बहराइच 26 मई। जिला कृषि रक्षा अधिकारी आर.डी. वर्मा ने बताया कि बीज जनित/भूमि जनित रोगों से बोई जाने वाली फसल के बचाव हेतु बीजशोधन/भूमिशोधन का अत्याधिक महत्व है। इससे फसल की रोगों से सुरक्षाकर अधिक पैदावार ली जा सकती है। श्री वर्मा ने किसानों को सुझाव दिया है कि खरीफ की फसलों से बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए बीज शोधन अवश्य करें। बीजशोधन के अभाव में फसलों में कई फफूंदजनित/जीवाणुजनित रोगों का प्रकोप देखा जाता है। जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि रोगकारक फफूॅदी व जीवाणु प्रायः बीज से लिपटे रहते हैं या भूमि में पड़े रहते हैं। बीज बोने के बाद फफूॅदी अपने स्वभाव के अनुसार नमी प्राप्त होते ही उगते बीज, अंकुर या पौधों के विभिन्न भागों को संक्रमित करके रोग उत्पन्न करते हैं। रोगों से फसलों को बचाने के लिए बीज उपचार/बीजशोधन ही एकमात्र सरल सस्ता व सुरक्षात्मक उपाय है। जिला कृषि रक्षा अधिकारी श्री वर्मा ने बताया कि बीज शोधन के लिए फफूॅदीनाशक रसायनों जैसे थीरम 75 प्रति. अथवा कार्बण्डाजिम 50 प्रति. अथवा कार्बाक्सिन 37.5 प्रति. को 2-3 ग्राम रसायन प्रति किलोग्राम बीज की दर से एवं बायोपेस्टीसाइड जैसे ट्राईकोडर्मा हारजेनियम 4 ग्राम प्रति किलोग्राम अथवा सूडामोनास 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर बुवाई करना चाहिए। श्री वर्मा ने बताया कि धान की फसल में जीवाणु झुलसा रोग में पत्तियाॅ नोक से अथवा किनारे से सूख जाती हैं, सूखे हुए किनारे अनियमित एवं टेढे-मेढे हो जाते हैं, जिससे बचाव हेतु स्टेप्टोमाइसिन सल्फेट 90 प्रति. एवं ट्रेटा साइक्लीन 10 प्रति. की 04 ग्राम मात्रा 25 किलोग्राम बीज की दर से बीजशोधन कर बुवाई करना चाहिए। इसी प्रकार झौका रोग में पत्तियों पर आॅख की आकृति के धब्बे बन जाते हैं जो बीच में राख के रंग तथा किनारे पर गहरे कत्थई रंग के होते हैं, इनके अतिरिक्त बालियों-डण्ठलों पर काले भूरे धब्बे बल जाते हैं, जिससे बचाव हेतु बोने से पूर्व बीज को 03 ग्राम थीरम अथवा 02 ग्राम कार्बण्डाज़िम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज शोधन करना चाहिए। उन्होंने बताया कि बीज शोधन हेतु कृषि रक्षा रसायन थीरम, कार्बण्डाजिम, ट्राईकोडर्मा हारजेनियम व स्टेप्टोमाइसिन सल्फेट आदि सभी कृषि रक्षा इकाईयों पर 75 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध है। जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि किसी भी फसल में कीट/रोग के प्रकोप की दशा में किसान भाई अविलम्ब अधोहस्ताक्षरी के दूरभाष न. 9839206867 पर सम्पर्क कर कीट/रोग के नियन्त्रण के सम्बन्ध में सलाह प्राप्त कर सकते हैं। कीट/रोग से बचाव हेतु आवश्यक कृषि रक्षा रसायन जनपद के सभी कृृषि रक्षा इकाईयों पर अनुदानित मूल्य पर उपलब्ध है, परन्तु अनुदान सीमित है अतः प्रथम आवक प्रथम पावक के आधार पर प्राप्त कर सकते है। किसान सुझाये गये कृषि रक्षा रसायन प्राप्त कर कीट/रोगो से अपनी फसल का बचाव/उपचार करते हुए अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते है।
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