बहराइच। पोषण माह अन्तर्गत विकास खण्ड चित्तौरा के आॅगनबाड़ी केन्द्र कमाली में माता बैठक का आयोजन किया गया। बैठक के दौरान छः माह की आयु पूरी कर चुके बच्चों की माताओं को कुपोषण मिटाने की शपथ दिलाने के साथ ही साथ हाथों की सफाई का तरीका भी बताया गया। आॅगनबाड़ी कार्यकत्री रंभावती ने कार्यक्रम में मौजूद माताओं को बताया कि शौंच के बाद और भोजन के पहले हाथों को बताए गए तरीकों से साफ करके कई बीमारियों से बचा जा सकता है। उन्हांेने बताया कि बच्चे जब बीमार कम होंगे और पौष्टिक आहार लेंगे तभी कुपोषण की जंग जीती जा सकती है। डीसीपीएम मो. राशिद ने बताया कि बच्चों का बार-बार बीमार होना उन्हे शारीरिक रूप से कमजोर कर देता है। बीमार बच्चे या तो भोजन करना छोड़ देते हैं या कम मात्रा मे आहार ग्रहण करते हैं। जिसकी वजह से उनके शरीर मंे पोषक तत्वों की मात्रा कम हो जाती है और कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। श्री राशिद ने यह भी बताया कि जनपद के सभी आशाओं को प्रशिक्षण के दौरान हाथ धुलने का तरीका सिखाया गया है। आशाएँ गृह भ्रमण के दौरान माताओं तथा परिवार के सदस्यों को साबुन पानी से हाथ धुलने का तरीका सिखाती हैं। उल्लेखनीय है कि बच्चों मे बीमारी की एक वजह साफ हाथों का न होना भी है। गंदे हाथों से दिया गया पौष्टिक आहार भी बच्चों को सेहतमन्द रखने मे मददगार नहीं होता है। डाॅ. सोमनाथ मौर्या बाल रोग विशेषज्ञ ने बताया कि बच्चों के दैनिक आहार में पोषक तत्वों को शामिल कर कुपोषण की जंग तो जीती जा सकती है परंतु हाथों की सफाई के बिना बीमारियों से नहीं बचा जा सकता है। डायरिया जैसी जानलेवा बीमारी की मुख्य वजह हाथों की गन्दगी से जुड़ा है। आमतौर पर लोग हाथों की सफाई के लिए सिर्फ पानी अथवा साबुन पानी का प्रयोग करते हैं। परंपरागत तरीके से साफ किए गए हाथों की गन्दगी पूरी तरह साफ नहीं होती है। इन हाथों से नवजात शिशुओं को छूने अथवा छः माह की आयु पूरी कर चुके बच्चों को भोजन कराने से उनमंे संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ जाती है। जबकि हाथ धोने के तरीकों को अपना कर हम इन्हे स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं।
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