हालांकि पुष्ट डेंगू न मानकर संदिग्ध डेंगू माना गया है। तीन लोगों की मौत भी हुई है, जिनके परिजनों ने डेंगू से मौत होने का दावा किया, जबकि उनकी ब्लड की जांच न होने के कारण यह पुष्टि नहीं हो पाई है कि उन्हें डेंगू था। वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम के लिए शहर और देहात में फॉगिंग और एंटी लार्वा स्प्रे किया जा चुका है, लेकिन मच्छरों पर पूरी तरह से रोकथाम नहीं हो पा रही है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग पिछले साल के मुकाबले डेंगू के मरीज कम मिलने पर अपनी पीठ थपथपा रहा है। सहायक जिला मलेरिया अधिकारी योगेश सारस्वत ने बताया कि डेंगू की रोकथाम के लिए मलेरिया विभाग फॉगिंग और एंटी लार्वा स्प्रे कर रहा है। जहां डेंगू के लार्वा मिले हैं, वहां नोटिस दिए जा रहे हैं। मलेरिया विभाग की 12 टीमों ने जिन स्थानों पर डेंगू के मरीज मिल चुके हैं, उन जगहों पर एंटी लार्वा स्प्रे और फॉगिंग भी की है। लगातार अभियान चलाया जा रहा है। डेंगू तीन तरह का होता है। क्लासिकल, हैमरेजिक और शॉक सिंड्रोम। इनमें क्लासिकल अपने आप ठीक हो जाता है। हैमरेजिक और शॉक सिंड्रोम होने पर खतरा रहता है। डेंगू बुखार के हर मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत नहीं होती है। हैमरेजिक और शॉक सिंड्रोम में भी जरूरत पड़ने पर ही प्लेटलेट्स चढ़ाए जाते हैं। ठीक होने में मरीज को 10 से 15 दिन का समय लग जाता है।
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