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Sunday, March 23, 2025 4:06:08 AM

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ऐसा थाना जहाँ खाकी और काले कोट की भी नहीं सुनी जाती

ऐसा थाना जहाँ खाकी और काले कोट की भी नहीं सुनी जाती

(रिपोर्ट :डी0पी0श्रीवास्तव)
बहराइच। वैसे तो यह थाना अपनी दागदार छवि के लिए काफी पहले से ही जाना जाता रहा है,जहाँ कई वर्ष पूर्व तत्कालीन थानाध्यच्छ उमा कान्त पाण्डे की तैनाती के दौरान एक पीएसी के जवान जुग्गी लाल वर्मा का भी मामला हुवा था, उसे विपच्छियों द्वारा बुरी तरह से घायल का मरणासन्न अवस्था में छोड़ दिया गया था। जब किसी तरह से वह जिले के चर्चित थाने थाना कैसरगंज पहुंचा तो मेडिकल रिपोर्ट में उसके सिर व शरीर के कई हिस्सों में दर्जनों टांके व गहरे घाव होने के बाद भी विपच्छियों पर धरा 307 नहीं लगाया गया था। जिसके लिए श्री वर्मा द्वारा लंबी लड़ाई लड़ी जाती रही। और तब भी इसी प्रतिनिधि द्वारा मामले का निष्पछ प्रकाशन करवाया गया था। और यहाँ भी सच्छम न्यायलय में विचाराधीन जो नया मामला प्रकाश में आया है उसमें थाने के विवेचक द्वारा सिर्फ बयान के आधार पर न सिर्फ धारा 307,308 बढ़ाई गई बल्कि एक अज्ञात मुल्जिम के स्थान पर चार ज्ञात लोगों का नाम बढ़ाकर अपने वर्दी के पावर का जबरदस्त एहसास कराते हुवे मामले से दूर रहे व्यक्ति को भी जेल की हवा खिलवा डाली। मामला 25/26.07.2017 की रात्रि का बताया गया है,जब गोड़िहा नं-3,थाना कैसरगंज जिला बहराइच निवासिनी साधना सिंह पत्नी अजय प्रताप सिंह के घर में लाखों के जेवरात सहित कई सामानों की चोरी हो गई थी। जिसकी एक एफआईआर श्रीमती सिंह के पति अजय प्रताप सिंह जो की अधिवक्ता भी हैं के द्वारा उक्त थाने में अपराध संख्या 1408/17,लिखवाई गई थी। लेकिन मामला चर्चा में तब आया जब गाँव वालों द्वारा दिनांक 01.08.2017, की रात्रि में हनुमान पुत्र राजा राम,पेरू पुत्र नवरंग व महादेव पुत्र पुत्ती को पकड़कर मारते पीटते चोरी के कुछ सामान बरामद करते हुवे चोरी में शामिल कुछ अन्य लोगों के नाम भी काबुलवाये। और जेवर भी उन्हीं लोगों के पास होना बताया गया। बाद में श्री सिंह की गैर मौजूदगी में चोटिल लोगों को श्री सिंह के परिवार व अन्य लोगों द्वारा अस्पताल पहुंचाये जाने की बात बताई गई। और यहीं से मामला मूल मुद्दों से भटककर वर्दी, बल व पावर के रूप में इजात होते हुवे देखा जाने लगा। क्योंकि विपच्छियों का मार खाना ही अधिवक्ता व उनके परिवार सहित लगभग उनके 85 वर्षीय पिता के गले की फांस बन गई। और पहले से ही मामले में संदिग्ध राजाराम पुत्र रघुवर निवासी गोड़िहा नं-3,थाना कैसरगंज,की तहरीर पर दिनांक 02.08.2017,को मु0अ0सं0,1485/17,आईपीसी की धारा 147,148,342,323,504,व 506 भा0द0वि0 मे दर्ज मामले में आरोपी बनाए गए अजय प्रताप सिंह के भाई व उनके 85 वर्षीय पिता सहित कई अन्य के खिलाफ एस0आई0,विवेचक विजय बहादुर मल्ल ज्यादा ही सक्रीय होते हुवे दिनांक 25.09.2017 को ही पहली कार्यवाही को भूल दूसरी कार्यवाही में मात्र बयान के आधार पर ही मा0 न्यायालय में आरोप पत्र प्रेषित कर दिया। जबकि मु0अ0सं0 1408/2017,धारा 380,भा0दं0वि0 से सम्बंधित मामले में माल बरामदगी के बावजूद न तो उसे पुलिस ने कब्जे में लिया और न ही इस सन्दर्भ में कोई विवेचना ही की। जबकि मु0अ0सं0,1485/17,धारा 147,148,342,323,504व 506 भा0दं0वि0में मेडिकल रिपोर्ट में फायर/आर्म्स गंभीर चोट न होने के बावजूद मात्र बयान के आधार पर 307/308 भा0दं0वि0 की बढ़ोत्तरी कर दी गई। जबकि मेडिकल रिपोर्ट में फैक्चर पाने के बावजूद धारा 325 नहीं बढ़ाई गई। जो की पुलिस द्वारा की गई घोर अनियमितताओं की और भी इशारा करती रही। हालाँकि पुलिस महानिदेशक लखनऊ कार्यालय के आदेश के अनुपालन में बहराइच क्राइम ब्रांच द्वारा की गई विवेचना के आधार पर मात्र अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह पर दर्ज धारा 307 व 308 का विलोपन कर दिनांक 26.10.2017 को एक और आरोप पत्र प्रेषित कर दिया गया। जबकि श्री सिंह के 85 वर्षीय पिता व मामले में बनाये गए अन्य मुल्जिमान कानूनी धाराओं की पीड़ा भोगते रहे। एक ओर जहाँ उनके पिता को छोड़ सभी लोग 7 माह तक जेल की दीवारों को निहारते रहे वहीँ दूसरी ओर श्री सिंह की ओर से दर्ज करवाये गए मामले में कोई भी अभियुक्त प्रकाश में नहीं आया। मजे की बात तो यह भी रही की मामले में पुलिस के गवाह रहे कल्लू पुत्र शम्भू भी अपने बयान से पलट चुके थे। और विवेचक विजय बहादुर मल्ल ने भी मुख्यालय की जांच में यह बात स्वीकार की थी कि उन्होंने जो कुछ भी किया वह बड़े अधिकारियों के दबाव में किया। उक्त के सन्दर्भ में जब श्री मल्ल के सेल फोन नं0 पर बात करने की कोशिश की गई तो वह बंद मिला। फिलहाल मामला जो भी हो लेकिन दोनों ही दर्ज मुकदमों में पुलिस का दोहरा चरित्र ही उभर कर सामने आया है। यह थाना इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसी थाना छेत्र से कई बार विधायक रहे व वर्तमान सरकार के कैबिनेट मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा का भी नाम,पद,व प्रतिष्ठा जुड़ा हुवा है। मालूम हो कि श्री वर्मा अपनी ईमानदार छवि व अपनी बेबाक शैली से आवाम के बीच अपनी लोकप्रियता कायम कर भाजपा जिला अध्यछ,विधायक से लेकर कैबिनेट मंत्री तक का दुर्गम सफर इसी छेत्र से तय किया है। और ऐसे बहुमुखी व दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बने व्यक्ति के छेत्र में परोछ रूप से उन्ही के विचारों का अनादर कर थाने में खाकी और कोट पर भी जबरिया जुल्म किया जाना किसी भी स्तर पर उचित नहीं ठहराया जा सकता है.

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