बलरामपुर : में शनिवार को प्रशासनिक न्यायमूर्ति (एजे) डीके उपाध्याय ने जिले में आकर न्यायिक अधिकारियों व अधिवक्ताओं के साथ वार्ता की। नवनिर्मित न्यायालय भवन का जायजा भी लिया। उन्होंने आश्वासन दिया कि न्यायालय परिसर में स्थित बाग में लगे पेड़ों को कटवाने के लिए डीएफओ से कहा गया है। पेड़ कटने के बाद उस स्थान पर अधिवक्ताओं के बैठने के लिए स्थाई चैम्बर का निर्माण कराने का प्रस्ताव भेजा गया है। उन्होंने कहा कि तब तक के लिए कोर्ट परिसर के भीतर पड़ी भूमि के कुछ हिस्से पर अधिवक्ता अपना अस्थाई निर्माण करके कार्य शुरू कराएं। इसी पर अधिवक्ताओं ने सहमति जताई।
कलेक्ट्रेट के पास दीवानी न्यायालय भवन बना है। 33 करोड़ की लागत से बने इस न्यायालय परिसर में अधिवक्ताओं के बैठने की कोई व्यवस्था नहीं थी। जिससे वकीलों में आक्रोश था। अधिवक्ताओं का प्रतिनिधि मंडल लखनऊ जाकर प्रशासनिक न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय से मिला था। प्रशासनिक न्यायमूर्ति ने बलरामपुर आकर मामले का समाधान करने का आश्वासन दिया था। इसी क्रम में शनिवार करीब चार बजे शाम को श्री उपाध्याय बलरामपुर पहुंचे। उन्होंने जिला जज सहित अन्य न्यायिक अधिकारियों से वार्ता की। इसके पश्चात नवनिर्मित भवन का जायजा लेने चले गए। वहां से वापस लौटने के बाद प्रशासनिक न्यायमूर्ति ने वकीलों से कहा कि नवनिर्मित भवन के बगल में अधिवक्ताओं के बैठने के लिए पुराना भवन बना है। जिसके मरम्मत के लिए प्रशासन से कहा गया है। जल्द ही मरम्मत कार्य शुरू हो जाएगा। तब तक के लिए अधिवक्ता पुराने भवन के सामने पड़ी जमीन पर अस्थाई निर्माण कर काम शुरू कर सकते हैं। जिस पर वरिष्ठ अधिवक्ता राजकुमार श्रीवास्तव, जिला बार संघ अध्यक्ष सत्यदेव तिवारी व अन्य अधिवक्ताओं ने विरोध जताया। कहा कि पुराने भवन से नवनिर्मित न्यायालय की दूरी इतनी अधिक है कि वहां तक पहुंचने में कई मुकदमे खारिज हो जाएंगे। वहां बैठना अधिवक्ताओं के लिए सम्भव नहीं है।
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