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Wednesday, February 12, 2025 5:28:40 PM

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हर महीने लक्ज़री गाड़ियां चोरी करने के लिए दी जाती थी तनख्वाह, चोरी की गाड़ियों का डम्पिंग ग्राउंड था रिटायर्ड अफसर के बेटे का घर

हर महीने लक्ज़री गाड़ियां चोरी करने के लिए दी जाती थी तनख्वाह, चोरी की गाड़ियों का डम्पिंग ग्राउंड था रिटायर्ड अफसर के बेटे का घर

मेरठ क्राइम ब्रांच की टीम ने एक रिटायर्ड नेवी अफसर के बेटे समेत छह बिगड़ैल रईसज़ादों को गिरफ्तार किया है. रिटायर्ड नेवी अफसर के बिगड़ैल रईसज़ादे ने अपनी पूरी चोर कंपनी बना रखी थी. हाईप्रोफाइल रईसज़ादों की ये चोर कंपनी किसी ऑर्गेनाज़ेशन की तरह ही ऑपरेट होती थी. इस चोर कंपनी का सीईओ रिटायर्ड नेवी अफसर का बेटा था, तो बाकी चोर सदस्यों को हर महीने लक्ज़री गाड़ियां चोरी करने के लिए तनख्वाह दी जाती थी. पिछले दो साल से रिटायर्ड नेवी अफसर के इस बेटे ने अपने घर को चोरी की गई गाड़ियों के लिए डम्पिंग ग्राउंड बनाया हुआ था.मेरठ में लालकुर्ती थानाक्षेत्र में रहने वाले रिटायर्ड नेवी अफसर का बेटा विकास वाहन चोर गैंग चला रहा था. उसके साथ फैज़ल, साहबज़ादा,आसिम, इमरान और परवेज़ बतौर कर्मचारी काम कर रहे थे. क्राइम ब्रांच ने इनके पास से फिलहाल दो लक्ज़री गाड़ियां, एक बुलेट मोटरसाइकिल सहित भारी मात्रा में फर्जी़ नम्बर प्लेट्स बरामद किये हैं. ये गिरोह दिल्ली, गाज़ियाबाद और नोएडा से लक्ज़री गाड़ियां चुराता था और फिर उसे दूसरे राज्यों में बेच देता था. रिटायर्ड नेवी अफसर के बेटे ने अपनी चोर कंपनी में सभी सदस्यों को अलग-अलग काम सौंप रखा था. मसलन गाड़ी चुराने वाला चोर अलग, गाड़ी डिलिवरी करने वाला चोर अलग, गाड़ियों को दूसरे राज्यों में बेचने की ज़िम्मेदारी किसी अन्य चोर को. गैंग के सभी चोरों को विकास नाम का ये सरगना बाकयदा महीने की पगार देता था.एएसपी सतपाल आंतिल के मुताबिक गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि वे दिल्ली, हरियाणा समेत यूपी के जनपदों से गाड़ियां चुराते थे और फिर उसे विकास के घर पर ठिकाने लगाते थे. विकास के घर पर बने गोडाउन में ये गाड़ियां रखी जाती थीं. क्योंकि विकास के पिता नेवी से रिटायर्ड थे, लिहाज़ा विकास पर किसी को शक भी नहीं होता था. अपने पिता की ज़िन्दगी भर की इज्जत को मि्टटी में मिलाने वाला ये बिगड़ैल रईसज़ादा फिर इन गाड़ियों को दूसरे राज्यों में नम्बर प्लेट बदलकर बेच देता था. पिछले दो साल से इस रईसज़ादे ने अब तक जितनी भी गाड़ियां दूसरे राज्यों में बेची है अब इसकी भी पड़ताल पुलिस कर रही है.इतना ही नहीं विकास ऑन डिमांड वाहन चोरी कराता था और उन्हें फर्जी कागजात बनवाकर बेच देता था. लेकिन कहते हैं न कि गुनाह कि उम्र छोटी होती है. जिन लक्ज़री चोरी की गाड़ियों को बेचकर इस गिरोह ने लाखों रुपए कमाएं उसी में एक चोरी की गाड़ी में लगे जीपीएस सिस्टम ने सारा राज़ खोल दिया. दिल्ली से चुराई गई इस गाड़ी में लगे ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम के ज़रिए चोरों की सारी करतूत का पर्दाफाश हो गया.

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