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Saturday, April 26, 2025 12:04:40 AM

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बाइक में हैंडिल लॉक न करना पत्रकार को महंगा पड़ा

बाइक में हैंडिल लॉक न करना पत्रकार को महंगा पड़ा
/ से बेखौफ खबर के लिए स्वतंत्र पत्रकार वसीम अहमद की रिपोर्ट

रुपईडीहा बहराइच। “अपराधियों में भय और आमजन में विश्वास” जैसे पुलिस के इस स्लोगन से हर कोई वाकिफ है। इसके बाद भी हर बार कई जगह पुलिस अधिकारी और पुलिसकर्मी अपने वर्दी के रौब को दिखाने में पीछे नहीं रहते हैं। इस कारण फरियादी पुलिस से डरा हुआ रहता है। वैसे तो सरकार की ओर से निर्देश है कि किसी पुलिसकर्मी और अधिकारी ने अपना रौब दिखाने की कोशिश की तो उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी, जो हमेशा अखबारों में छपता रहता है। लेकिन इस तरह के पुलिस विभाग द्वारा जारी फरमान सिर्फ अखबारों की शोभा बढाने के अलावा कुछ भी नही है। बहरहाल हर बार कई जगह पुलिसकर्मी या अधिकारी अपने रौब के कारण चर्चा में रहते हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होने के कारण वह अपना रौब झाड़ने में कामयाब हो जाते हैं। इसी प्रकार एक मामला थाना रुपईडीहा क्षेत्र अंतर्गत पुलिस चौकी बाबागंज इंचार्ज संतोष कुमार सिंह की जो प्रायः किसी न किसी बात को लेकर हमेशा चर्चा में बना रहना उनकी आदत ही बन चुकी है। शुक्रवार को चौकी इंचार्ज बाबागंज अपनी पुलिस टीम के साथ समय करीब 11 बजे आर्यावर्त बैंक शाखा सोरहिया बाबागंज पहुँच कर लखनऊ से प्रकाशित एक दैनिक समाचार पत्र के संवाददाता पर इस लिये भड़क कर अपना रौब झाड़ने लगे कि उसने अपनी बाइक की हैंडिल को लॉक नही किया था। चूंकि उनके पहुंचने पर ब्रांच मैनेजर अंकित कुमार सिंह अपने बैंक स्टाफ से पूछा कि हैंडिल लॉक किया था कि नहीं, देखो बाबागंज के चौकी इंचार्ज साहब आ गये हैं। अभी चालान कर देंगे। उनकी बातें सुनकर बैंक काम से आये बाबागंज के एक पत्रकार बाहर आकर अपनी बाइक की हैंडिल लॉक करने लगे जिसे देख कर दरोगा जी खासा गुस्सा में आ गये और भड़क कर अनाप शनाप बकने लगे पत्रकार ने जब अपनी गलती को स्वीकार कर भविष्य में इस बात का ख्याल रखने की बात कही तो उनका पारा आसमान छूने लगा तथा चेहरा भयावह करते हुये सारे बदन में ऐंठन पैदा हो गयी। जैसा किसी बड़े अपराध का अपराधी को वह अपने काबू में लेने का प्रयासरत हों। लेकिन जब पत्रकार ने दरोगा जी को समझाने की कोशिश की,कि हैंडिल को लॉक करके यहां बाइक खड़ी की जाती है। इस सम्बंध में उसे कोई जानकारी नही थी। जैसे ही मैनेजर साहब ने बताया बिना देरी के ही वह बाहर भागता हुआ आया है। जबकि बैंक के बाहर कुर्शी लगा कर बैठे हुये होमगार्ड ने भी उसे नही टोका। लेकिन वह मानने वाले कहाँ थे बस क्या था उनके सामने यह कोई बड़ा अपराध था जो वह माफी लायक नही था। जबकि मोटर व्हीकल एक्ट में बाइक हैण्डिल लॉक कर खड़ी न करना कोई अपराध नही बनता लेकिन दरोगा जी अपनी ओहदा का नाजायज फायदा उठाकर बाइक वाहन स्वामियों को हैण्डिल लॉक न करने के अपराध का धौंस जमा कर फर्जी तरीके से आर्थिक व मानसिक शोषण किया जा रहा है। वैसे तो दरोगा जी की खासियत है कि जबसे वह यहाँ तैनात हुए हैं। तभी से बाबागंज बाग में लगने वाली साप्ताहिक बाजर में नेपाली दारू सौंफी धड़ल्ले से खुलेआम बेची जा रही है। जिससे चौकी क्षेत्र में चोरी जैसी जघन्य अपराधों की बाढ़ सी आ गयी है। इस संबंध में जब पत्रकारों ने चौकी इंचार्ज बाबागंज से बात करने की कोशिश की गई तो उनका मोबाइल नहीं उठा।

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