बहराइच 10 अक्टूबर। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम अन्तर्गत गेंद घर मैदान में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता व चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया है। शिविर का उद्घाटन मुख्य विकास अधिकारी राहुल पाण्डेय द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यापर्ण व दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। शिविर के दौरान मुख्य विकास अधिकारी श्री पाण्डेय ने 07 मानसिक दिव्यांग बच्चों का मन्दबुद्धि परीक्षण के उपरान्त मानसिक मन्दबुद्धि प्रमाण-पत्र का वितरण भी किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भारत की औसत आयु युवाओं की है इसलिए भारत विश्व में युवा देश के रूप में पहचाना जाता है। भविष्य में भी भारत की पहचान युवा देश के रूप में ही रहेगी। आज की युवा पीढ़ी विभिन्न प्रकार के संचार माध्यमों के प्रयोग से अवसाध से ग्रसीत हो रही है। अवसाध भी एक प्रकार का मानसिक रोग है। युवा पीढ़ी में सकारात्मक सोच पैदा करने के लिए काउसंलिंग के साथ-साथ व्यापक प्रचार प्रसार की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि जिला चिकित्सालय में सप्ताह में तीन दिन सोमवार, बुद्धवार व शुक्रवार को कक्ष संख्या 08 में मानसिक रोगियों के परीक्षण एवं उपचार की व्यवस्था है। उन्होंने सभी का आहवान किया कि इस सुविधा का लाभ उठाएं और इस सुविधा का व्यापक प्रचार प्रसार भी करें। इसके अलावा जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में मानसिक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन कर मानसिक रोगियों का काउंसलिंग व उपचार किया जाता है। उन्होंने मुख्य चिकित्साधिकारी को निर्देश दिया कि ग्रामीण अंचलों में भी कैम्प आयोजित कर इसका व्यापक प्रचार प्रसार करें। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. एके पाण्डेय ने शिविर के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि लगभग 30 प्रतिशत आबादी अवसाद से ग्रसित है। इसका कारण काल्पनिक संचार माध्यम है। इंटरनेट का उपयोग सकारात्मक कार्य के लिए ही करें। अवसाद ग्रसित लोग आगे चलकर नशे का आदी हो जाते हैं जो जीवन के लिए घातक होता है। उन्होंने मानसिक रोग के लक्षणों की जानकारी देते हुए बताया कि मानसिक उलझन, अवसाध, किसी कार्य को बार-बार करना, मन उदास रहना, किसी काम में मन न लगना, नींद न आना, बीच में नींद टूट जाना, आत्म हत्या का विचार आना, ज्यादा बोलना, बिना बात के लडाई झगड़ा करना, गुस्सा आना, तोड़-फोड़ करना, ज्यादा साफ-सफाई करना, मन मंे निगेटिव विचार आना, घबराहट बिचैनी होना, दिल बैठना, हाथ-पैर ढीले पड जाना जाना, पसीना आना, मिर्गी के दौड़े पड़ना, बुढापे में भुलने की दिक्कत होना, व्यवहार में परिवर्तन होना, महिलाओं में तनाव के कारण बेहोसी के दौरे पड़ना, लम्बे समय से सर दर्द रहना या माइग्रेन की दिक्कत होना आदि लक्षण हैं। उन्होंने बताया कि मानसिक रोग साध्य है, मानसिक रोग किसी को किसी भी आयु मंे हो सकता है। यह उचार से ठीक हो सकता है, इसे छुपाये नहीं। मानसिक रोग होने पर झाड़-फूक न करें और विशेषज्ञ से उपचार करायें। मेंटल रोग विशेषज्ञ डा. बिजित जायसवाल ने मानसिक रोग एवं चिकित्सा शिवर के आयोजन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का थीम ‘बदलती दुनिया में युवा लोग और मानसिक स्वास्थ्य’ रखा गया है। उन्होंने बच्चों में मानसिक रोग के लक्षण की जानकारी देते हुए बताया कि मन्द बुद्धि होना, चीजों को देर से सीखना या समझना, बच्चों का पढ़ाई में मन न लगना, बच्चों में ध्यान लगाने की दिक्कत होना या अधिक उपद्रवी बच्चा होना। बच्चों का बड़ों से जबान लड़ाना, झूठ बोलना, चोरी करना आदि बुरी आदते होंना तथा बच्चों के व्यवहार में एकदम से व्यवहार में परिवर्तन आदि मानसिक रोग के लक्षण हैं। मानसिक रोग साध्य है यह उपचार से ठीक हो सकता है। कार्यक्रम के दौरान सरस्वती शिशु मन्दिर की छात्राओं द्वारा सरस्वती बन्दना व स्वागत गीत, पूर्व माध्यमिक विद्यालय बौण्डी फखरपुर, राजकीय बालिका इण्टर कालेज, बहराइच की छात्राओं द्वारा देश भक्ति गीत तथा छात्रा विन्दवासिनी द्वारा बेटी गीत प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का संचालन डीपीएम डा. आरबी यादव ने किया। इस अवसर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी सुनील कुमार श्रीवास्तव, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी एसके तिवारी, सीएमएस पुरूष डा. डीके सिंह, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. अजीत चन्द्रा, डीएचआईओ सुनील कुमार सिंह, डीसीपीएम मो. राशिद सहित अन्य चिकित्सक, शैक्षिक संस्थाओं के शिक्षक, शिक्षिकाएं व छात्र-छात्राएं तथा अन्य लोग मौजूद रहे।
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