भाजपा के लिए 2019 के आम चुनाव की राह आसान नजर नहीं आ रही है. अयोध्या में रामजन्म भूमि के मुख्य पुजारी हो या रामजन्म भूमि से जुड़े संत, महंत सभी एक सुर में राम मन्दिर निर्माण को लेकर भारतीय जनता पार्टी पर हमलावर नजर आ रहे हैं.यह दबाव 2019 के पहले और बढ़ने वाला नजर आ रहा है. नाराज साधु-संत 2019 के चुनाव में भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं.जाहिर है चुनाव के पहले भाजपा की अग्नि परीक्षा की शुरुआत अयोध्या से हो चुकी है.संतों की मानें तो राम मंदिर निर्माण को मुद्दा बनाकर भाजपा प्रदेश से लेकर केंद्र सरकार तक पहुंच चुकी है लेकिन मौजूदा समय में कई प्रांतों और केंद्र में भाजपा की सरकार है. फिर भी राम मंदिर निर्माण के लिए पार्टी की तरफ से कोई पहल नहीं हो रही है.आक्रोशित साधु-संत कह रहे हैं कि रामलला को भुलाने का परिणाम भाजपा को उपचुनाव में देखना पड़ रहा है. अगर भाजपा नहीं मानीं तो इसका खामियाजा उसे 2019 के चुनाव में भुगतना पड़ेगा. ऐसा नहीं है कि अयोध्या के सभी साधु संत भाजपा से नाराज ही हैं. कुछ साधु-संत मोदी और योगी की तारीफ जरूर करते हैं लेकिन भव्य राम मंदिर के निर्माण की इच्छा भी व्यक्त करते हैं. इससे स्पष्ट होता है कि राम मंदिर को लेकर साधु-संतों में नाराजगी है.
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