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Saturday, April 19, 2025 8:50:34 PM

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शराब की दुकानों के शटर बंद, ब्लैक मार्केट में डिमांड और फर्जी ब्रांड की वाहवाही जारी

शराब की दुकानों के शटर बंद, ब्लैक मार्केट में डिमांड और फर्जी ब्रांड की वाहवाही जारी

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार शराब के जरिए राज्य सरकार का खजाना भरने की तैयारी कर रही हैं. इस तैयारी में मोदी सरकार का डिजिटल इंडिया नीति निर्देशक तत्व है और पॉन्टी चड्ढा सबसे बड़ा विलेन. नतीजा यह कि बीते एक महीने से राजधानी दिल्ली से सटे यूपी के जिलों में शराब की दुकानों के शटर बंद, ब्लैक मार्केट में डिमांड और फर्जी ब्रांड की वाहवाही जारी है.पॉन्टी चड्ढा ने उत्तर प्रदेश में शराब रीटेल की मोनोपोली कायम कर ली थी. पूरे राज्य में रीटेल लाइसेंस या तो पॉन्टी चड्ढा के नाम पर आवंटित किया जाता था नहीं तो दुकान का शटर खुलता नहीं था. रीटेल स्टोर से बिक रही एक-एक बोतल पर गुलाबी कागज की फर्जी होलोग्राम चिप लगी रहती थी और उसे एमआरपी से 5 या 10 रुपये अधिक पर बेचा जाता था. सवाल उठाना समय खराब करना था क्योंकि इस गुलाबी रसीद को पॉन्टी टैक्स बताया जाता था. अधिक सवाल पूछने पर कुछ दुकानों पर 5 रुपये की नमकीन पैकेट थमा दी जाती थी. इसे पॉन्टी चड्ढा की मोनोपोली कहा गया और अब योगी सरकार इस मोनोपोली को पूरी तरह खत्म करते हुए शराब रीटेल से सरकारी खजाने को भरने की तैयारी कर रही है. इसके लिए कुछ अन्य राज्यों की तरह प्रति वर्ष लाइसेंस रद्द होते ही लॉटरी सिस्टम के तहत नई दुकानों का आवंटन किया जा रहा है.पॉन्टी चड्ढा की मोनोपोली तोड़ने की योगी सरकार की कवायद के साथ-साथ इस सेक्टर में मोदी सरकार के डिजिटल इंडिया को मिलाया जा रहा है. राज्य सरकार के फैसले के बाद 1 अप्रैल 2018 के बाद उत्तर प्रदेश में किसी शराब की दुकान पर शराब सिर्फ और सिर्फ कैशलेस माध्यमों से देने की तैयारी की जा रही है. सरकार के इस कदम का मकसद है कि राज्य में कहीं भी शराब एमआरपी के ऊपर न बेची जा सके. योगी सरकार ने जनवरी में यह फैसला ले लिया है लेकिन इसे लागू करने की चुनौती ने राज्य सरकार के आबकारी विभाग की नींद उड़ा दी है. इसके साथ ही विभाग को नई शक्ति दी गई है कि यदि किसी दुकान में कैशलेस सेलिंग नहीं की जा रही है तो उसके लाइसेंस को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया जाए. पॉन्टी चड्ढा की मोनोपोली को खत्म करने के लिए राज्य सरकार ने लाइसेंस आवंटन का सबसे पारदर्शी तरीका चुना है. लॉटरी सिस्टम से नए लाइसेंस जारी करना. बीते एक महीने के दौरान नए लाइसेंस के लिए यह लॉटरी सिस्टम चल रहा है लेकिन कई क्षेत्रों में यह सिस्टम रुकने का नाम नहीं ले रहा है. आबकारी विभाग के स्पेशल जोन में आने वाले नोएडा, मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर इत्यादि जिलों में तीसरे दौर की लॉटरी निकाली जा रही है लेकिन दर्जनों की संख्या में नए लाइसेंसों का आवंटन बाकी है. कहीं लॉटरी निकालने के लिए पर्याप्त आवेदकों की कमी है तो कहीं आवंटित होने वाले लाइसेंस का आकार इतना बड़ा कि विवाद बेकाबू है. आबकारी विभाग पर जल्द से जल्द आवंटन करने का दबाव है तो लाइसेंस पर विवाद को देखते हुए कई आबकारी अधिकारियों को आवंटन के मुकाबले तबादला मुनाफे का सौदा लग रहा है.
आबकारी क्षेत्र में आम तौर पर 1 अप्रैल तक लाइसेंस धारक शराब कंपनियों से दुकान के लिए स्टॉक की खरीद कर लेता है. चूंकि पहले मामला मोनोपोली का रहता था तो एक कंपनी सभी लाइसेंस धारकों के लिए यह खरीद करते हुए नए माल को स्टोरेज में पहुंचा देती थी. इस स्टोरेज से प्रतिदिन रीटेल काउंटर पर शेल्फ को सजा दिया जाता था और 1 अप्रैल के बाद 24 से 48 घंटे में स्थिति को सामान्य कर लिया जाता था. इस बार मोनोपोली टूटने के कगार पर है. छोटे-बड़े लाइसेंस धारकों को माल स्टॉक करने की समस्या का सामना करना पड़ा रहा है. वहीं छोटे लाइसेंस धारकों को अलग-अलग डिस्टेलरी का चक्कर लगाना पड़ा रहा है जहां उन्हें क्रेडिट पर माल लेने की चुनौती का भी सामना करना पड़ा रहा है.शराब में डिजिटल इंडिया को मिलाने की चुनौती न सिर्फ राज्य सरकार या लाइसेंस धारक के लिए है. सबसे बड़ी चुनौती डिस्टिलरी के लिए क्योंकि उन्हें फैक्टी से निकलने वाली प्रत्येक क्वार्टर, हाफ, फुल और 1 लीटर की बोतल पर होलोग्राम लगाना है. इतने बड़े पैमाने पर यह काम दिए हुए समय में कर पाना डिस्टिलरी के लिए नामुमकिन हो गया है. डिस्टिलरी की मांग है कि उन्हें होलोग्राम लगाने के लिए कम से कम 6 महीने का समय दिया जाए लेकिन आबकारी विभाग का शीर्ष नेतृत्व पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया को जल्द से जल्द सफल करना चाहती है.

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