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Sunday, May 25, 2025 1:26:13 AM

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बहराइच। सिद्धनाथ मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ और वार्षिक उत्सव

बहराइच। सिद्धनाथ मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ और वार्षिक उत्सव
/ से बेखौफ खबर के लिए स्वतंत्र पत्रकार राजकुमर गुप्ता  की रिपोर्ट

बहराइच। श्रीमदभागवत कथा मनुष्य के जीवन में सुखों का संचय करने वाली होती है। पूरे मनोयोग के साथ कथा श्रवण मात्र से मनुष्य के जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन हो सकते हैं। श्रीमद भागवत में तमाम एेसी कथाएं हैं जो हमें प्रेरणा देती है और कलयुग में जीवन को कलात्मक ढंग से जीने का मार्ग प्रशस्त करती है। मानव जन्म पाकर मनुष्य अमृत पी ले और उसके व्यवहार में कोई बदलाव नहीं हो तो उस अमृत पीने का कोई लाभ नहीं। राहु ने भी अमृत पिया और अमर हो गए लेकिन उसके व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं होने के कारण उसे कोई लाभ नहीं मिला। वहीं धुंधकारी जैसे पापी भी कथामृत श्रवण करने मात्र से मोक्ष को प्राप्त किए। भागवत कथा अमृत सामान है तभी मोक्ष प्राप्ति के लिए राजा परीक्षित अपने जीवन के अंतिम सात दिन कथामृत श्रवण कर बिताया और पुण्य के भागी बने और उन्हें भी मोक्ष मिला। उक्त उद्गगार श्री सिद्धनाथ मंदिर परिसर में चल रहे श्रीमदभागवत महापुराण में व्यास पीठ पर कथाव्यास महामंडलेश्वर स्वामी रवि गिरी जी महाराज ने व्यक्त किए। अमृत पीने मात्र से कुछ नहीं होता बल्कि अमृतपान से अमरत्व होने के बाद भी हमारे जीवन की सार्थकता जीवमात्र के लिए क्या है, यह महत्वपूर्ण है। भागवत सप्ताह के प्रत्येक दिन की कथा सुनना जीवनोपयोगी है। उन्होंने कहा कि कलयुग में भगवत प्राप्ति के लिए अत्यंत सरल मार्ग निर्धारित किए गए हैं। भगवान के नाम मात्र का जाप करने से कलयुग में मुक्त पाने का विधान है। कलश यात्रा में सबसे आगे भागवत जी को सर पर उठाये मुख्य यजमान महेन्द्र नाथ, गुरु परिवार के सभी सदस्य, गद्दी सेवक और समाज के बंधू चल रहे थे उनके पीछे बालिकाए व महिलाए सर पर कलश लिए चल रही थी | कथा प्रारंभ होने के पूर्व एक भव्य शोभायात्रा पांडव कालीन श्री सिद्धनाथ मंदिर से चौक बाज़ार के विभिन्न मार्गो से निकाली गयी जिसमें पारंपरिक वाध यंत्रों की धुन पर जहां भजनों का गायन करते भक्त थे तो वही सिर पर कलशों को रखे बडी संख्या में नारी शक्ति मंगलगान करती हुइ। जबकि भगवान के गगन भेदी जयकारों से गलियों को गुंजायमान करते युवा भी चल रहे थे। भागवत कथा में भीषण गर्मी के बावजूद श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा। भागवत कथा के अवसर पर शहर के अनेक धर्म प्रेमी सहित कई श्रद्धालु कथा श्रवण के लिए उपस्थित हुए। कथा के प्रथम दिन पुरोहित के सान्निध्य में वैदिक मंत्रो'चार के साथ गणेश वंदना व भागवत पुराण पूजन के पश्चात सभी संतों का पूजन कर उनका स्वागत किया गया। गणपति पूजन के साथ भागवत कथा का आरंभ श्री सिद्धनाथ पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी रवि गिरी जी महाराज के मुखारविन्द से किया गया जिसमे सर्वप्रथम भगवत महाम्य, फिर परीक्षित श्राप व शुकदेव जन्म का वर्णन किया गया | भक्ति से ज्ञान, वैराग्य पैदा होता है, संसार में पुण्य कार्य करना चाहिए, पुरुषार्थ प्राप्त करने के लिए भगवान की आराधना करना चाहिए, जिससे भक्ति में वृद्धि होती है। शुकदेव महाराज ने राजा परीक्षित से कहा कि भागवत अज्ञान से ज्ञान और सत्य की ओर ले जाने वाली है। संसार के प्राणी अनेक चीजों से पीडि़त है उसका एक ही समाधान है कथा का श्रवण करना, हरि नाम सिमरन करना, इससे संसार की चिंताएं दूर होती है, सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है। कथा व्यास ने कहा कि भगवान की शरण में आने से मनुष्य का जीवन सार्थक हो जाता है, सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, व्याधियों और ङ्क्षचताओं का एक ही समाधान है श्रीमद्भागवत कथा सुनना। दैविक, भौतिक, तापों से जो पीडि़त है उनके कष्ट दूर हो जाते हैं। महामंडलेश्वर स्वामी रवि गिरी जी महाराज ने कहा की भक्ति रूपी तत्व के जीवन में आने पर व्यक्ति का आत्मबल बढऩे लगता है तथा प्रभु की कृपा होती है। इसलिए भक्ति करनी चाहिए। उन्होंने संतों की महिमा बताते हुए कहा कि सच्चे संत के दर्शन मात्र से ही मनुष्य के जन्म जन्मातरों के पाप नष्ट हो जाते हैं। आह्वान करते हुए उन्होंने ने कहा कि मनुष्य को निंदा चुगली से बचना चाहिए ताकि बुरे व्यसनों में फंसकर जीवन व्यर्थ न होने पाए।

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