गोंडा जिले : में नगरपालिका परिषद की मौजूदा अध्यक्षा उज्मा राशिद चुनाव लड़ने से पहले एक मदरसे में पढ़ाती थीं। इस तथ्य को मुख्य आधार बनाकर भाजपा से उनकी प्रतिद्वंदी रहीं माया शुक्ला ने उनकी उम्मीदवारी को लेकर न्यायालय में दस्तक दी थी। उनका दावा था कि सरकारी अनुदान वाली संस्था में लाभ के पद पर रहीं उजमा चेयरमैनी में उम्मीदवार नहीं हो सकती हैं। साथ ही चुनाव में दाखिल की गई वोटरलिस्ट संबंधी कुछ सूचनाओं को भी चैलेंज किया गया था।
दो साल तक चली कानूनी लड़ाई में आखिरकार न्यायालय ने इस दावे को चुनाव न लड़ने के लिए पर्याप्त तथ्य नहीं पाया। बुधवार को अपर जनपद न्यायाधीश तृतीय ने चुनाव और दावेदारी निरस्त करने की याचिका खारिज कर दी है।
ये था मामला : भाजपा से उम्मीदवार रहते हुए रनर रहीं माया शुक्ला ने अपने अधिवक्ता की ओर से दाखिल याचिका में एक मदरसे में शिक्षिका रहते हुए चुनाव लड़ने का आरोप लगाया था। साथ ही यह भी दावा किया था कि वह लखनऊ के जगजीवन राम वार्ड में भी वोटर थीं। इसके अलावा चुनाव में भ्रष्ट आचरण का भी दोषी करार दिया था। चेयरमैन की ओर से अधिवक्ता रहे सतीश पांडे ने बताया कि दो साल से ज्यादा चले मुकदमे की अंतिम सुनवाई के दौरान बुधवार को अपर जनपद न्यायाधीश ने सभी आरोप खारिज कर दिए।
अभी और भी याचिकाएं पेंडिंग : कमोबेश इन्ही आधारों को लेकर शास्त्रीनगर तोपखाना निवासिनी जक्को और पूर्व में अध्यक्ष चुनाव में प्रत्याशी रहे जकी ने भी वाद दाखिल किया था। कुछ अन्य याचिकाएं भी लंबित चल रही हैं।
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