राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने यूपी सरकार और उसके संबंधित प्राधिकरणों को पश्चिम उत्तर प्रदेश के मेरठ और सहारनपुर समेत छह जिलों में सभी हैंडपंप और बोरवेल को सील करने के निर्देश दिए हैं। एनजीटी ने कहा, ये शर्मिंदा होने की बात है, कि यहां मरकरी मिला पानी पीने के लिए लोग मजबूर हैं। आपको बता दें कि गाजियाबाद, शामली, मेरठ, बागपत और सहरानपुर समेत छह जिलों में इस पानी से कैंसर जैसी बीमारी होने का खतरा है। मिली जानकारी के अनुसार, सर्वेक्षण में पानी में पारे की काफी मात्रा पाई गई है। दोआबा पर्यावरण समिति की तरफ से एनजीटी में दायर की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल ने बताया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में कथित भ्रष्टाचार की वजह से इन छह जिलों के गरीब लोगों को पारायुक्त पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश के छह जिलों में हिंडन और कृष्णा नदी के प्रदूषित जल से फैल रही बीमारियों पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जनहित के लिए कार्यों का अधिकारियों से शपथपत्र मांगा था। दोआबा पर्यावरण समिति की याचिका पर सुनवाई करते हुए 28 अक्तूबर 2016 को शपथपत्र देने के लिए कहा था। इसके बाद बागपत के डीएम और सीएमओ हाजिर हुए थे।
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