(रिपोर्टःडी0पी0श्रीवास्तव)
बहराइच। वैसे तो यह अधिकारी अपने भ्रष्टाचार को लेकर अपने फैज़ाबाद कार्यकाल के दौरान से ही चर्चा में रहा है,लेकिन जिले के पूर्व भ्रष्ट डीआईओएस रवींद्र सिंह के बाद विभाग में इनका आगमन होते ही विभाग के सुधरने के कयास लगाये जाने लगे थे लेकिन डीआईओएस राजेंद्र कुमार पांडेय के कार्यकाल में भ्रष्टाचार का ग्राफ इतनी तेजी से ऊपर उठा कि अब उसे सुधार पाना भी प्रशाशन व शाशन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। और वर्तमान में भी शारदा सहायक परियोजना इंटर कॉलेज में धन उगाही के नाम पर जो प्राथमिकी दर्ज कराने की बात सामने आ रही है उसमें भी श्री पांडे द्वारा प्रशाशन को गुमराह करने का ही प्रयास किया गया था। लेकिन इससे पहले यह भी जान लेना जरूरी है कि श्री पाण्डे के कार्यालय में ही तैनात लिपिक के0के0मिश्रा के पुत्र दिलीप कुमार मिश्रा उक्त कॉलेज में ही विगत कई वर्षों से फ़र्ज़ी अंक पत्र के सहारे नौकरी करते चले आ रहे हैं,जिसकी कई बार शिकायत करने व जानकारी होने पर भी इनके द्वारा न तो अब तक उस पर कोई एफ0आई0आर0दर्ज करवाई गई है और न ही कोई उचित कार्यवाही ही की गई है। मालूम हो कि नियोक्ता का हौसलामंद पिता डीआईओएस से नजदीकियों का सीधा फ़ायदा उठाते हुवे कहीं न कहीं से मामले को प्रभावित करता रहा है। लेकिन जब एक सामाजिक कार्यकर्ता के हस्तछेप से मामला बढ़ने लगा तो जांचोपरांत पूर्व नगर अधिकारी के द्वारा दिनांक 28.12.2017 को अपर पुलिस अधीच्छक के नाम से जारी पत्र में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज किये जाने की बात कही गई,लेकिन न जाने किन कारणों से यह मामला उनकी चौखट पर ही छटपटा छटपटा कर दम तोड़ता रहा। और डीआईओएस द्वारा भी मामले में चुप्पी साधते हुवे सिर्फ लोगों को गुमराह ही किया जा रहा है। यही नहीं बल्कि सूत्रों की माने तो दिलीप कुमार मिश्रा के नाम से जो लाखों की लक्ज़री गाडी खरीदी गई थी उसका भी उपयोग डीआईओएस ही करते रहे। लेकिन इस विषय पर एक आरटीआई पड़ते ही उस गाडी के आस पास न जाने में ही उन्होंने अपनी भलाई समझी। कुछ ख़बरों को लेकर भी पूर्व जिलाधिकारी अजय दीप सिंह के कार्यकाल में श्री पांडे द्वारा हमारे जिला प्रतिनिधि को धमकी भी दी जा चुकी है। और अब उसी कॉलेज में अवैध धन उगाही में दर्ज प्राथमिकी को लेकर जो मामला सामने आ रहा है उस मामले का काफी पहले से ही श्री पांडेय को संज्ञान होने के बाद भी वे सिर्फ चुप्पी ही साधे रहे। और इसी मामले को लेकर एक सामजिक कार्यकर्त्ता द्वारा कोर्ट में दायर विचाराधीन मामले का संज्ञान लेने के बाद भी इस अधिकारी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। मामला तो तब हरकत में आया जब ज्यादातर मामलो में आरटीआई का जवाब न देने में माहिर इस अधिकारी के खिलाफ जिलाधिकारी बहराइच के यहाँ दिनांक 08.08.18 को मामले को लेकर प्रथम अपील दाखिल की गई। मामला जिलाधिकारी के संज्ञान में आते ही जिलाधिकारी कार्यालय से निकले एक पत्र ने श्री पांडे को घुटना टेकने पर मजबूर कर दिया। लेकिन यहाँ भी वे अपनी बाजीगरी दिखाने से नहीं चूके और पत्र में सामजिक कार्यकर्त्ता को जवाब दिए जाने के निर्देश को सिर्फ दिमाग में ही मथते रहे। लेकिन उन पर दूसरे पत्र की गाज गिरते व 12.09.2018,को कार्यालय में उपस्थित होने के निर्देश पढ़ते ही यह काफी भयभीत हो उठे जिसका परिणाम दर्ज प्राथिमिकी के रूप में देखने को मिला। हालांकि इससे पूर्व भी मामले को लेकर दिनांक 09.05.2018,को श्री पांडेय द्वारा प्रकरण को डीएम के पाले में फेककर उन्हें भी गुमराह करते हुवे मामले पर प्रश्नचिन्ह लगाते रहे। लेकिन एक बार फिर मामला सामजिक कार्यकर्ता के माध्यम से माला श्रीवास्तव के संज्ञान में आते ही उनके द्वारा अपनी छवि के अनुरूप ही दो दो बार कोर्ट आफ कनटम करने वाले श्री पांडे को कार्यवाही करने पर मजबूर कर उनके हौंसले को जमीदोज कर न सिर्फ एक साहसिक कदम उठाया बल्कि आगे होने वाले अन्य मामलों के लिए भी श्री पांडे को आगाह कर दिया।
व्हाट्सएप पर शेयर करें
No Comments






