इटावा के मजदूर किसान भवन में गुरुवार को सीपीआईएम सदस्यों की बैठक कामरेड मुकुट बिहारी जंगम की अध्यक्षता में आयोजित की गई। जिसमें सीपीआईएम के 24 वें अधिवेशन में लिए गए श्रम संहिताओं के खिलाफ 20 मई को आम हड़ताल के प्रस्ताव का समर्थन करने का निर्णय लिया गया।
सीपीआईएम की तहसील कमेटी इटावा-पीपल्दा के संयुक्त सचिव मुरारीलाल बैरवा ने बताया कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का 24 वें महाधिवेशन में केंद्र सरकार द्वारा लाई गईं चार श्रम संहिताओं के क्रियांवयन के खिलाफ 20 मई को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और स्वतंत्र अखिल भारतीय क्षेत्रीय महासंघों के संयुक्त मंच द्वारा देशव्यापी आम हड़ताल के प्रस्ताव को पूर्ण और सक्रिय समर्थन देने का निर्णय लिया गया।
संयुक्त सचिव मुरारीलाल बैरवा ने बताया कि श्रम कानून सुधारों के तहत 29 मौजूदा श्रम कानूनों को निरस्त कर उन्हें चार श्रम संहिताओं में समाहित कर दिया गया है। जो केंद्र सरकार के आक्रामक तरीके से आगे बढ़ाए जा रहे नवउदारवादी एजेंडे का हिस्सा है। इनका उद्देश्य कामगार वर्ग के कठिन परिश्रम से प्राप्त बुनियादी अधिकारों को कम करना है, जो उनके काम करने की स्थितियों जैसे काम के घंटे, न्यूनतम मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा और सबसे महत्वपूर्ण उनके संगठन और सामूहिक कार्रवाई के अधिकार से संबंधित हैं, जिसमें हड़ताल करने का अधिकार भी शामिल है। सरकार के इस दावे के विपरीत कि श्रम संहिता का उद्देश्य कवरेज को सार्वभौमिक बनाना और श्रम कानूनों को सरल बनाना है, श्रम संहिता वास्तव में संगठित क्षेत्र के श्रमिकों सहित श्रमिकों के बड़े वर्ग को बाहर कर देती है, जो पहले मौजूदा श्रम कानूनों के तहत सुरक्षात्मक उपायों के अंतर्गत आते थे। सामाजिक सुरक्षा पर संहिता ईपीएफ और ईएसआई जैसे सामाजिक सुरक्षा लाभों के साथ छेड़छाड़ करने, उन्हें कमजोर करने और प्रतिष्ठानों को संबंधित अधिनियमों में किसी भी संसदीय संशोधन की आवश्यकता के बिना इन योजनाओं से बाहर निकलने की गुंजाइश प्रदान करती है। बीड़ी, लौह अयस्क, अभ्रक, चूना पत्थर, डोलोमाइट खदानों जैसे उद्योगों में सैकड़ों हजारों श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा, जिनमें से अधिकांश दलित, आदिवासी और ओबीसी हैं, जो पहले क्षेत्र विशेष अधिनियमों के अंतर्गत आते थे, अब अनिश्चितता में आ जाएंगे। क्योंकि सरकार ने उपकर संग्रह के लिए सभी संबंधित प्रावधानों को समाप्त कर दिया है। इसके अलावा केंद्र सरकार यूएपीए, पीएमएलए और बीएनएस जैसे कानूनों के प्रावधानों का इस्तेमाल करके श्रमिकों के बुनियादी अधिकारों को दबा रही है। श्रम विभाग में शिकायत दर्ज कराने या प्रतिनिधित्व करने जैसी सामूहिक कार्रवाइयों को बीएनएस की धारा 111 के तहत संगठित अपराध के रूप में व्याख्यायित किया जा रहा है। ट्रेड यूनियन नेताओं को बिना जमानत के जेल में डाल दिया जाता है। साथ ही जन विश्वास अधिनियम के माध्यम से सरकार ने 41 कानूनों के तहत 180 अपराधों को अपराधमुक्त कर दिया है। उल्लंघन के लिए कारावास के प्रावधान को वापस ले लिया है और दंड को जुर्माने तक सीमित कर दिया है। पिछले केंद्रीय बजट में 100 और प्रावधानों को अपराधमुक्त करने का प्रस्ताव किया गया था।
श्रम संहिताएं और व्यापार करने में आसानी के नाम पर लागू किए जा रहे अन्य सभी उपाय, श्रमिक वर्ग की संगठित ताकत, ट्रेड यूनियनों को कमजोर करने और श्रमिकों पर आभासी गुलामी की स्थिति थोपकर, घरेलू और विदेशी दोनों तरह के बड़े कॉरपोरेटों द्वारा बेलगाम शोषण को सक्षम करने के अलावा और कुछ नहीं हैं।
पूंजीपति वर्ग के पक्ष में किए संशोधन
संयुक्त सचिव मुरारीलाल बैरवा ने बताया कि नवउदारवाद के दौर में पूंजीपति वर्ग के पक्ष में श्रम कानूनों में संशोधन की कोशिशें तेज़ हो गई हैं। सरकार ने 2019 में सत्ता में वापस आते ही संहिता करण की प्रक्रिया शुरू कर दी और 2019-20 में चार श्रम संहिताएं पारित कर दीं। लेकिन अब तक वह श्रम संहिताओं को लागू नहीं कर पाई है, जिसका एक बड़ा कारण एकजुट मज़दूर वर्ग आंदोलन का कड़ा प्रतिरोध है।
श्रम संहिताओं को निरस्त करने की मांग
सीपीआई (एम) की 24 वीं कांग्रेस में श्रम संहिताओं को निरस्त करने की मांग को लेकर मजदूर वर्ग को एकजुट संघर्ष को पूर्ण समर्थन करने और अपनी सभी समितियों और शाखाओं से 20 मई को देशव्यापी आम हड़ताल का सक्रिय समर्थन करने का आह्वान किया गया।
राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल को करेंगे सफल
संयुक्त सचिव ने बताया कि ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर होने वाली राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल को इटावा पीपल्दा सहित पूरे कोटा जिले में सीपीआईएम के सभी सदस्य मजदूरों के आंदोलन में शामिल होकर सफल बनाने का काम करेंगे। इस संबंध में इटावा में सीपीआईएम की बैठक मजदूर किसान भवन में कामरेड मुकुट बिहारी जंगम की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई।
बैठक में ये रहे मौजूद
बैठक में तहसील सचिव मुकुटबिहारी जंगम, गोपाल लाल महावर, प्रेम पेंटर, अमोलक चंद्र, देवीशंकर महावर आदि सीपीआईएम की तहसील कमेटी के पदाधिकारी मौजूद रहे।
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