कानपुर के आनन्दपुरी इलाके के संजय अग्रवाल के घर उनकी बिटिया की शादी की तैयारी चल रही थी लेकिन उनके घर मातम छा गया. ट्रेन के बाथरूम में सफाई न होने के कारण संजय की जान चली गई. रेलवे दावा करता है कि हर 200 किलोमीटर पर ट्रेन के कोच व बाथरूम में सफाई कराई जाती है. यदि हर 200 किलोमीटर पर सफाई की जाती तो शायद संजय की जान बच सकती थी.रविवार 27 मई की सुबह जब ट्रेन पटना पहुंची तो एस-वन कोच के शौचालय से उनका शव बरामद हुआ. ये घटनाक्रम दर्शाता है कि ट्रेन में साफ-सफाई के नाम पर केवल खानापूर्ती की जाती है. दरअसल तबियत बहुत खराब होने पर संजय बाथरूम में गए और वहीं बेहोश हो गए. यदि 200 किलो मीटर पर ट्रेन के कोच की सफाई की गई होती तो शायद समय रहते इलाज मिलने पर संजय की जान बच गई होती. सफाईकर्मी के अलावा किसी यात्री ने भी लंबे समय से टायलेट के बंद होने की तरफ ध्यान ही नहीं दिया. परिजनों का आरोप है कि रेलवे की लापरवाही के कारण चौथे दिन संजय के शव की जानकारी मिल सकी.कोटा में ट्रेन रुकने के दौरान अगर बाथरूम में धुलाई हुई होती तो शायद शव की जानकारी पहले ही मिल गई होती. परिजनों ने 24 तारीख को ही कानपुर जीआरपी में तहरीर दे दी थी मगर जीआरपी इंस्पेक्टर ने भी मामले को गंभीरता से नहीं लिया. परिजनों ने अपने स्तर पर भी बहुत दौड़-भाग की लेकिन संजय अग्रवाल का कहीं पता नहीं चल सका.ट्रेनों मे साफ-सफाई के दावे तो हैं मगर हकीकत में यदि सफाई हो रही होती संजय अग्रवाल के शव की दुर्दशा न होती. ट्रेन कानपुर से चल कर जैसे ही थोड़ा आगे बढ़ी थी उसके बाद ही संजय की तबियत बिगड़ गई थी. कानपुर से चलने पर ऐसे दो स्टेशन बीच में पड़ते हैं जहां सफाई की जाती है. मगर घटना के दिन हद दर्जे की लापरवाही की गई. शौचालय का गेट बन्द रहा और कोटा में भी सफाई कर्मचारी ने ध्यान नहीं दिया और ट्रेन पटना रवाना कर दी गई.चलती ट्रेन के बाथरूम में 72 घंटे तक रहा शव, स्वच्छ भारत मिशन की खुली पोल
यात्रियों ने भी यदि शौचालय की तरफ ध्यान दिया होता तो संजय अग्रवाल की जान बच सकती थी. मगर 72 घंटों तक किसी भी यात्री ने भी शौचालय की तरफ ध्यान नहीं दिया. इस घटना ने रेलवे में स्वच्छ भारत मिशन की पोल खोल कर रख दी है. शव से बदबू उठने लगी मगर तब भी यात्रियों ने ध्यान नहीं दिया. शादी की तैयारी वाले घर में परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है और परिजन लापरवाह लोगों पर कार्रवाई की मांग कर रहें हैं. वहीं जीआरपी इंस्पेक्टर कार्रवाई के लिए तहरीर का इंतजार कर रहें है.हम दे रहे हैं मुआवजा, संजय को जिंदा वापस करे रेलवे: परिजन
संजय की मौत से भड़के उनके परिजन ने कहा कि मुझे रेलवे का मुआवजा नहीं चाहिए. हम लोग तो पान भी खाते हैं लेकिन संजय सुपारी तक नहीं खाते थे. संजय की मौत के लिए रेलवे पूरी तरह से जिम्मेदार है. वे पटना-कोटा एक्सप्रेस से टूंडला के लिए 24 मई को सुबह निकले थे. सुबह उनकी परिजनों से बात हुई तो उन्होंने बताया कि उन्हें घबराहट हो रही है तो वह एसी कोच में जा रहे हैं. 24 को दिनभर उनका मोबाइल काम किया, उसके बाद उनसे कोई सम्पर्क नहीं हो सका. लाश के साथ मोबाइल फोन और 9.5 हजार रुपए भी मिले हैं.
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