बहराइच। जिस तरह लाख कोशिशों के बाउजूद जिले में ड्रग्स,शराब व जुवें के अवैध कारोबार का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. ठीक उसी तरह प्रशाशन के लिए कोढ़ में खाज की तरह पनप रहा बालू खनन का अवैध धंधा भी भ्रष्टाचार की छाती पर सवार होकर खुद अपनी ही नीव को दरकाने का प्रयास कर रहा है। एक ओर जहाँ खनन स्थल के ठेकेदारों द्वारा निर्धारित सरकारी सरकारी रायल्टी से लगभग तीन गुना अधिक प्रति घनमीटर की वसूली कर उ0प्र0 सरकार की नीतियों पर भी करारा प्रहार करने से बाज नहीं आ रहे। वहीँ दूसरी ओर जब कोई पत्रकार इनके काले कारनामो को आवाम के सामने लाने की कोशिश करता है तो या तो उस पर हमले कर दिए जाते हैं या फिर भिंड में घटी घटना की तरह गाड़ी से रौंदवाकर पत्रकारों को जान से मरवा दिया जाता है। बानगी ही सही लेकिन यहाँ तमाम साहस का परिचय देते हुवे जिस समाजसेवी द्वारा बालू खनन व हो रहे घोटाले की सूचना खनन मंत्री तक पहुचाने का प्रयास किया गया है यदि उनकी बातों को माना जाय तो जिले में बालू खनन का जो भी ठेका हो रहा है उसमे किसी प्रकार की कोई भी रायल्टी ठेकेदारों द्वारा फिक्स न दर्शाकर 350/-प्रति घनमीटर के स्थान पर 1000/-प्रति घनमीटर की गिरोहबंद वसूली की जा रही रही वो भी खरीदारों को जो रसीद दी जा रही है उसमे घन मीटर का तो वर्णन है लेकिन रेट का वर्णन कहीं नहीं है। जिसका नतीजा यह है कि जहाँ प्रति घनमीटर 350/-या ठेकेदारों का कमीशन जोड़कर लगभग 400/-के आस पास रहना चाहिए वहां हजारों रुपये की वसूली कर नीचे से ऊपर तक सुनियोजित खेल रचकर बालू के दामों में अनचाही वृद्धि करवाई जा रही है। लेकिन यदि सूत्रों की माने तो गजब यह भी है की प्रधानमन्त्री आवास सहित जिले में करवाय जा रहे सरकारी कामों में भी बालू को लेकर बड़े बड़े खेल करवाय गए हैं। ऊपर से हमारी जांबाज पुलिस समय समय पर कुछ ट्रालियों को अवैध खनन में शामिल दिखाकर ड्राइवर सहित बंद कर अपना पीठ थपथपवाने का काम तो करती है लेकिन उसके द्वारा ठेके में हो रहे खेल की जानकारी कभी मीडिया या आवाम को नहीं दी जाती। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह भी उठता है की जो ठेकेदार 45 किलोमीटर जाकर 1000/-घनमीटर के हिसाब से 3 घनमीटर बालू लेकर आता है तो उसके सामने सबसे बड़ी समस्या यह उठती है की डीजल सहित अपना खर्चा जोड़कर वह बालू को बेंचे कितने में। और यही बालू के दाम में आग लगा होने का सबसे बड़ा
कारण है। जिसकी मार ठेकेदारो के साथ साथ ज्यादातर मध्यम वर्गीय परिवार व गरीबों पर पड़ती है। जिले में पचदौरी,मांझा दरिया कुर्द,अहाता,फ़तेह सिपाह व भौरी आदि जितने भी निर्धारित खनन स्थल हैं सभी जगहों पर 3000/-की खुली वसूली की जा रही है। शिकायत कर्ता द्वारा कहीं कहीं एक ही व्यक्ति के नाम से दो दो ठेके होने के भी आरोप लगाय जा रहे हैं। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि नानपारा के तकिया व नगर के आस पास छेत्रों में झांसा बनवारी में बगैर किसी ठेके के ही अवैध खनन करवायेजा रहे हैं। लेकिन पुलिस सब कुछ जानकार भी चुप है। हालांकि समय समय पर पुलिस पर यह भी आरोप लगते रहे हैं की वही ट्रैक्टर ट्रालियां अक्सर बंद होते हैं जिनसे पुलिस को कोई लाभ नहीं होता जिसका एक कारण रोज सुबह सलरगंज पुलिस चौकी के सामने से बालू लदी निकल रहीं दर्जनों गाड़ियां भी बताईं जा रही हैं। जबकि कुछ जरूरतमंदों ने पूछनें पर यह भी बताया की सारा खेल पुलिस और ठेकेदार मिलकर खेल रहे हैं फिर भी ऐसे मामलों को कम से कम मीडिया के लोगों को तो जोर शोर से उठाना ही चाहिये।
व्हाट्सएप पर शेयर करें
No Comments






