बहराइच 06 अप्रैल। प्रभागीय वनाधिकारी वन्यजीव प्रभाग कतर्नियाघाट बहराइच जी.पी. सिंह ने बताया कि पश्चिमोत्तर भाग, जो कि समृद्ध जंगल एवं जैवविविधता से भरपूर है, यहां अतीत से सह अस्तित्व व सहजीवन अत्यन्त विकसित रहा है।
डीएफओ श्री सिंह ने कहा कि इस कतर्नियाघाट वन्य प्रभाग के जंगल से सटे कई गांव वन्य जीवों के प्रति अपने लगाव के लिए विख्यात रहे है, किन्तु इन वर्षो में जंगल क्षेत्र से सटे गांवो की ओर बाघ व तेन्दुआ का आवागमन प्रायः हो रहा है, जिसका कारण जंगल में इन जीवों की बढ़ती संख्या है, जिसके कारण अपेक्षाकृृत उग्र दराज व अल्प वयस्क वन्य जीव नई टेरीटरी बनाने के लिए आवागमन करते है। जंगल से गांवो की ओर कृषि फसले जैसे गन्ने एवं सब्जियों के कारण वे इन क्षेत्रों को अपना प्राकृतवास समझ लेते है। इस कारण आप लोग इन दुर्लभ वन्य जीवों के दर्शन भी कर पाते है। जिसके लिए कई देशी-विदेशी सैलानी तरसते है। सहचर्य जीवन हेतु कतिपय सावधानियां बरतते हुए आप स्वयं के जीवन को सुरक्षित कर सकते है। यदि फिर भी तेन्दुआ, बाघ या अन्य वन्य जीवों से असहज महसूस होने पर तो तुरन्त वनाधिकारियों को जारी दे। कभी भी इन वन्य जीवों को हानि न पहुचाएं, अन्यथा वन्य जीव सरंक्षण अधिनियम 1972 के प्राविधानों के तहत सजा पाने के हकदार होगें।
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