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Tuesday, April 22, 2025 10:22:53 AM

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सत्ताधारी दल के साधारण आचरण के सम्बन्ध में आयोग ने जारी किये दिशा निर्देश

सत्ताधारी दल के साधारण आचरण के सम्बन्ध में आयोग ने जारी किये दिशा निर्देश

बहराइच 13 अप्रैल। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों एवं सत्ताधारी दल के साधारण आचरण के सम्बन्ध में जारी की गयी आदर्श आचार संहिता के अनुसार सत्ताधारी दल को, चाहे वे केन्द्र के हों या सम्बन्धित राज्य या राज्यों में हों, यह सुनिश्चित करना होगा कि यह शिकायत करने का मौका न दिया जाये कि उस दल ने अपने निर्वाचन अभियान के प्रयोजनों के लिए अपने सरकारी पद का प्रयोग किया है और विशेष रूप से मंत्रियों को अपने शासकीय दौरांे को, निर्वाचन से सम्बन्धित प्रचार के साथ नहीं जोड़ना चाहिये और निर्वाचन के दौरान प्रचार करते हुए शासकीय मशीनरी अथवा कार्मिकों का प्रयोग नहीं करना चाहिए, सरकारी विमानों, गाड़ियों सहित सरकारी वाहनों, मशीनरी और कार्मिकों का सत्ताधारी दल के हित में बढ़ावा देने के लिए प्रयोग नहीं किया जायेगा।

साधारण आचरण के सम्बन्ध में जारी की गयी आदर्श आचार संहिता के अनुसार सत्ताधारी दल को चाहिये कि वह सार्वजनिक स्थान जैसे मैदान इत्यादि पर निर्वाचन सभाएं आयोजित करने और निर्वाचन के सम्बन्ध में हवाई उड़ानों के लिये हेलीपैडों का इस्तेमाल करने के लिए अपना एकाधिकार न जमाएं। ऐसे स्थानों का प्रयोग दूसरे दलों और अभ्यर्थियों को भी उन्हीं शर्तो पर करने दिया जाये, जिन शर्तो पर सत्ताधारी दल उनका प्रयोग करता है।

सत्ताधारी दल या उसके अभ्यर्थियों का विश्रामगृहों, डाक बंगलों या अन्य सरकारी आवासों पर एकाधिकार नहीं होगा और ऐसे आवासों का प्रयोग निष्पक्ष तरीके से करने के लिये अन्य दलों और अभ्यर्थियों को भी अनुमति होगी लेकिन दल या अभ्यर्थी ऐसे आवासों का प्रचार कार्यालय के रूप में या निर्वाचन प्रचार के लिये कोई सार्वजनिक सभा करने की दृष्टि से प्रयोग नहीं करेगा या प्रयोग करने की अनुमति नहीं दी जायेगी।

निर्वाचन अवधि के दौरान सत्ताधारी दल के हितों को अग्रसर करने की दृष्टि से उनकी उपलब्धियाॅ दिखाने के उद्देश्य से राजनैतिक समाचारों तथा प्रचार की पक्षपातपूर्ण ख्याति के लिये सरकारी खर्चे से समाचार पत्रों में या अन्य माध्यमों से ऐसे विज्ञापनों का जारी किया जाना, सरकारी जन माध्यमों को दुरूपयोग ईमानदारी से बिल्कुल बन्द होना चाहिये।

मंत्रियों और अन्य प्राधिकारियों को उस समय जब से निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन घोषित किये जाते हैं, विवेकाधीन निधि में से अनुदानों/अदायगियों की स्वीकृति नहीं देनी चाहिये। मंत्री और अन्य प्राधिकारी, उस समय से जब से निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन घोषित किये जाते हैं, किसी भी रूप में कोई भी वित्तीय मंज़ूरी या वचन देने की घोषणा नहीं करेंगे, अथवा (लोक सेवकों को छोड़कर) किसी प्रकार की परियोजनाओं अथवा स्कीमों के लिये आधारशिलाएं आदि नहीं रखेंगे, या सड़कों के निर्माण का कोई वचन नहीं देंगे, पीने के पानी की सुविधाएं नहीं देंगे आदि या शासन, सार्वजनिक उपक्रमों आदि में ऐसी कोई भी तदर्थ नियुक्ति न की जाये जिससे सत्ताधारी दल के हित में मतदाता प्रभावित हों। केन्द्रीय या राज्य सरकार के मंत्री, अभ्यर्थी या मतदाता अथवा प्राधिकृत अभिकर्ता की अपनी हैसियत को छोड़कर किसी भी मतदान केन्द्र या गणना स्थल में प्रवेश नहीं करेंगे।

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