(रिपोर्ट:मो०अशफाक)
बहराईच!जनपद में सरकारी योजनाओं में सामने आए भ्रष्टाचार के कई मामलों में डीएम बहराइच की उदासीनता से लोग यह कयास लगा रहे हैं कि माला श्रीवास्तव भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर नहीं हैं। राज्य व केन्द्र सरकार की कई योजनाओं में कथित तौर पर अनियमितता व रिश्वतखोरी के मामले सामने आने पर भी डीएम माला श्रीवास्तव की ख़ामोशी एक तरफ भ्रस्टाचारियो का मनोबल बढ़ा रही हैं वहीं दूसरी तरफ आम लोगों में सरकार की नकारात्मक छवि बना रही हैं। किसी भी जिलाधिकारी का उदासीन होना जनपद के विकास को प्रभावित करता है। जनपद में दो – दो मंत्रियों की निगरानी के बावजूद सरकार की कई योजनाएं अपने मकसद से भटक गई हैं। यह डीएम साहिबा का सुशासन ही है कि बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री के गृह जनपद के सरकारी स्कूलों में महीनों से एम डीएम का चूल्हा ठंडा पड़ा है चितौरा विकास खण्ड के अंतर्गत आने वाले इस स्कूल के बच्चे डीएम से ना उम्मीद हो कर अब टिफिन के साथ स्कूल में आते हैं। यह शायद जिले का पहला सरकारी स्कूल है जहाँ पर बच्चे घर से भोजन लाते हैं। इस विद्यालय की अपने स्तर से जाँच करने के पश्चात बीएसए बहराइच एस0के0 तिवारी ने एम डी एम न बनने के जिम्मेदार पर कार्यवाही के लिए एक गुहार पत्र डी0एम0 साहिबा को भेजा था मगर मैडम शायद घर के बने टिफिन को ज़्यादा पौष्टिक मानती है इसलिए उस स्कूल के बच्चे आज भी घर के टिफ़िन से अपनी सेहत बना रहे हैं। सौभाग्य बिजली योजना का भी हाल ज्यादा ठीक नहीं है इस योजना में भ्रष्टाचार किस हद तक हो सकता है इसका अंदाज़ा इस बात से लगा सकते हैं कि चितौरा ब्लॉक के खैरा हसन में विद्युतीकरण के नाम पर कोटेदार ने फुलवरिया, धोबियन पुरवा तथा फ़जल पुरवा मजरों के ग्रामीणों को इस महीने का खाद्यान्न यह कह कर नहीं दिया कि यही खाद्यान्न को बेचकर उक्त तीनों मजरों में बिजली लगाई जाएगी। इस तरह की कथित तौर पर गरीबों से सामूहिक धन उगाही का मामला डी एम माला श्रीवास्तव की जानकारी में आने के बाद भी मैडम के पास इतना समय नहीं मिल पाया कि जिस योजना को मोदी सरकार अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानती हो उस पर लगे सामुहिक लूट के दागों का स्थलीय जाँच समय से करा सकें। कुछ ऐसा ही हाल प्रधानमंत्री आवास योजना का भी है तहसील दिवसों व अन्य माध्यम से सैकड़ों शिकायतों में यह कहा गया है कि प्रधानमंत्री आवास में धन उगाही की गई है मगर इसको लेकर भी कोई बढ़ी कार्यवाही अब तक डी एम साहिबा ने नहीं किया है। कागज़ी आंकड़ो में सरकारी योजनाएं भले ही ईमानदारी की इंक से तैयार की गई हों मगर धरातल पर योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार यह बताने के लिए काफी है कि जिला अधिकारी माला श्रीवास्तव भ्रष्टाचार के मामलों पर गंभीर नहीं हैं।
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