बहराइच। कोरोनावायरस महामारी की गंभीरता को देखते हुए दरगाह शरीफ जेठ मेले का आयोजन कतई उचित नहीं है। वक्फ नंबर 19 दरगाह शरीफ प्रबंध समिति के अध्यक्ष शमशाद अहमद द्वारा 28 मई से जेठ मेला शुरू कराए जाने संबंधी ऐलान से स्पष्ट है कि वह मेला के ऐलान के पीछे दरगाह के दुकानदारों से धन उगाही करने का उनका मंसूबा है। वह दुकानदारों से दबाव बनाकर किराया वसूल रहे हैं जो कि एक गंभीर अपराध है क्योंकि इस महामारी और संकट के दौरान केंद्र व राज्य सरकारों ने सभी सरकारी व गैर सरकारी संस्थान से अपने कर्मचारियों की मदद की अपील की है और उन्हें छूट व सहायता देने को कहा है। श्री कि दवाई ने कहा कि इस संबंध में उन्होंने प्रबंध समिति के अध्यक्ष को संदेश प्रेषित कर अनुरोध किया कि मेला जेठ के किरायेदारों से किराया नहीं लिया जाना चाहिए बल्कि दरगाह शरीफ फंड की ओर से पारदर्शिता रखते हुए परेशान हाल लोगों की इस समय मदद की जरूरत है। इसके बावजूद उन्होंने लाक डाउन की अहमियत को नजरअंदाज करते हुए 28 मई से मेला शुरू कराने का ऐलान किया जोकि एक अपराध की श्रेणी में आता है क्योंकि इस मेले में लाखों श्रद्धालु दूरदराज से इस दरगाह पर माथा टेकने पहुंचते हैं। इसलिए मेले के दौरान सोशल सोशल डिस्टेंसिंग बना पाना बिल्कुल असंभव होगा। वही प्रदेश के मुख्यमंत्री ने आगामी 30 जून तक कोई भी सामाजिक वह धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन पर रोक लगा रखी है। इसके बावजूद उनके द्वारा समाज व सरकार विरोधी कदम उठाना काबिले अफसोस नाक है। श्री किदवाई ने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस विषय पर संज्ञान लेकर अपराध पंजीकृत करके वैधानिक कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि विवादित प्रबंध समिति का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने साजिशन धन लूटने के उद्देश्य उन्हें प्रबंध समिति का अध्यक्ष बनाए रखा है।
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