Breaking News

आवश्यकता है “बेखौफ खबर” हिन्दी वेब न्यूज़ चैनल को रिपोटर्स और विज्ञापन प्रतिनिधियों की इच्छुक व्यक्ति जुड़ने के लिए सम्पर्क करे –Email : [email protected] , [email protected] whatsapp : 9451304748 * निःशुल्क ज्वाइनिंग शुरू * १- आपको मिलेगा खबरों को तुरंत लाइव करने के लिए user id /password * २- आपकी बेस्ट रिपोर्ट पर मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ३- आपकी रिपोर्ट पर दर्शक हिट्स के अनुसार भी मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ४- आपकी रिपोर्ट पर होगा आपका फोटो और नाम *५- विज्ञापन पर मिलेगा 50 प्रतिशत प्रोत्साहन धनराशि *जल्द ही आपकी टेलीविजन स्क्रीन पर होंगी हमारी टीम की “स्पेशल रिपोर्ट”

Sunday, March 23, 2025 11:02:29 AM

वीडियो देखें

प्रशस्ति गान तो करने दो!

प्रशस्ति गान तो करने दो!

रिपोर्ट : राजेंद्र शर्मा

 

विपक्ष वालों की यह तो बड़ी ज्यादती है। खुद तो कभी मोदी जी की तारीफ नहीं करेंगे। न भूतो न भविष्यत, टाइप के कारनामे कर के दिखा दें, तब भी मजाल है, जो इनके मुंह से प्रशंसा का एक शब्द भी फूट जाए। बाकी सब को छोड़ भी दें, तो मोदी ही रामलला को, बल्कि राम को लाने की भी तारीफ में दो शब्द भी इन्होंने कहे हों, तो कोई बता दे। मोदी जी के बाकायदा कालचक्र को घुमा देने और त्रेता के राम वाले युग की टक्कर में, अपना नया युग शुरू करने तक पर इनके मुंह से एक वाह तक नहीं निकली। अब मोदी जी का अपना गोदी मीडिया भव्य-भव्य, दिव्य-दिव्य करे, तो इन्हें उसमें भी प्राब्लम है। भक्तगण खुशी के मारे मस्जिदों, गिरजों के सामने नाच-गाना करें, तोड़-फोड़ करें, गुंबदों वगैरह पर चढ़कर केसरिया झंडा फहराएं, तो उस पर भी इन्हें आपत्ति है। और तो और, न तो इन्हें इसकी खुशी में मोदी जी की अपनी कैबिनेट का खुद को सहस्त्राब्दी की कैबिनेट घोषित करना हजम हो रहा है और न उसका मोदी जी को महानायक से प्रमोशन देकर, नये युग के प्रवर्तक का आसन देना।

 

और मोदी जी की कैबिनेट के यह कहने से तो उनके विरोधियों के तन-बदन में आग ही लग गयी है कि 1947 में तो सिर्फ देश का शरीर का आजाद हुआ था। उसमें आत्मा की प्रतिष्ठा तो मोदी जी ने अब की है, राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के साथ। आखिरकार देश को पूरी आजादी दिलाने के लिए है मोदी जी को धन्यवाद देने के बजाए, विरोधियों ने इसमें देश का अपमान खोज निकाला है। कह रहे हैं कि आजादी के बाद, 75 साल देश क्या सिर्फ निर्जीव शरीर था, महज एक जिंदा लाश, जिसमें अब मोदी जी ने प्राण डाले हैं? कैबिनेट ने चाटुकारिता की हद कर दी तो कर दी, पर उसे देश के पचहत्तर साल के इतिहास का इस तरह तिरस्कार करने का क्या अधिकार है? हद्द तो यह कि इस पचहत्तर साल में, पौने दस साल तो खुद मोदी के राज के भी शामिल हैं। यह तो देश का सगुन बिगाड़ने के लिए, अपनी नाक काट लेना ही है।

हमें शक है कि विरोधियों की इसी कांय-कांय के चक्कर में मोदी जी के कैबिनेट, उन्हें सरकारी तौर पर अवतार घोषित करने से चूक गयी। उन पर विशेष ईश्वरीय कृपा होने का बाकायदा दावा भी किया। उसने कहा कि उन्हें पांच सौ साल की प्रतीक्षा खत्म करने वाले मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए नियति ने चुना था, वगैरह। पर ईश्वर द्वारा चुने गए हैं, सिर्फ इतना ही कहना काफी था क्या? इतना तो मोदी जी ने खुद अपने मुंह से ही कह दिया था। आखिर, दरबारियों का भी कुछ धर्म, कुछ फर्ज बनता था! इससे तो आगे बढऩा चाहिए था। अब उन्हें क्या उन्हीं की बात याद दिलानी पड़ेगी कि ऐसा मौका कई-कई जीवनों में एक बार आता है। मोदी जी को अवतार घोषित करने के लिए अब और किस चीज का इंतजार था? अब तो राम जी भी आ गए; अब भी नहीं, तो कब!

 

व्यंग्यकार वरिष्ठ पत्रकार और साप्ताहिक ‘लोकलहर’ के संपादक हैं।

व्हाट्सएप पर शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *