तहसील क्षेत्र नानपारा में गेंहू खरीदारी में साहूकार और बेचौलिये कि खूब चांदी है किसानों का कहना है कि सरकारी कांटे पर गेंहू बेचना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है गेंहू क्रय केंद्र पर दलालों का वर्चस्व कायम है केशवपुर के कई ग्रामीणों ने बताया कि हम लोग जब सरकारी कांटे पर जाते है तो हमारा गेंहू खरीदा नही जा रहा है केशवा पुर गांव में केवल 2 लोगों जगदीश,मनोज का ही गेंहू खरीदा गया है और फर्जी खेतौनी के आधार पर एक दो गांव की खरीदारी दिखा दी जाती है ज्यादा एक किसान ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जब सरकारी कांटे पर गेंहू लेकर जाते है तो जल्दी खरीदा नहीं जाता और अगर काफी मनुव्वाल के बाद अगर लेते है तो 1रुपये किलो अलग से पैसा ले लेते है कांटे पर दलालों और साहूकारों के जरिये खरीदारी करते है पूरा दिन कांटे पर दलालों का तांता लगा रहता है अगर खरीदारी करते भी है तो पैसे 1 हफ्ता से पहले नही मिलता बताते चले कि कृषि उत्पादन मंडी समिति में गेंहू क्रय केंद्र बनाया गया है मगर कई प्रकार की दिक्कत भुकतान की दिक्कत आने के कारण किसानों को बिचौलियों के हाथों और दलालों के हाथों बिक्री करनी पड़ती है यह खरीदारी करने वाले मंडी के ही अंदर के लाइसेंस धारी होते है वह 1500,1525 रुपये प्रति कुंतल का ही रेट देते है किसान मजबूरी के कारण 2 रुपये प्रति कुंतल कम पंर इनको गेंहूँ बेच रहा है ऐसे में सरकार दुवारा गेंहू खरीदारी करने का दावा हवाई साबित हो रहा है किसानों का कहना है कि एक तो पहले से हम लोग छुट्टा जानवरों से परेशान है उसके ऊपर अब बिचैलियों को गेंहू बेचकर मूल्य से कम पैसा ले रहे है अगर सरकारी कांटे पर हम सब किसानों का आसानी के साथ नगद में गेंहू खरीदी कर ली जाए तो हम लोगों को सरकारी मूल्य तो मिल ही जाये मगर ऐसा नही हो पा रहा है एक तो अन्नदाता पहले से पूरी रात्रि जाग कर फसल बचानी पड़ती है और फसल बेचने के लिए सरकारी कांटे पर खुशामद करनी पड़ रही कोई बड़ा अधिकारी इसका निरीक्षण भी नही करता है केंद्र प्रभारी अपनी मर्जी से जिसका चाहते है उसका ही गेंहू खरीदते हैं देश का अन्नदाता हर तरफ से पीड़ित किया जाता है
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