बहराइच. पुनरीक्षित क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम के
अंतर्गत जनपद में एक बार फिर से ‘सक्रिय टीबी खोज अभियान’ का वर्ष
2018-19 का पहला चरण 19 जून से 28 जून 2018 तक चलाया जाएगा | जिसके
अंतर्गत गठित टीमें घर-घर जाकर प्रत्येक व्यक्ति की जांच करेंगी | यदि
किसी व्यक्ति में टीबी के लक्षण प्रतीत होते हैं, तो उसका बलगम लेकर टीबी
की जांच की जाएगी | यह अभियान विशेष रूप से जिले के चार ब्लॉकों
चित्तौरा, फखरपुर, तेजवापुर और रिसिया में चलाया जाना है, क्योंकि इन
क्षेत्रों में टीबी मरीज पाए जाने की संभावना ज्यादा है तथा इनमें कुछ
ऐसे जगह भी हैं जहाँ के लोगों की पहुँच स्वास्थ्य-इकाइयों तक नहीं हो
पाती है |
क्षय-रोग या ट्यूबरक्लोसिस ( टीबी ) बहुत ही गंभीर बीमारी है, जोकि काफी
लम्बे समय से जनसमुदाय की स्वास्थ्य समस्या बनी हुयी है | यह एक
संक्रामक-रोग है जो मरीजों के खांसने या थूकने से फैलता है | टीबी
रोगियों की जल्द पहचान करके उनका इलाज शुरू कर देना, इस बीमारी को रोकने
में बहुत मददगार शाबित होता है | विश्व के सबसे ज्यादा टीबी-रोगी हमारे
देश में ही हैं |
जनसमुदाय को टीबी की बीमारी से छुटकारा दिलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग
द्वारा यह सक्रिय अभियान चलाया जा रहा है | डॉ0 विजय प्रकाश वर्मा, जिला
क्षय रोग अधिकारी ने कहा कि इसके लिए जिला एवं ब्लॉक स्तर पर स्वास्थ्य
कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है | अभियान को शत-प्रतिशत सफल बनाने के
लिए माइक्रोप्लान भी तैयार किया गया है | उन्होंने बताया कि चारों
ब्लॉकों में एक – एक लाख आबादी को कवर करने का लक्ष्य रखा गया है |
टीबी मरीजों को 500 रुपये प्रति माह __
डॉ0 वी0 पी0 वर्मा, जिला क्षय रोग अधिकारी ने कहा कि शासन की गाइड-लाइन
के अनुसार 31 मार्च 2018 के बाद से टीबी का इलाज करा रहे मरीजों को
“निक्षय पोषण-योजना” के तहत 500 रुपये प्रतिमाह दिए जाएंगे | योजना का
लाभ लोगों तक पहुंचाने हेतु जिले के सभी ब्लॉकों में निक्षय पोर्टल में 1
अप्रैल 2018 से मरीजों को डीबीटी ( डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर ) की सूची
में रखा जा रहा है तथा यह राशि उनके खातों में ऑनलाइन पहुंचाई जायेगी |
नियमित दवा खाने पर ही रोगी को यह राशि दी जायेगी | यदि किसी का छः माह
या 12 माह का कोर्स है, तो उसका प्रत्येक 2 – 2 माह में फालोअप किया जाता
है जिसके बाद उसके खाते में प्रत्येक दो माह की राशि पहुँचती है | यदि वह
बीच में ही दवा लेना छोड़ देता है, तो उसका नाम डीबीटी की सूची से हटा
दिया जायेगा | रोगी को नियमित रूप से ‘डॉट-केंद्र’ से दवा उपलब्ध कराई
जायेगी | उन्होंने बताया कि अभी तक जिले के 28 टीबी मरीजों को इस योजना
का लाभ भी मिल चुका है |
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