बहराइच। साहब पैसा लेकर पुलिस बिकवा रही हैं स्मैक, पुलिस की मिलीभगत से ही हो रहा है सारा अपराध। जी हाँ ये सच है और ये सच हम नहीं बल्कि खुद ही बहराइच पुलिस कह रही है। मामला बहराइच के थाना नानपारा क्षेत्र का है जहाँ राजाबाजार चौकी पर तैनात दारोगा एके भदौरिया ने इस बात कबूला है। आपको बता दें की इस वक्त एक वीडिओ वायरल हो रहा है जिसमे राजाबाजार चौकी par तैनात दारोगा एके भदौरिया कह रहे है कि दरोगा पैसा नहीं लेगा तो सिपाही पैसा लेकर अपराध को बढ़ाते रहेंगे और यही कारण है ९० प्रतिशत अपराध में पुलिस की सहभागिता होती है। अब ये बात हमने कही होती तो शायद खाकी की शान में गुस्ताखी होती, किन्तु ये बात तो खुद ही बहराइच पुलिस कह रही है की बगैर उनकी मिली भगत के कोई क्राइम हो ही नहीं सकता है। तो क्या ये मान लिया जाये की सीएम योगी आदित्यनत झूठों चिल्ला रहे है कि प्रदेश की जनता को हमारी सरकार ने सुरक्षा का एहसास कराया है? या फिर ये मान लिया जाये की बहराइच की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी मजबूत हाथों में नहीं है? आपको बता दें कि इससे पहले रामगांव के सिपाही अरुण प्रताप सिंह ने महकमे की जमकर किरकिरी कराई थी। ये बात और है की दारोगा जी सच कहने का साहस दिखा चुके है और हो सकता है कि उन्हें लाइन हाजिर भी कर दिए जाएं? किन्तु क्या सिर्फ लाइन हाजिर करने से ही सच को दबाया जा सकता है? फिलहाल थानों और कोतवाली की सच्चाई दारोगा जी ने तो स्वयं ही बया कर दी, किन्तु एसपी साहब के सलाहकार अब भी उन्हें उनके गुडवर्क के ख्वाब दिखा रहे है। शायद यही कारण है कि साहब के अपने आस पास किसी निंदक को भटकने नही देते क्योंकि सच के आईने में झूट की कोई जगह नहीं होती। यही हाल अधिकतर थानों और चौकियों का है। जिससे फीलगुड का अहसास हुआ वो निर्दोष साबित हो जाता है और अगर फीलगुड कम हुवा तो वह जेल चला गया। निर्दोष हवालात की हवा खा जाते है और अपराधी थानों चौकी पर गप्पे लड़ाते हैं। साहब की ईमानदारी पर जिले के 36 लाख की जनता को गर्व है, लेकिन अधिनस्त लोग पर हम कैसे गर्व करें ये समझ मे नही आता। थानों के आगे लिखा है कि दलालों का प्रवेश वर्जित है, लेकिन ऐसे ही कमाऊपुत थाने के दुलारे भी है ये भी एक सच है। कुछ चौकी और थानों पर ऐसे ही कई और मामलों को भी जल्द उजागर किया जाएगा क्योंकि सच कहना तो हिम्मत का काम है, लेकिन सच को स्वीकार कर उसमें सुधार भी लाना भी बड़ी हिम्मत का काम है। साहब को गुमराह किये जाने के कई उदाहरण अब तक सामने आ चुके है, लेकिन साहब को सच्चाई से अवगत करा कर दोषियों पर कार्रवाई के एक उदाहरण भी सामने नकाही आए। फिलहाल सच बोलने की हिमाकत तो दारोगा ने कर दी और हमने सच लिखने की। अब साहब का रियेक्सन ही बताएगा बहराइच पुलिस का गुडवर्क या बैडवर्क
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