बहराइच 22 जुलाई। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस 10 अगस्त 2018 के अवसर पर जनपद के 01 से 19 वर्ष आयु वर्ग के कुल लक्षित 12 लाख 31 हज़ार 48 बच्चों को डिवर्मिंग की दवाई दिये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के अवसर पर सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त 3445 स्कूलों में नामांकित 04 लाख 10 हज़ार 872, निजी व प्राईवेट 830 स्कूलों में नामांकित 01 लाख 73 हज़ार 878, सभी 3094 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पंजीकृत तथा गैर पंजीकृत 05 लाख 26 हज़ार 478 तथा स्कूल न जाने वाले 01 लाख 19 हज़ार 820 बच्चों कुल 01 से 19 वर्ष आयु वर्ग के 12 लाख 31 हज़ार 48 बालक बालिकाओं को आच्छादित किया जायेगा। जनपद में 10 अगस्त को आयोजित होने वाले राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के सम्बन्ध में कलेक्ट्रेट सभागार में जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव की अध्यक्षता में आयोजित अन्तर्विभागीय समन्वय अभिमुखीकरण बैठक के दौरान मुख्य चिकित्साधिकारी डा. ए.के. पाण्डेय ने बताया कि 01 से 19 साल के सभी बच्चों (लड़के और लड़कियों) को आंत में कृमि संक्रमण का खतरा बना रहता है। कृमि मनुष्य की आंत में रहते हैं और जीवित रहने के लिए मानव शरीर के ज़रूरी पोषक तत्वों को खाते हैं। सीएमओ ने बताया कि कृमि संक्रमण अस्वच्छता के कारण होता है, संक्रमित मिट्टी के सम्पर्क द्वारा कृमि संक्रमण संचारित होता है। कृमि की जितनी अधिक मात्रा (तीव्रता) होगी, संक्रमित व्यक्ति के लक्षण उतने अधिक होंगे। कृमि संक्रमण बच्चों की पोषक सम्बन्धी स्थिति को कई प्रकार से हानि पहुॅचाता है। कृमि द्वारा पोषक ऊतकों जैसे रक्त से भोजन लेने से शरीर में खून की कमी हो जाती है इससे कुपोषण में वृद्धि होती है और शारीरिक विकास पर दुष्प्रभाव पड़ता है। शरीर में मौजूद गोलाकार कृमि आंत में विटामिन ए को अवशोषित कर लेते हैं। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. पाण्डेय ने बताया कि बच्चों की शिक्षा और लम्बे समय की कार्यक्षमता पर कृमि संक्रमण का प्रभाव पड़ता है। तीव्र कृमि संक्रमण के कारण बच्चे अक्सर बीमार या थके हुए रहते हैं और पढ़ाई पर ध्यान नहीं लगा पाते या स्कूल/आॅगनबाड़ी केन्द्र भी नहीं जा पाते हैं। उन्होंनेे बताया कि कृमि संक्रमण से बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण भविष्य में उनकी कार्यक्षमता और औसत आयु में कमी आती है। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. पाण्डेय ने बताया कि कृमि नियंत्रण की दवाई एल्बेंडाज़ाल (400 एमजी) सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर निःशुल्क उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि कृमि संक्रमण के इलाज के लिए एल्बेंडाज़ाल बच्चों व वयस्कों, दोनों के लिए एक सुरक्षित दवाई है और इसका प्रयोग दुनिया भर में करोड़ों लोगों में कृमि संक्रमण का इलाज करने के लिए किया जाता है। सीएमओ ने सुझाव दिया कि 01 से 19 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को आयु अनुसार ही खुराक दी जानी चाहिए। सीएमओ ने बताया कि 02 वर्ष तक के बच्चों को आधी तथा 02 से 19 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को एल्बेंडाज़ाल पूरी गोली की खुराक देनी चाहिए। बीमारी या अनुपस्थिति के कारण छूट गये बच्चों को माॅप उप दिवस 17 अगस्त 2018 को दवा खिलायी जायेगी। उन्होंने बताया कि किसी भी आपातकालीन नज़दीकी स्वास्थ्य केन्द्र, एएनएम, आशा, चिकित्साधिकारी से सम्पर्क करें और रेफरल के लिए 108 एम्बुलेन्स सेवा का उपयोग करे। जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव ने सहयोगी विभागों यथा शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, पंचायती राज विभाग, अल्पसंख्यक कल्याण सहित समस्त निजी शिक्षण संस्थाओं को निर्देश दिया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम के प्रभावशाली क्रियान्वयन के लिए स्वास्थ्य विभाग को सक्रिय सहयोग प्रदान करना सुनिश्चित करेंगे। अभियान को सफल बनाये जाने के लिए उन्होंने समुदाय जागरूकता गतिविधियों जैसे प्रभात फेरी, अभिभावक टीचर तथा विद्यालय प्रबन्ध समिति की बैठकों में कृमि नियंत्रण के लाभ और कार्यक्रम आयोजन की तिथियों की जानकारी दिये जाने का निर्देश दिया। जिलाधिकारी ने यह भी निर्देश दिया कि सभी आशा अपने क्षेत्र के 01 से 19 वर्ष के स्कूल न जाने वाले बच्चों की सूची तैयार कर कृषि दिवस के अवसर पर उन्हें आॅगनबाड़ी केन्द्र में लाकर दवा खिलायेंगी और जो बच्चें छूट जायेंगे उन्हें आप-अप डे 17 अगस्त को आच्छादित करेंगी। जिलाधिकारी ने सीएमओं को निर्देश दिया कि अभियान से पूर्व आवश्यक प्रशिक्षण तथा सभी लक्षित स्थलों पर दवा की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करायी जाय। उन्होंने ने स्वास्थ्य, शिक्षा व आईसीडीएस विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि अभियान दिवस को यह सुनिश्चित कराया जाय कि टीचर और आॅगनबाड़ी कार्यकर्ता एल्बेंडाज़ाल की दवाई बच्चों को खुद ही अपने सामने ही खिलवायें। किसी भी बच्चे को खाली पेट दवा न खिलाई जाये बल्कि मध्यान्ह भोजन के पश्चात बच्चों को दवा का सेवन कराया जाय। किसी भी बच्चे को दवा घर ले जाने के लिए न दी जाय। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी राहुल पाण्डेय, मुख्य चिकित्साधिकारी डा. ए.के. पाण्डेय, उप जिलाधिकारी सदर ज़ुबेर बेग, नेशनल डिवर्मिंग डे के मण्डलीय समन्वय आशीष तिवारी, जिला विद्यालय निरीक्षक राजेन्द्र कुमार पाण्डेय, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी एस.के. तिवारी, जिला पंचायत राज अधिकारी केे.बी. वर्मा, डीपीएम एनएचएम डा. आर.बी. यादव, डीएचईआईओ सुनील सिंह, बाल विकास परियोजना अधिकारी, प्रभारी चिकित्साधिकारी सहित अन्य सम्बन्धित लोग मौजूद रहे।
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