बहराइच जिले : में किसान ने इस बार काले गेहूं की बोआई की है। गेहूं का बीज किसान ने मोहाली से मंगवाया है। कृषि अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश में बहराइच ऐसा जनपद है, जहां पर काले गेहूं की बोआई शुरू हुई है। ब्लैक गेहूं के बीज का शोध सात साल तक मोहाली के एनएबीआई में चला है। शोध के बाद गेहूं को बोआई के लिए प्रयुक्त माना गया है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक इस गेहूं में एंटी ऑक्सीटेंड काफी मात्रा में है, जिससे इसके प्रयोग से कैंसर, मधुमेह, तनाव और हृदय जैसी बीमारियों पर अंकुश लगेगा।
जिले के जरवल विकास खंड अंतर्गत कस्बा निवासी गुलाम मोहम्मद प्रगतिशील किसान हैं। गुलाम मोहम्मद ने केला, टमाटर की खेती में नाम रोशन किया है। हाल ही में उन्होंने बटेर और कड़कनाथ लेयर फार्म का संचालन शुरू किया है। इसकी जानकारी मिलने पर शासन से नामित जिले की नोडल अधिकारी रेणुका कुमारी ने निरीक्षण किया था। उनके कार्यों की सराहना भी की थी। अब गुलाम मोहम्मद ने काले गेहूं की खेती शुरू की है। किसान गुलाम मोहम्मद ने पांच बीघा में काले गेहूं की बोआई की है।
गुलाम मोहम्मद ने बताया कि अभी उन्होंने काले गेहूं की बोआई की शुरुआत की है। उन्होंने कहा कि सामान्य गेहूं से काला गेहूं अलग है। कृषक ने बताया कि एक एकड़ में अच्छी पैदावार होने पर वह गेहूं बोआई की मात्रा बढ़ाएंगे। उप कृषि निदेशक आरके सिंह ने बताया कि काले गेहूं का बीज मोहाली स्थित नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नोलॉजी (एनएबीआई) से मंगवाया गया है। उन्होंने बताया कि इसके सेवन से कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह और तनाव की बीमारियों पर अंकुश लग सकेगा। बताया कि हाल ही में गेहूं के बीज का शोध हुआ है, जिसकी बोआई अभी तक शुरू नहीं हो सकी है। जरवल निवासी किसान गुलाम मोहम्मद प्रदेश के पहले किसान हैं, जिन्होंने काले गेहूं की बोआई शुरू की है।
सात साल शोध के बाद मिली सफलत
उप कृषि निदेशक डॉ. आरके सिंह ने बताया कि सामान्य गेहूं में एंथोसाइनिन की मात्रा पांच से 15 पास प्रति मिलियन (पीपीएम) होती है। वहीं काले गेहूं में यह मात्रा 40 से 140 पास प्रति मिलियन (पीपीएम) होती है। इसमें जिंक की मात्रा सामान्य गेहूं से अधिक होती है।
एक एकड़ में 40 क्विंटल तक होगी पैदावार
काले गेहूं का बीज जिले में आ गया है। लेकिन लोग लागत और मेहनत को देखते हुए बोआई नहीं कर रहे हैं। जबकि यह गेहूं काफी लाभदायक है। सामान्य गेहूं की तरह इसमें कुछ अधिक ध्यान दिया जाता है। जिसकी पैदावार एक एकड़ में 35 से 40 क्विंटल होती है। इसका आटा 70 रुपये प्रति किलो बाजार में भी मिल रहा है।
काला गेहूं शुगर फ्री है। जबकि सामान्य गेहूं में कार्बो हाईड्रेट की मात्रा अधिक होती है। ऐसे में इसके प्रयोग से शुगर के मरीजों को काफी लाभ मिलेगा। साथ ही एंटी ऑक्सीटेंड होने के कारण कैंसर, मधुमेह, तनाव वाले रोगियों के साथ हृदय रोगियों को काफी फायदा मिलेगा। जिन लोगों को कोलेस्ट्राल की समस्या है, उनके लिए यह गेहूं रामबाण साबित होगा।
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