भारतीय संविधान एवं आरक्षण बचाओ”आंदोलन को राष्ट्रीय आंदोलन का स्वरूप देने वाली अनुसूचित जाति/ जनजाति पिछड़े वर्ग, एवं अल्पसंख्यक (बहुजन समाज)को त्वरित न्याय एवं हक तथा अधिकार की लड़ाई लड़ने वाली, बहुजनों के शोषण पर देश के ब्यवस्थाकारों पर तीखे प्रहार करने वाली
मानवतावादी यशस्वी सांसद
एवं ओजस्वी वक्ता सावित्री बाई फुले जी आज अपने संसदीय क्षेत्र बहराइच में मीडिया से मुखातिब थी। वे आज वर्तमान शोषणकारी
एवं षड्यंत्रकारी ब्यवस्था से काफी खिन्न दिखी। उन्होंने कहा कि 85% बहुजन समाज एवं गरीबों के साथ विकास के नाम पर छल-कपट एवं धोखा किया जा रहा है। तथा गरीबों के घर बाहर से खाना मंगाकर खाया जा रहा है, और गरीबों की गरीबी एवं मुफलिसी का मजाक उड़ाया जा रहा है। क्या बाबासाहब डा0 अम्बेडकर इसीलिये लोकतांत्रिक
ब्यवस्था को स्थापित करने हेतु भारत का संबिधान बनाया था की
देश की आजादी के लगभग 70 वर्ष के बाद भी बहुजन समाज को विकास एवं सशक्तिकरण के नाम पर झुनझुना पकड़ाया जा रहा है। बिकास के नाम पर कई असफल योजनाओं जैसे:-उज्ज्वला,स्टार्टअप,किसान बीमा स्टैण्डअप,मुद्रायोजना,आसरा,कैशलेश मेडिक्लेम,बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ इत्यादि लांच की गई है,परन्तु देश एवं प्रदेश की सरकारें इस तथ्य का सर्वे कराई हैं
क्या-?की इन योजनाओं का लाभ बहुजनों को मिल भी रहा है कि नहीं। इन योजनाओं में बंचित समाज की भागीदारी कितनी है। जिनका ढिढोरा पीटा जा रहा है यह योजनाएं गांव एवं गरीबों तक
पहुंच भी रही है,क्या?बाबा साहब अम्बेडकर के द्वारा निर्मित भारत
के संबिधान में दी गई आरक्षण की ब्यवस्था दुनिया मे एक मिशाल है। यह सशक्त राष्ट्र के निर्माण के लिए जरूरी है,क्यों कि गरीबों को देश के विकास की मुख्य धारा में लाकर देश को विकासशील देश से विकसित देश
की श्रेणी में लाया सकता है। सांसद सावित्री बाई फुले जी ने अपने संबोधन में कहा कि,ऐसा लगता है कि इन मनुवादी सरकारों के इरादे देश मे कानून एवं संविधान का राज स्थापित करना नहीं,बल्कि ये शातिर लोग मनुवादी व्यवस्था को
पुनः स्थापित करने की साजिश कर रहे है। इसलिये मैं देश के बहुजन संगठनों एवं बहुजन समाज के शुभ चिंतकों से हृदय से अपील करतीं हूँ कि,अब हम सभी को बहुजन समाज के अधिकारों के प्रति गंभीर हो जाना
चाहिए अन्यथा, आने वाली पीढियां हमें धिक्कारेंगी।
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