बहराइच। मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 16 से 22 सितंबर तक राष्ट्रीय डिमेन्शिया जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है। इसके साथ ही 21 सितंबर को अल्जाइमर्स दिवस मनाया जाएगा। इसका उद्देश्य पूरे विश्व मे अल्जाइमर्स डिमेंशिया और अन्य प्रकार के डिमेंशिया के प्रति लोगों मे जागरूकता पैदा करना है। डाॅ. विजित जयसवाल मानसिक रोग विशेषज्ञ ने बताया डिमेंशिया यानि मनोभ्रंश एक ऐसी बीमारी है जो उम्र बढ़ने के साथ – साथ होती है। यह मस्तिष्क से जुड़ी समस्या है। इसे यादाश्त कमजोर होना भी कहते हैं। डिमेंशिया के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए जिला कारागार बहराइच मे जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया। जिला कारागार मे निरुद्ध बंदियों को डिमेंशिया के प्रति जागरूक किया गया तथा 33 मरीजों का परीक्षण कर उन्हे दवाएं भी दी गयी। डॉ विजित जयसवाल ने बताया 33 मरीजों मे 3 महिलाएं भी थीं तथा 5 मरीज ऐसे थे जिनकी उम्र 60 साल से अधिक थी जिनमे डिमेंशिया की शिकायत पायी गयी। इन मरीजों मे यादाश्त कम होने, चिड़चिड़ापन, नींद न आने की समस्या तथा किसी से मिलने जुलने की इच्छा का न होना पाया गया। तीन मरीजों को मिर्गी के दौरे की समस्या थी जिनका पहले से भी इलाज चल रहा था। उन्हांेने बताया कि डिमेंशिया लाइलाज बीमारी नहीं है। इसका इलाज कुछ जरूरी दवाओं और रहन सहन मे बदलाव कर किया जा सकता है। डा. जायसवाल ने बताया कि जरूरी चीजें भूल जाना, खासकर हाल ही मे हुयी घटनाएँ (जैसे नाश्ता किया था या नहीं), किसी पार्टी का आयोजन न कर पाना, छोटी छोटी समस्याओं को भी न सुलझा पाना, साधारण रोजमर्रा के काम करने मे दिक्कत महसूस करना, गलत किस्म के कपड़े पहनना, कपड़े उल्टे पहनना, साफ – सुथरा न रहना, यह भूल जाना कि तारीख क्या है, कौन सा साल या महीना है, व्यक्ति किस घर मे या किस शहर या देश मे है, किसी वस्तु का चित्र देखकर यह न समझ पाना कि यह क्या है, नंबर जोड़ने, घटाने या गिनती करने मे दिक्कत, बोलते या लिखते हुये गलत शब्द का प्रयोग करना या शब्दों के अर्थ न समझ पाना डिमेंशिया के लक्षण हो सकते हैं। इसी प्रकार चीजों को गलत या अनुचित जगह पर रख छोडना (जैसे घड़ी या ऑफिस फाइल को फ्रिज मे रखना), कुछ काम शुरू करना फिर भूल जाना कि क्या करना चाहते थे और बहुत कोशिशों के बाद भी याद न कर पाना, अपने आप मे गुमशुम रहना, मेलजोल बंद कर देना, चुप्पी साधना, छोटों छोटी बात पर या बिना कारण ही बौखला जाना, चिल्लाना व रोना, किसी बात को या प्रश्न को दोहराना जिद करना तर्क न समझ पाना, बात बेबात लोगों पर शक करना, आक्रमक होना, लोगों की भावनाओं को न समझना या उनकी कद्र न करना, सामाजिक तौर तरीके भूल जाना, अजीबोगरीब बात करना तथा भद्दी भाषा, गाली, या अश्लील हरकतें करना डिमेंशिया के लक्षण हो सकते हैं।
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