बहराइच। उत्पादन की अच्छी कीमत तथा कम वर्षा वाले स्थान पर भी अच्छी पैदावार की खासियत के कारण अब तक थाईलैण्ड, मलेशिया और वियतनाम में व्यवसायिक खेती के लोकप्रिय ‘‘ड्रैगन फ्रूट’’ भारत में भी लोगों की पसन्द बनता जा रहा है। अपनी मेडिसिन प्रापर्टीज़ के कारण इस फल के सेवन से मधुमेह व शरीर में बढ़े हुए कोलेस्ट्राल को कम करने के साथ-साथ तथा दिल से सम्बन्धित बीमारियों में भी लाभदायक है। इस फल में दूसरे फलों की तुलना में एंटी आॅक्सीडेंट की मात्रा कहीं ज्यादा पायी जाती है। ‘‘ड्रैगन फ्रूट’’ कोे आइसक्रीम जैली, जेम व जूस के साथ-साथ बटी क्रीम के तौर पर फेस पैक के रूप में प्रयोग किया जाता है। सुन्दर रंग व आर्कषक दिखने के कारण लोगों द्वारा इसे गमले में भी लगाया जाता है। राज्य आयुष मिशन के प्रभारी आर.के. वर्मा ने बताया कि ‘‘ड्रैगन फ्रूट’’ का बाज़ार भाव रू. 200-250 प्रति किलो रहता है तथा इसका पौधा एक सीज़न में 03 से 04 फल देता है। एक फल का औसत वज़न 300 से 800 ग्राम के बीच होता है। इसकी फसल के लिए 01 हेक्टेयर में अनुमानित 750 से 800 पोल लगते हैं और एक पोल पर 40 से 100 फल तक लगते हैं जिनका वज़न लगभग 15 से 25 किलो फल प्राप्त हो सकता है। यदि बाज़ार भाव को न्यूनतम रू. 125 प्रति किलो माना जाये तो प्रति हेक्टेयर लगभग रू. 17,18,750=00 की आय प्राप्त हो सकती है। ‘‘ड्रैगन फ्रूट’’ के पौधे की विशेषता यह भी है कि यह तापमान के उतार चढ़ाव को आसानी से सहन कर सकता है। इसके लिए 20 से 50 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त है। इसकी खेती को 50 प्रतिशत वार्षिक औसत बरसात होने वाली जगहों पर आसानी से किया सकता है। ज्यादा धूप वाली ऊॅंची जगहों पर इसके पौधों को नहीं लगाना चाहिए। इसकी खेती के लिए कोई विशेष प्रकार की मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है। इसको किसी भी तरह की मिअ्टी में लगाया जा सकता है परन्तु व्यवसायिक रूप से खेती करने पर5.4 पी.एच. मान से 7 पी.एच. मान वाली मिट्टी उपयुक्त है। फसल बोने से पहले खेत की 02 से 03 बार गहरी जुताई करनी चाहिए ताकि खर-पतवार नष्ट हो जायें। इसके पश्चात खेत में गोबर वाली खाद या बर्मी कम्पोस्ट वाली खाद को खेत की मिट्टी में मिलाकर उचित जल निकासी की व्यवस्था करनी चाहिए। इसके पौधों को बीज अथवा शाखा कलम विधि से तैयार किया जा सकता है। बीच से पौधों की तैयारी में अधिक समय लगने के कारण किसान कलम विधि का उपयोग करते हैं जो व्यवसायिक रूप से भी उत्तम है। स्वस्थ पौधे की छॅंटाई कर शाखा (कलम) के 20 सेमी लम्बे टुकड़े का उपयोग करना चाहिये। शाखाओं को रोपने से पहले छाॅंव में ही रखना उपयुक्त रहेगा। कलम लगाने के लिए एक कतार में 2 मीटर की दूरी छोड़ कर 60 गुणा 60 सेमी चैड़ा और 60 सेमी गहरा गड्ढा खोदा जाना चाहिए। कलम वाले पौधों को सूखे गोबर और बालू रेत को 1ः1ः2 के अनुपात में मिला कर गड्ढे में रोपे तथा गड्ढों में मिट्टी के साथ प्रति गड्ढे में 100 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट और कम्पोस्ट मिला कर भर दें। इस तरह एक एकड़ जमीन में 1700 पौधे लग जायेंगे। डैªगन फू्रट के पौधे काफी तेजी के साथ विकसित होते हैं इसलिए उन्हें सहारा देने के लिए सीमेंट का पोल और तख्त लगाना चाहिए। ‘‘ड्रैगन फ्रूट’’ की फसल को अन्य फसलों की तुलना में काफी कम पानी की आवश्यकता होती है। रोपाई के तुरन्त बाद पानी देने केएक सप्ताह उपरान्त सिंचाई करना चाहिए। गर्मी के दिनों में आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करनी होगी, सिंचाई के लिए ड्रिप पद्धति अत्यन्त उपयोगी है। पौधों के विकास में जीवाश्म तत्व मुख्य रूप से सहायक होते हैं। इसलिए प्रति पौधा की दर से 10 से 15 किलो तक जैविक उर्वरक कम्पोस्ट देना चाहिए। जैविक खाद की मात्रा प्रति दो वर्ष में बढ़ाते रहना होगा। पौधे के समुचित विकास के लिए समय-समय पर रासायनिक खाद भी देना होगा। जिसमें पोटाश$सुपर फास्फेट$यूरिया को 40ः90ः70 ग्राम प्रति पौध देना चाहिये। पौधों में फल लगना शुरू हो जाने पर नाइट्रोजन की मात्रा कम कर के पोटाश की मात्रा को बढ़ा देना होगा। जिससे अधिक उपज प्राप्त हो सके। फूल आने से पहले और फल आने के समय प्रति पौधे में 50 ग्राम यूरिया, 50 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट और 100 ग्राम पोटाश देना चाहिए। प्रति वर्ष प्रति पौधे की दर से 220 ग्राम रासायनिक खाद की मात्रा बढ़ोत्तरी करना होगा, अधिकतम मात्रा 1.5 कि.ग्रा. तक हो सकती है। इसके पौधों में अभी तक किसी भी तरह के किट और बीमारी नही आयी है। इसके पौधे एक साल में ही फल देने के लायक हो जाते हैं। मई, जून महीने में फूल लगते हैं और अगस्त से दिसम्बर तक फल आ जाते हैं। इस फल की अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में अधिक माॅंग है। जिला उद्यान अधिकारी, बहराइच कार्यालय के योजना प्रभारी श्री वर्मा ने बताया कि इच्छुक कृषक किसी कार्य दिवस में कार्यालय से सम्पर्क ‘‘ड्रैगन फ्रूट’’ के सम्बन्ध में अन्य जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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