- कोष के अन्तर्गत डेयरी प्रोसेसिंग के क्षेत्र में नई इकाइयों की होगी स्थापना – सीवीओ
बहराइच 05 अक्टूबर। भारत सरकार द्वारा घोषित आत्म निर्भर अभियान के अन्तर्गत एनीमल हस्वेन्ड्री इस्फ्रास्टक्चर डैवलेपमेंट फन्ड बनाया गया है। फण्ड के तहत दुग्ध प्रसंस्करण मांस प्रसंस्करण, पशु आहार तथा इससे जुड़ी पशुआहर मूल्य से सम्बन्धित इकाई की स्थापना के लिए 15 हजार करोड़ रूपये की पशुपालन विकास कोष की घोषणा की गयी है। इस सम्बंध में मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय भारत सरकार द्वारा गाईड लाइन जारी किये गये है, जो भारत सरकार के पोर्टल डीएडीएफ डाट जीओवी डाट इन पर उपलब्ध है।
यह जानकारी देते हएु मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. बलवन्त सिंह बताया कि गाइड लाइन के अनुसार इस कोष के अन्तर्गत डेयरी प्रोसेसिंग के क्षेत्र में नई इकाइयों की स्थापना, विद्यमान डेयरी प्रोसेसिंग यूनिट को सृ्द्ढ किया जाना और पैकेजिंग व अन्य डेयरी प्रोसेसिंग संबंधी कार्य कराये जा सकते हैं। इसके साथ ही दुग्ध उत्पादों के मूल्य संवधर्न हेतु नयी इकाई की स्थापना व विद्यमान इकाई के सुद्ढीकरण के कार्य भी किये जा सकते है। पशु पालन के क्षेत्र में इस कोष से मीट व्यवसाय के संबंध में व पशुआहार उत्पादन आदि के संबंध में योजना के दिशा निर्देशानुसार पात्र व्यक्ति, संस्था द्वारा आवेदन किया जा सकता है।
पशुपालन अवसंरचना विकास कोष का संचालन पशु पालन एंव डेयरी विभाग, मत्स्य पशुपालन एंव डेयरी, मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया जायेगा। इस योजना के अन्तर्गत किसान उत्पादक संगठन, निजी व्यवसाई धारा-8 के अन्तर्गत रजिस्टर्ड कम्पनी, एंव एमएसएमईज के अन्तर्गत पंजीकृत उद्योग पात्र होगें। पात्र संस्थाएॅ अपने प्रस्ताव को सिडबी द्वारा विकसित उद्यमी मित्र पोर्टल पर आवेदन कर सकती है। योजना वर्ष 2020-21 से 2022-23 तक 03 वर्षो के लिए लागू की गयी है, जिसके लिए भारत सरकार द्वारा पशुपालन अवसंरचना विकास कोष एएचआईडीएफ के तहत 15 हजार करोड़ रूपये की राशि बैंकों द्वारा 03 वर्ष की अवधि में वितरित किये जाने का लक्ष्य है।
पशुपालन अवसंरचना विकास कोष के तहत पात्र परियोजनाएं अनुमानित परियोजना लागत का अधिकतम 90 प्रतिशत तक ऋण के रूप में अनुसूचित बैंको से प्राप्त करने हेतु अर्ह होंगी, जिसमें सूक्ष्म एंव लघु इकाई की स्थिति में पात्र लाभार्थियों का अंश 10 प्रतिशत, मध्यम उद्यम इकाई की स्थिति में 15 प्रतिशत और अन्य श्रेणियों में यह 25 प्रतिशत होना चाहिए। पशुपालन अवसंरचना विकास कोष के तहत मूल ऋण राशि के लिए 02 वर्ष की ऋण स्थगन अवधि और उसके पश्चात् 6 वर्ष के लिये पुनर्भुगतान अवधि प्रदान की जायेगी, इस प्रकार कुल पुनर्भुगतान अवधि 08 वर्ष की होगी, जिसमें 02 वर्ष की ऋण स्थगन अवधि भी शामिल है। पात्र संस्था को 03 प्रतिशत की ब्याज उपादान का लाभ अनुमन्य है।
इसके अलावा भारत सरकार द्वारा नाबार्ड के माध्यम से प्रबन्धित रू0 750.00 करोड़ के ऋण गारन्टी कोष की भी स्थापना की जायेगी। इसके तहत उन स्वीकृत परियोजनाओं को ऋण गारन्टी प्रदान की जायेगी जो एमएसएमईज की परिभाषित सीमा के अन्तर्गत आती है। ऋण गारण्टी की सीमा उधारकर्ता द्वारा लिये गये ऋण के अधिकतम 25 प्रतिशत तक ही अनुमन्य होगी। अधिक जानकारी के लिए विकास भवन बहराइच स्थित मुख्य पशु चिकित्साधिकारी कार्यालय से सम्पर्क किया जा सकता है।
व्हाट्सएप पर शेयर करें
No Comments






